मेरे बच्चे 'संपादकीय' सबसे सुंदर, सबसे अच्छे। नंगे हो या पहने हो कच्छे। काले-गौरे, प्यारे-प्यारे बच्चे। दुनिया में थलचर-जलचर, नभचर-निशाचर आदि कई प्रकार के जीव सार्वभौमिक अनुसरण करते हैं। ज्याद
मेरे बच्चे 'संपादकीय' सबसे सुंदर, सबसे अच्छे। नंगे हो या पहने हो कच्छे। काले-गौरे, प्यारे-प्यारे बच्चे। दुनिया में थलचर-जलचर, नभचर-निशाचर आदि कई प्रकार के जीव सार्वभौमिक अनुसरण करते हैं। ज्याद
पहली कल्पना 'संपादकीय' क्या तुमने कुछ ऐसा देखा है.... रात भरी अंधेरी में, सूरो सा, दिन के उजालों में, गूढ़ सा, मैंने गज-लख दूरो से, विहीन व्योम में उसको देखा है.... जो तेरा है, ना मेरा है सन
अमृत महोत्सव 'संपादकीय' जीत किसके लिए, हार किसके लिए ? जिन्दगी भर तकरार, किसके लिए ? जो भी आया है, इस जहां से जायेगा ! फिर... इतना अहंकार किसके लिए ? परिवर्तन की प्रखर बेला में जब हर आदमी अपने