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दीपक यह जलता रहा रात भर
ज्योत्सना से भरी रात्रि जी भर
दग्ध-बीजों को मीले सात
वर
अमरत्व मिला न आएगा
जर
गुँजायमान् चहुंओर शंखनाद् स्वर
'कोरना' व्यध्र- इति होना है कहर
नैतिकवादियों का प्रारंभ प्रहर
सात्विकों की जय- सुनिश्चित
अनैश्वरवादी का अंत निश्चित
अजपाजप वर करें सब मिलकर
हर आतंकी स्वत: जाएगें मर
हर घर में अन्नादि जाएगें भर
ॐकार- अनहदनाद् ध्वनि सुनेगी
त्रिकालदर्शिता की शक्ति आएगी
तनावमुक्त होगा मानव का सर
छाएगा नारा महादेव
हर! हर!!
साधना-सेवा-त्याग मानव कर
कल्पतरु आयेगा समक्ष चलकर
सप्तलोकों पर वीजय प्राप्त कर
तारक ब्रह्म संग, यह रे याद कर
निर्मल ने कहा आप्त वाक्य गर
तामसिकता समस्त जाएगी मर
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
★डॉ. कवि कुमार निर्मल★
दीपक यह जलता रहा रात भर
ज्योत्सना से भरी रात्रि जी भर
दग्ध-बीजों को मीले सात
वर
अमरत्व मिला न आएगा
जर
गुँजायमान् चहुंओर शंखनाद् स्वर
'कोरना' व्यध्र- इति होना है कहर
नैतिकवादियों का प्रारंभ प्रहर
सात्विकों की जय- सुनिश्चित
अनैश्वरवादी का अंत निश्चित
अजपाजप वर करें सब मिलकर
हर आतंकी स्वत: जाएगें मर
हर घर में अन्नादि जाएगें भर
ॐकार- अनहदनाद् ध्वनि सुनेगी
त्रिकालदर्शिता की शक्ति आएगी
तनावमुक्त होगा मानव का सर
छाएगा नारा महादेव
हर! हर!!
साधना-सेवा-त्याग मानव कर
कल्पतरु आयेगा समक्ष चलकर
सप्तलोकों पर वीजय प्राप्त कर
तारक ब्रह्म संग, यह रे याद कर
निर्मल ने कहा आप्त वाक्य गर
तामसिकता समस्त जाएगी मर
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
★डॉ. कवि कुमार निर्मल★