मानव रे चेत
लोग-बाग तुझे- पत्थरों में तराश
मंदीरों में बैठाते हैं!
'सुनहरी फ्रेम' में तुझे जड़वा,
दम तेरा घुटवाते हैं!!
अष्टधातु-सोने की मूर्ति बनवा, "ताला" लटकाते हैं!
कैलेन्डर-किताबों में छपवा
दीवारों पर टाँग देते हैं!!
गर्मी के मौसम में- भक्त
चादरों तले तुझे दबाते हैं!
दम घुटता प्रभु का-
धुँआ कुण्ड से-
त्राहिमाम् चिल्लाते हैं!!
अहिंसा का उपदेश दिए अवतार,
पर पशु बली चढ़ाते हैं!
ठंढा जल जाड़े में भी चढ़ा
कतार में नहीं अधाते हैं!!
जेवर मंदिर से चोर पलट कर
आए दिन चुरा ले जाते हैं!
मुस्टण्डे 'पण्डे' नित चँदन
पोत "अलख" जगाते हैं!!
हर संडे चर्च में पाप वाशिंग का
काम वे निपटाते हैं!!
गले में "ताबीज" तेरे नाम का
मढ़वा कर लटकाते हैं!
हाय, धरती वाले बेहाल
तेरा कर बहुत हीं सताते हैं!!
ऐसे में कोरोना दानव
रक्तबीज बन लाखों को ग्रसते है!
तमसा धोर व्यापत,