गीतिका, समांत- तुमको, पदांत- मुबारक हो, मात्र भार- 28......सितारों से सजी रौनक सनम तुमको मुबारक हो बना हमराज यह सेहरा सजन तुमको मुबारक हो उठा कर देख लो अब तो निगाहों से नजारों को अटल विश्वास हो जाए बहम तुमको मुबारक हो॥ गिराकर चल दिये चिलमन पकड़कर डोर हाथों से