मैं कौन हूँ मैं क्या batlau
बस इतना समझ लो
तुम्हारे इन अनजान सवालो का
उलझा हुआ जवाब हूँ मैं
तुम्हारे टूटे हुए दिल का
एक टूटा हुआ ख्वाब हूँ मैं
मैं कौन हूँ मैं क्या batlau
बस इतना समझ लो
कि रात क् इस अँधेरे मे
सुबह का आगज़् हूँ मैं
मैं हूँ रेत पर बने एक आकर कि तरह
मैं हूँ तुम्हारे दिल मे उमड़ एक विचार कि तरह
मैं कौन हूँ मैं क्या batlau
बस इतना समझ लो
मैं हूँ तुम्हारे एक इंतजार कि तरह
जिसे सदियों से पाना चाहा वो ख्वाब हूँ मैं
जिसे दुनिया से छुपाना चाहा वो जज़्बात हूँ मैं
मैं कौन हूँ मैं क्या batlau
बस इतना समझ लो
तुम्हारी इस छोटी सी दुनिया कि क़ायनात हूँ मैं
सपना जो तुमने देखा था कभी
उसके पूरे होने का अहेशाश् हूँ मैं
मरुस्थल इस भूमि पर पानी कि तलाश हूँ मैं
मैं कौन हूँ मैं क्या batlau
बस इतना समझ लो
तुम्हारी टूट चुकी इन उमीदो की
एक मीठी सी आस हूँ मैं
जिस मंजिल की तलाश मे हो तुम
उसका एक् खूबसूरत सफर हूँ मैं
दिल मे जो तुम्हारे दर्द छुपा है
उसका एक मीठा सा असर हूँ मैं
मैं कौन हूँ मैं क्या batlau
बस इतना समझ लो
जिसे muddaton से जीना चाहा
वो पहेर् हूँ मैं
रोक रखा था जिन्हें कबसे इन आँखों मे
वो आँशु कि एक बूँद हूँ मैं
तुम्हारी उलझी हुई इस दुनिया का एक हल्का सा सुकून हूँ मैं
मैं कौन हूँ मैं क्या batlau
बस इतना समझ लो
तुम्हारे दिल से बाहर निकलता एक जूनून हूँ मैं
तुम्हारे होठो पे खोई हुई वो मुस्कुराहट हूँ मैं
तुम्हारी आँखों मे बसी एक चाहत हूँ मैं
जो दुनिया ने ना देखा अब तक
तुम्हारा छुपा हुआ वो रूप हूँ मैं
कोसिसे लाख कर के भी तुम बच पाओगी कैसे
संग तुम्हारे चलता तुम्हारा हि स्वरूप् हूँ मैं
मैं हूँ तुम्हारी उस पहली मुलाकत कि तरह
जिसे अब तक ना कह पाई हो उस बात कि तरह
मैं कौन हूँ मैं क्या batlau
बस इतना समझ लो
जिसे किताबों मे छुपा दिया है कहीं तुमने
मैं हूँ तुम्हें मुहब्बत मे मिले उस गुलाब कि तरह
संतोष शर्मा