... जाहिर है जब आप किसी भी चीज या विचार का प्रमोशन करते हैं तो उसके साथ यह प्रश्न स्वाभाविक रूप से जन्म लेता है कि आप खुद किस स्तर तक उस बारे में समर्पित हैं! इसे दूसरी भाषा में 'कथनी-करनी' की समानता अथवा 'चरित्र' (Prime minister Modi Yoga) भी कहा जाता है. हालाँकि, रूसी राष्ट्रपति तब सम्भवतः इसलिए खिंचे-खिंचे थे, क्योंकि अमेरिका और भारत के सम्बन्धों के साथ-साथ मोदी और ओबामा की दोस्ती भी परवान चढ़ रही थी. हालाँकि, रूसी राष्ट्रपति का प्रश्न लोगों के मन से अब काफी हद तक निकल गया होगा क्योंकि अब भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर ने प्रधानमंत्री मोदी को योग करते देख लिया है. न केवल योग करते देखा है, बल्कि पीएम मोदी की 'संतुलित दिनचर्या' से करोड़ों लोग प्रेरित भी हो रहे हैं. भागदौड़ भरी लाइफ, बदलता खान-पान और अव्यवस्थित दिनचर्या ने आज हममें से अधिकांश को असमय ही बीमारियों का गढ़ बना दिया है. बढे-बूढ़ों की तो बात ही छोड़िए, बच्चे भी छोटी सी उम्र में तमाम रोगों से ग्रस्त होते जा रहे हैं. ऐसी परिस्थिति में ख़ुशी की बात ये है कि आज तमाम बड़ी हस्तियां और समाज में प्रतिष्ठित लोग योग को ले कर समाज में जागरूकता फ़ैलाने का काम कर रहे हैं, जिसका असर आम लोगों के ऊपर भी पड़ रहा है. इससे भी बड़ी बात यह है कि इस क्षेत्र की अगुवाई करते हमारे पीएम हर जगह दिख जाते हैं. इस बार द्वितीय 'अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस' पर वह चंडीगढ़ से योग करते दिखने वाले हैं. यूँ तो योग की परम्परा हमारे देश में प्राचीन काल से है, लेकिन बाबा रामदेव ने इसे सुगम और सरल बना कर भारत तथा विदेशों में भी लोगों के अंदर जिज्ञासा पैदा की. ठीक ऐसे ही हमारे प्रधानमंत्री ने योग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थान दिला कर वो उपलब्धि हासिल कर ली है कि जब-जब योग का नाम लिया जायेगा, तब-तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी जरूर लिया जायेगा. न केवल कैमरों के सामने ही, बल्कि मोदी ने अपने जीवन में भी योग को महत्वपूर्ण स्थान दिया है. जानकारी के अनुसार, उनकी सुबह की शुरुआत योग और प्राणायाम से ही होती है. जहां एक साधारण मनुष्य को 6 से 7 घंटे की नींद आवश्यक मानी जाती है, वहीं पीएम मोदी मात्र 3 से 4 घंटे की नींद लेते हैं, बावजूद इसके इनके कार्य करने की क्षमता और ऊर्जा की कायल पूरी दुनिया है. मोदी ने कई बार इस बात का जिक्र लोगों के सामने किया है कि ...