पैदल निकल गये हजारों लाखों लोग उसी पथ पर, जहां कोरोनावायरस के जीवन और उन पथगीरों के मौत के निशान हैं। क्यों निजामुद्दीन जैसे मकतब, मरकज हाटसपाट बन वायरस के, बढ़ा रहे कोरोना का फैलाव हैं? बार्डर, सरहद पर उतरी जनता, आने वाले खतरे से क्या अंजान है? कल तक जिस शहर को अपना माना, आज उसे छोड़ चल देना, इन स
मृत्यु के पश्चात भी फौजी की आत्मा आन ड्यूटीजी हाँ आप जी ने सही पढ़ा एक फौजी के शहीद होने के बावजूद भी उसकी आत्मा कर रही है सिक्किम में भारत चीन बाॅडर पर अपनी ड्यूटी यह आत्मा ना सिर्फ सरहद पर पहरा देती है बल्कि दुश्मन की हर गतिविधि की खबर पहले हि सांकेतिक रूप में भारत
कवि: शिवदत्त श्रोत्रियसरहद, जो खुदा ने बनाई||मछली की सरहद पानी का किनाराशेर की सरहद उस जंगल का छोरपतंग जी सरहद, उसकी डोर ||हर किसी ने अपनी सरहद जानीपर इंसान ने किसी की कहाँ मानी||मछली मर गयी जब उसे पानी से निकालाशेर का न पूछो, तो पूरा जंगल जला डाला ||ना जाने कितनी पतंगो की डोर काट दीना जाने कितनी स