नई दिल्ली : आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने यूपी सरकार के किसानों के कर्ज माफी के फैसले को चिंता का विषय बताया। उन्होंने कहा इससे जहां बैंकों की बैलेंसशीट बिगड़ती है। वहीं टैक्स पेयर्स पर इसका भारी दबाव पड़ता है। उर्जित पटेल ने कहा, लोन माफी जैसे कदम का सरकारी खजाने में असर पड़ता है जो पहले से ही घाटे में होता है। लोन माफी से महंगाई बढ़ने का खतरा पैदा हो सकता है।
टैक्स देने वालों पर पड़ेगा बोझ
उर्जित ने कहा कि कर्ज माफी से बैंकों की भी परेशानी बढ़ती है। साथ ही टैक्स देने वालों पर बोझ बढ़ता है। उन्होंने कहा कि लोन माफी जैसे फैसलों को वादे चुनाव प्रचार में न किए जाने पर सहमति बननी चाहिए। ऐसा कहा जा रहा है कि यूपी सरकार 36,359 करोड़ रुपये का लोन बॉन्ड्स के जरिए माफ करेगी। हालांकि सरकारी खजाना सही स्थिति में नहीं है। यूपी सरकार का घाटा 4 साल के उच्चतम स्तर पर है। अगर तीन बड़े राज्यों (यूपी, एमपी व राजस्थान) की बात करें तो उनमें सबसे बुरी हालत यूपी की है।
योगी को भी नहीं है अंदाजा
सरकारें सियासत के दौरान जो वायदे करती हैं उनका कितना गहरा असर अन्य लोगों पर पड़ता है, शायद इसका अंदाजा सीएम योगी को भी नहीं होगा। उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों का एक लाख रुपये तक का लोन माफ करने का ऐलान कर दिया है। वो भी ऐसे समय जब सरकार का घाटा चार साल के उच्चतम स्तर पर है। सरकारों का यह कदम कर्ज न देने वाले किसानों के लिए भले राहत भरा हो, लेकिन ईमानदारी से कर्ज की पाई-पाई चुकाने वाले किसानों को यह फैसला गलत संदेश देने वाला है। ऐसे में वो भी कर्ज न चुकाने की आदत डालने को बाध्य होंगे।गुरुवार को भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ने मौद्रिक नीति की समीक्षा के दौरान यह बातें कहीं। बता दें कि यूपी सरकार ने अपनी पहली ही कैबिनेट बैठक में अपना चुनावी वादा पूरा करते हुए छोटे किसानों का 36,359 करोड़ रुपये कर्ज माफ करने का फैसला लिया था। गर्वनर ने सरकार द्वारा लोन माफ, जैसे फैसले के नकारात्मक पहलुओं के बारे में बताते हुए कहा कि इससे नैतिक खतरा बढ़ता है।
RBI ने रेपो रेट 6.25% पर ही बरकरार रखा
मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई ने रेपो रेट 6.25% पर ही बरकरार रखा। हालांकि, रिवर्स रीपो रेट 5.75 प्रतिशत से बढ़ाकर 6 प्रतिशत कर दिया है। यानी, रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में अंतर 0.50 प्रतिशत से घटकर 0.25 प्रतिशत रह गया। रिजर्व बैंक के मुताबिक, अगली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर 4.5 प्रतिशत रहेगी, जबकि उसके आगे से छह महीने (अक्टूबर-मार्च छमाही) में 5 प्रतिशत तक की महंगाई का अनुमान लगाया गया है।
सभी बैंक लेते हैं आरबीआई से कर्ज
बता दें कि बैंक को भी अपने कामों के लिए कर्ज लेना पड़ता है। ऐसे में सभी बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से कर्ज लेते हैं। रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं। अगर बैंकों को सस्ते ब्याज पर पैसा मिलेगा तो वह लोगों को भी सस्ता लोन दे सकेगा जिसकी ब्याज दर कम होंगी। जब बैंक के पास पैसा ज्यादा होता है तो वह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास अपना पैसा रख देता है। इसपर आरबीआई उन्हें ब्याज देता है। यानी जो ब्याज आरबीआई द्वारा दिया जाता है उसको रिजर्व रेपो रेट कहते हैं।