हिंदू धर्म के साथ-साथ बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म में सरस्वती ज्ञान की देवी हैं। उनका नाम कल्पना के प्रवाह (सरस) से निकला है। मानव की कल्पना हमें खोज करने, नई राह बनाने, मानसिक चित्रण करने, योजना बनाने और जोखिम कम करने में सक्षम बनाती है। हालाँकि बिज़नेस
डॉ कलाम पुस्तक में लिखते हैं, कि दुनिया उन लोगों द्वारा बदल दी जाती है जो "अनदेखे पथ पर चले गए और अद्वितीय होने का प्रयास किया।" मानव चुनौती जीवन की सबसे कठिन लड़ाई तब तक लड़ने की है जब तक कि कोई व्यक्ति अपने आप में न आ जाए क्योंकि "आपके आस-पास की दु
किसी प्लेन के पायलट बनने से पहले, आपको ये समझना होगा वह प्लेन काम कैसे करता हैं, ठीक इसी तरह अगर आपको इस पृथ्वी की सबसे पावरफुल चीज को कण्ट्रोल करना हैं यानी की आपका दिमाग़, तो इसे भी वैज्ञानिक तरीके से समझना होगा। क्या आप भी बाकी कामयाब लोगो की तरह ह
विश्व के सबसे ख़ुशहाल कहे जाने वाले देश नॉर्वे को टटोलते हुए ऐसे सूत्र मिलते हैं जो भारत में पहले से मौजूद हैं। बल्कि मुमकिन है की ये भारत से बह कर गए हों। लेखक ने रोचक डायरी रूप में दोनों देशों के इतिहास से लेकर वर्तमान जीवन शैलियों का आकलन किया है।
ज्ञान का भंडार, प्रेरक और अनुकरणीय उक्तियों का अद्भुत चयन, जिसने भारत के सबसे विद्वान् व्यक्तियों में से एक, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की सोच को प्रभावित किया और उसे स्वरूप दिया। अपने स्कूल के दिनों से लेकर अब तक, जब वह अस्सी की उम्र को पार कर चुके
आज के जमाने में क्या आप अभी भी 1920 की मोटिवेशनल किताब पढ़ रहे हैं? पिछले समय का दर्शन आपको इस बहुत तेज युग में सफलता पाने में कैसे मदद कर सकता है? यदि आप वास्तव में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको सफलता की आधुनिक तकनीकों को जानना चाहिए। क्या
बहुत बातें संतजन, ऋषिजन अपने हाल का ब्यौरा देते हुए कहते हैं। वो बात आपकी नहीं हो गयी। उन्होंने कह दिया, “अहम् ब्रह्मास्मि”। वो अपनी बात कर रहे हैं। वो ब्रह्म हैं, आप नहीं ब्रह्म हो गए। ये उनकी चेतना का स्तर है कि वो कह पाए ये बात। और आपने कहा,
बड़ा विचित्र लगता है जब हम Time बारे में सोचते है, लेकीन जब हम समय को जीते है तब बहुत सरल-सा लगता है। पर समय से अधिक शक्तिशाली कोई भी नहीं। और इसके उपर किसी का नियंत्रण नहीं होता अगर होता तो भगवान कृष्ण के होते हुये भी महाभारत क्यु होता ? और तो सुबह र
जीवनपर्यंत मन किसी नए की तलाश में रहता है। उस तलाश को वो अक्सर ही किसी नए अनुभव, घर, गाड़ी इत्यादि से पूरी करने की अभिलाषा करता है। नए की तलाश मन को अक्सर ही एक आशा में बाँध देती है कि यदि बाहर की स्थितियाँ बदल जाएँ तो भीतर की बेचैनी भी मिट जाएगी।
आज बड़ी संख्या में भारतीय युवा क्षमतावान, समर्पित, दृढ-संकल्पित, आदर्शवादी और कड़ी मेहनत करनेवाले हैं। उनमें अद्भुत शक्ति, सामर्थ्य और क्षमता है। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का युवाओं को प्रबुद्ध बनाने के प्रति विशेष आग्रह था। यद्यपि डॉ. कलाम का पूरा
जीवन सम्बन्ध है। व्यक्ति का व्यक्ति से सम्बन्ध, प्रकृति से सम्बन्ध, समाज से सम्बन्ध। इन सम्बन्धों का आधार क्या है? क्या है हमारे सम्बन्धों की वास्तविकता? क्या हमारे सम्बन्ध डर, लालच, मोह, आसक्ति की छाया मात्र हैं, या ये प्रेम की अभिव्यक्ति हैं? क्या
इस पुस्तक में 101 महान लोगों की प्रेरणादायक कहानियाँ हैं, जिन्होंने ग़रीबी, अशिक्षा और असफलता आदि तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हार नहीं मानी। सफलता की पाठय पुस्तक, जो मुश्किलों से संघर्ष करने की प्रेरणा देती है।
आज अगर आदमी प्रकृति के प्रति इतना हिंसक है, पेड़-पौधों के प्रति इतना हिंसक है, जानवरों के प्रति इतना हिंसक है, तो उसकी वजह ये है कि वो अपने शरीर के प्रति भी बहुत हिंसक है। शरीर से मुक्ति चाहते हो, तो शरीर को ‘शरीर’ रहने दो। जिन्हें शरीर से मुक्ति च
अधिकतर व्यक्ति धन और सफलता की चाह रखते हैं। ऐसी बहुत-सी प्रबंधन पुस्तकें हैं जो इस बात की सैद्धान्तिक तथा तकनीकी जानकारी देती हैं कि धनी और सफल कैसे बना जाए। ये सभी पुस्तकें हमें धन की देवी लक्ष्मी के पीछे जाने की सलाह देती हैं, ताकि हम उन्हें अपना ब
सफल होना उतना ही आसान है, जितना असफल होना...
मैं यह पुस्तक इसलिए लिख रहा हूँ ताकि मेरे युवा पाठक उस आवाज को सुन सकें, जो कह रही है-' आगे बढ़ो ' । अपने नेतृत्व को हमें समृद्धि की ओर ले जाना चाहिए । रचनात्मक विचारोंवाले युवा भारतीयों के विचार स्वीकृति की बाट जोहते-जोहते मुरझाने नहीं चाहिए । जैसाकि
भारत में मिसाइल के जनक, विश्वविख्यात वैज्ञानिक भारत के पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम अद्भुत जिजीविषा और विलक्षण दूरदृष्टि के स्वामी थे। उन्होंने अपने प्रेरक विचारों से समाज को दिशा दी, हर भारतीय को प्रेरणा दी। उनके संबोधनों का
एक-एक साँस लेते हुए आज तक न जाने कितनी ही बार हमारा सीना घटा और बढ़ा है। हम सभी असंख्य पल जी चुके हैं... लेकिन उनमें से कुछ चुनिंदा पल ही आज हमें याद हैं। यह पुस्तक वैसे ही पलों का एक व्यक्तिगत दस्तावेज़ है। एक बच्चा जिसके पैरों को 4 साल की उम्र में ही
प्रेरणाएँ कहीं से भी आ सकती हैं और किसी भी जगह से। उसके लिए जगह, वजह की भी जरुरत नहीं होती। अकसर प्रेरणाएँ ज़िन्दगी को निखारने का काम करती हैं। ज़िन्दगी को ज़िन्दादिली से जीने को उत्साहित करने का काम करती हैं प्रेरणाएँ। हम इंसानों को अनगिनत उतार-चढ़ाव का
परिवार व राष्ट्र के विकास के माध्यम से ही एक शांतिपूर्ण, सुखी व समृद्ध समाज का विकास हो सकता है। सुविख्यात जैन मुनि आचार्य महाप्रज्ञ तथा पूर्व राष्ट्रपति भारत-रत्न डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का समाज के प्रति समर्पण और उसकी उन्नति के प्रति चिंता सर्व