बहुत बातें संतजन, ऋषिजन अपने हाल का ब्यौरा देते हुए कहते हैं। वो बात आपकी नहीं हो गयी। उन्होंने कह दिया, “अहम् ब्रह्मास्मि”। वो अपनी बात कर रहे हैं। वो ब्रह्म हैं, आप नहीं ब्रह्म हो गए। ये उनकी चेतना का स्तर है कि वो कह पाए ये बात। और आपने कहा,
अकसर सुनने को मिलता है—‘युवा भारत की नई पहचान’। अगर आप किसी ऐसे युवा के साथ अपने को शामिल नहीं करते, जो आपके परिवार का न हो या आपके मित्र का पुत्र न हो, पूरी तरह से अपरिचित हो, तो यह पंक्ति हमेशा एक तटस्थ लगाव पैदा करती है। भारत विश्व का सबसे ज्यादा
बड़ा विचित्र लगता है जब हम Time बारे में सोचते है, लेकीन जब हम समय को जीते है तब बहुत सरल-सा लगता है। पर समय से अधिक शक्तिशाली कोई भी नहीं। और इसके उपर किसी का नियंत्रण नहीं होता अगर होता तो भगवान कृष्ण के होते हुये भी महाभारत क्यु होता ? और तो सुबह र
जो लोग समाधान प्रस्तुत करते हैं, दुनिया उनका सम्मान करती है और जो लोग समस्याएँ पैदा करते हैं, उनकी निंदा करती है। पर समाधान प्रस्तुत करने के लिए पॉजिटिव यानी सकारात्मक सोच बहुत जरूरी है, क्योंकि सकारात्मक से ही विचार प्रक्रिया संचालित होती है और समाध
जीवनपर्यंत मन किसी नए की तलाश में रहता है। उस तलाश को वो अक्सर ही किसी नए अनुभव, घर, गाड़ी इत्यादि से पूरी करने की अभिलाषा करता है। नए की तलाश मन को अक्सर ही एक आशा में बाँध देती है कि यदि बाहर की स्थितियाँ बदल जाएँ तो भीतर की बेचैनी भी मिट जाएगी।
विगत वर्षों में हमारे अधिकतर आई.टी. कार्यालय निश्चित स्थान पर 9 से 5 के परंपरागत काम के ढर्रे से काफी आगे निकलकर मोबाइल वर्क प्लेस और सुविधानुसार समय तक पहुँच गए हैं। रिक्रूटमेंट और परफॉर्मेंस रेटिंग स्वचालित हो चुके हैं। हाजिरी मोबाइल या हस्तचालित उ
आज बड़ी संख्या में भारतीय युवा क्षमतावान, समर्पित, दृढ-संकल्पित, आदर्शवादी और कड़ी मेहनत करनेवाले हैं। उनमें अद्भुत शक्ति, सामर्थ्य और क्षमता है। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का युवाओं को प्रबुद्ध बनाने के प्रति विशेष आग्रह था। यद्यपि डॉ. कलाम का पूरा
जीवन कभी हमारी सोच के हिसाब से नहीं चलता और इसमें समुद्र की तरह उतार-चढ़ाव होते रहते हैं। यह तूफान का सामना करने और हमारे द्वारा अपनाए जानेवाले जीवन-कौशल का नाम है। तीन महान् विभूतियों ने जीवन के बारे में समान बात कही है। नॉर्मन विन्सेंट पीएल ने कहा
जीवन सम्बन्ध है। व्यक्ति का व्यक्ति से सम्बन्ध, प्रकृति से सम्बन्ध, समाज से सम्बन्ध। इन सम्बन्धों का आधार क्या है? क्या है हमारे सम्बन्धों की वास्तविकता? क्या हमारे सम्बन्ध डर, लालच, मोह, आसक्ति की छाया मात्र हैं, या ये प्रेम की अभिव्यक्ति हैं? क्या
किसी भी अच्छी पहल को बस शुरू करने की जरूरत होती है। कुछ समय बाद उससे जुड़ी चीजें अपने आप अपनी जगह लेने लगती हैं और पहल को आगे ले जाती हैं, क्योंकि ऐसी पहल का मूल चरित्र होता है ‘अच्छाई’। आपके पास जो कभी था ही नहीं, उसे बनाने के लिए आप में जुनून होना
इस पुस्तक में 101 महान लोगों की प्रेरणादायक कहानियाँ हैं, जिन्होंने ग़रीबी, अशिक्षा और असफलता आदि तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हार नहीं मानी। सफलता की पाठय पुस्तक, जो मुश्किलों से संघर्ष करने की प्रेरणा देती है।
आज अगर आदमी प्रकृति के प्रति इतना हिंसक है, पेड़-पौधों के प्रति इतना हिंसक है, जानवरों के प्रति इतना हिंसक है, तो उसकी वजह ये है कि वो अपने शरीर के प्रति भी बहुत हिंसक है। शरीर से मुक्ति चाहते हो, तो शरीर को ‘शरीर’ रहने दो। जिन्हें शरीर से मुक्ति च
आज़ादी इन्सान का सबसे बड़ा सपना रही है। लेकिन आज़ादी के मायने क्या हैं? आज़ादी और ज़िम्मेदारी का सह-संबंध क्या है? जो कुछ हमने जाना है, अनुभव किया है, जो धारणाएं हमने संजो रखी हैं, जो शास्त्र-प्रमाण हमने अपने भीतर गढ़ लिए हैं, क्या उस सबसे आज़ाद हुए
आई हैव ए ड्रीम में उन लोगों की 20 मनोरंजक कहानियां हैं जिन्होंने समाज की भलाई के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है। इन लोगों के जन्म और शिक्षा, उनके बचपन और उनके संघर्ष और उनकी यात्रा की सफलता से शुरुआत करते हुए, रश्मि बंसल उनके जीवन का एक व्यापक कवरे
मृत्यु के बाद क्या होता है, इससे कहीं अधिक सार्थकता एवं प्रासंगिकता इस तथ्य की है कि मृत्यु से पहले के तमाम वर्ष हमने कैसे जिये हैं। मन-मस्तिष्क में समाये अतीत के समस्त संग्रहों, दुख-सुख के अनुभवों, छवियों, घावों, आशाओं-निराशाओं और कुंठाओं के प्रति प
‘‘मैं आपको सबसे छोटी, सबसे सीधी राह बताऊँ; आप जानना चाहेंगे? ये है सिर्फ़ अवलोकन करना और फिर वहीं समाप्ति। मतलब कि अवलोकन करना, देखना, ताकि कोई अवलोकनकर्ता, देखने वाला न हो, बगैर उस अतीत के अवलोकन करना। केवल तभी आप भय की उस सकलता को, पूरेपन को देख पात
इस प्रेरक और सक्षम पुस्तक में शेट्टी संन्यासी के रूप में अर्जित ज्ञान का लाभ लेकर हमें सिखाते हैं कि हम अपनी क्षमता और शक्ति की राह में आने वाले अवरोधों को कैसे हटा सकते हैं। प्राचीन बुद्धिमत्ता और आश्रम के समृद्ध अनुभवों को मिश्रित करने वाली यह पुस्
अपनी इस विशिष्ट पुस्तक में बेस्टसेलिंग लेखक, लीडरशिप कोच और पुराण-विद्या विशेषज्ञ देवदत्त पट्टनाइक बताते हैं कि किस प्रकार वस्तुनिष्ठता के आवरण के बावजूद आधुनिक प्रबंधन की जड़ें पश्चिमी मान्यताओं में हैं, जो कठोर उद्देश्यों को प्राप्त करने व शेयरहोल्ड
"अगर सारी कठिनाइयों से हार न मान कर मैं इतना कुछ हासिल कर सका हूँ तो कोई और भी ऐसा कर सकता है- यही संदेश है जो मैं इस पुस्तक के ज़रिये अपने देश के युवाओं को देना चाहता हूँ। इस पुस्तक से प्रेरित होकर यदि एक भी युवा अपना सपना हासिल कर लेता है तो मैं मा
इस पुस्तक में मैंने उद्यमियों के बहुत ज्यादा उदाहरण दिये हैं, इसका अर्थ यह नहीं है कि आप केवल उद्योगपति बनें, अपितु यह है कि उनकी सफलता से सीखें। वास्तव में हर क्षेत्र, चाहे वह सरकारी या निजी क्षेत्र में नौकरी हो, राजनीति हो या उद्यमों की दुनिया-हर ज