शीर्षक -सोच बदलना है!
रचनाकार -क्रान्तिराज
.
( पटना ,बिहार )
अनिल ने जोड तोड मेंहनत से अपनी बच्ची की
खुशी के लिए रात दिन एक करके थोडा पैसा कमाया और
इक्ठा किया ,पत्नि उर्मीला अपनी बच्ची के लिए अपनी
कुटीया को मानो महलों से प्यारी बना दिया ,अब बर्थ डे दिन
सारे समान केक ,बर्थ के गुबारा ,रंग -बिरंगे सजाने वाले
समान को लेते हुए,अपनी कुटीया खुशी से पहुँचा तो देखा कि
ये मेरी कुटीया की रौनक महलों से प्यारी ,उर्मीला सुनती हो ऐ
तेरा कमाल है ,तेरे दिल की खुशी देखकर आज मै बहुत ही
खुश हुँ ,आज तो मेरा दिल की ,अरमान में खुशीयों की बारिश
हो गई !आज मै बहुत बहुत खुश हुँ,बहुत बहुत धन्यवाद दाता,ईश्वर!
उर्मीला -शितल के पापा आप आ गये ,आप आये मानों मेरे
आंगन में बहार आ गये !बहुत बहुत धन्यवाद मेरा बच्ची की
पिता बनने के लिए !
अनिल-आपको भी उर्मीला बहुत बहुत धन्यवाद क्योकि मेरा
बच्ची शितल के लिए कुटीया को महल से प्यारी बना दिये ,मैं
फुले न समा रहा हुँ कि मेरे खुशीयां में खुशी आप का मिला
,मेरी बच्ची की अपनी बच्ची की खुशी में शामिल होने के लिए,
सिर्फ आप की शितल की हम दोनो की शितल है ,अनिल हाँ
उर्मीला हम दोनो का एक दुसरे गले लग गया,मानो खुशी की
सागर में नेहाने लगा !
चलो उर्मीला आपने ने तो मन कुछ संशय था वो भी खतम हो
गया ,चलो हम दोनो की खुशी में चार चाँद लगाते है !
अब बर्थ डे की सारी तैयारी कर लिया ,अब अपने महल्ला के
.
लोग अमंत्रित करते है ,सारे परिवार ,दोस्त,कटुम्ब को कह दिये
है ,उर्मीला मैने सभी को कह दिया है,आप भी दोस्त को कह दे ,
आज खुशी के मौके पर कोई संबंधी छुटे ना !
सभी सगी संबंधी को अमंत्रित किया गया कुटीया में रंग
-बिरंगे गुबारों से सजी कुटीया बहुत ही प्यारी लग रही है ,सजे
हुए दिवारे ,दूार ,सभी चमकिली सजी हुई ,चमचमाती रंगीन
धागो से बंधा हुआ त्रिकोण कटे रंगीन कागज की त्रिकोग
दिखने में बहुत ही प्यारी सी अनुभुति दे रही हो ,अकाश में
गुंजती हुई साँड की आवाजे बर्थ गीतो से खुशी की सागर में
दौड लगा रही हो !प्रेम से मिला हुआ,रिस्ते की मिलन भी चार
चाँद लगा रही हो ,खुशी छोटी छोटी बच्चे -बचीयां डांस रही हो
,प्यार की गंगा में नेहा रही हो !