भाग -3
शीर्षक-सोच बदलना है !
रचनाकार -क्रान्तिराज
( पटना ,बिहार )
उर्मीला-अच्छा तो बताइये ऐ
छोटी बच्ची कहाँ से लाये ,कहाँ थी प्यारी चुलबुल हम बताइये
कहाँ से इस बच्ची को लाये !बताइये तो !
अनिल -कुछ देरी तक सेचा मन में जो उलझन है इसे दुर करनी
और कोई आँप्सन तो नहीं है !
उर्मीला-बताइये तो आप बताइये तो ,हम भी जाने आपने क्यों
कहा!
अनिल- इस जडा के मौसम ठिठुरती ठंढ में किसी कर्महीन माँ
ने इसे सडक के किनारे छोड गया था ,मैने जाते हुए ,इस परी
को आवाज सुना और मानों मेरे पैर इसके पास जाने के लिए
ललाइत थी ,चंद समय में इसके पास पहुँच तो सुनसान सडक
पर रो रही बच्ची को गोद में लिया तो चुप हो गई,तब नेरे दिल
से आवाज आई,ऐही बच्ची मेरे सुखी बगीयों में खुशीयो की
बारिश करेगी और सीने से लगा लिया मेरा दिल खुशीयों से भर
गया ! इसी कारण हमने अपना बच्ची बनाने के लिए मन में
ठान लिया की दुनिया की हर खुशी अपनी बच्चा बच्ची को देते
उसी प्रकार अपनी बच्ची माना और अब दुनिया की हर खुशी
दुँगा,! दुनिया भी हमें गर्व से कहे कि पिता हो तो रिक्शा चालक
अनिल जी है , और हमें गर्व होगा कि हम भी बांझ नही एक
पुत्री के पिता है ! हमें अपनी बेटी पर गर्व होगा और मेरा
कर्तव्य होगा !
उर्मीला तुम इस बच्ची को स्वीकार करे और हमें बधाई
बच्ची को नामकरण कर के करे और प्रेम की बंधन बांध कर
जीवन भर माँ बेटी का दर्जा देने का प्रण करो तो हमें दुनिया
की खुशनशीव माता पिता बनुँ !
जिंदगी की हर खुशी पर समर्पीत करो और बेटी स्वर का
आनन्द पाओ !
उर्मीला- आप आज हमें धन्यवान् बना दिये मेरी खुशीया की
आंगन की बगीया को हरा भरा कर दिये ,आज हमें भी पुत्री
प्राप्ती की सुख की अनुभुति हो रही है ,आज हम दिल से खुश
है ! मेरी बेटी का नामकरण आप करेगे क्योकि आप ही
अधिकार है ,तो हम दोनो मिलकर नाम बच्ची का रखते है,"शीतल भारती " !
अगले भाग में पढे बच्ची की धीरे धीरे की
बढती उम्र की बढती चतुराई एवं विचार और संंस्कार भाग -4
में पढे !
( सधन्यवाद )