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सोच बदलना है !

23 अक्टूबर 2023

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                               भाग -3
                
                   शीर्षक-सोच बदलना है !

                          रचनाकार -क्रान्तिराज
                  
                     
               article-image                           (     पटना ,बिहार     )

            उर्मीला-अच्छा  तो बताइये  ऐ 

छोटी  बच्ची कहाँ से लाये ,कहाँ थी प्यारी चुलबुल हम बताइये 


कहाँ   से इस बच्ची को लाये !बताइये  तो !

अनिल -कुछ देरी तक सेचा मन में जो उलझन है इसे दुर करनी 

और कोई आँप्सन तो नहीं है !

उर्मीला-बताइये तो आप बताइये तो ,हम भी जाने आपने क्यों 

कहा!

अनिल- इस जडा के मौसम ठिठुरती ठंढ में किसी कर्महीन माँ 

ने  इसे सडक के किनारे छोड गया था ,मैने जाते हुए ,इस परी 

को  आवाज सुना और मानों मेरे पैर इसके पास जाने के लिए 

ललाइत थी ,चंद समय में इसके पास पहुँच तो सुनसान सडक 

पर रो रही बच्ची को गोद में लिया तो चुप हो गई,तब नेरे दिल 

से  आवाज आई,ऐही बच्ची मेरे सुखी बगीयों में खुशीयो की 

बारिश करेगी और सीने से लगा लिया मेरा दिल खुशीयों से भर 

गया  !  इसी कारण हमने अपना बच्ची बनाने के लिए  मन में 

ठान लिया की दुनिया की हर खुशी अपनी बच्चा बच्ची को देते

उसी प्रकार अपनी बच्ची माना और अब दुनिया की हर खुशी 

दुँगा,! दुनिया भी हमें गर्व से कहे कि पिता हो तो रिक्शा चालक 

अनिल जी है , और हमें गर्व होगा कि हम भी बांझ नही एक 

पुत्री के पिता है ! हमें अपनी बेटी पर गर्व होगा  और  मेरा 

कर्तव्य होगा !

      उर्मीला तुम इस बच्ची को स्वीकार करे और हमें बधाई 

बच्ची  को नामकरण कर के करे और प्रेम की बंधन बांध कर 

जीवन भर माँ बेटी का दर्जा देने का प्रण करो तो हमें दुनिया 

की खुशनशीव माता पिता बनुँ !

     जिंदगी की हर खुशी पर समर्पीत करो और बेटी स्वर का 

आनन्द पाओ !  

   उर्मीला- आप आज हमें धन्यवान् बना दिये मेरी खुशीया की 

आंगन की बगीया को हरा भरा कर दिये ,आज हमें भी पुत्री 

प्राप्ती की सुख की अनुभुति हो रही है ,आज हम दिल से खुश 

है !  मेरी बेटी का नामकरण आप करेगे क्योकि  आप ही  

 अधिकार है ,तो हम दोनो मिलकर नाम बच्ची का रखते है,"शीतल भारती " !

                     अगले भाग में पढे बच्ची की धीरे धीरे की 

बढती उम्र की बढती चतुराई एवं विचार और संंस्कार भाग -4 

में पढे !
              
                     ( सधन्यवाद )
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रचनाएँ
सोच बदलना है .
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शीर्षक-सोच बदलना है ! रचनाकार- क्रान्तिराज ( पटना,बिहार) यह कहानी की पात्र ,घटनाए सभी कालपनिक है किसी व्यक्ति विशेष से मिलता जुलता नही है ,नही नाम वस्तु सात्विक है ! यह कहानी के दूारा समाज में उभरते भेद भावना ,गलत मानसिकता ,गलत नजरीये वाले लोगो को सही समाज की रूप रेखा को बदलने की क्रोशिश करने की कथन है ,जिससे समाज में नई दिशा मिल सके! भाग -1 ---------- एक रिक्साचालक अनिल झुगीं झोपडी में नाले के किनारे रह कर रिक्सा चलाकार अपने परिवार का पालन पोषण करता है ! अनिल की शादी का करीब दस साल हो गया था लेकिन एक भी संतान नहीं था दोनो पति पत्नि उदास रहती ,लेकिन उदास रहने से पेट न चल पायेगी !खुश रहने का बहुत ही क्रोशिश करता लेकिन खुश न रह पाता ! जाडे के मौसम में घने कोहरे लगी हुई ,हल्के ओस की फालसी की फुहारे गिर रही थी ! अनिल के मारा सुवह कोहरे में ही रिस्सा निकाल कर सडक पर चले जा रहा था कि अचानक एक बच्ची के रोने की अवाज सुनाई दी फिर सुनिल आगे बढे जा रहा था जैसे जैसेअनिल निकट जा रहा था कि बच्ची की रोने की अवाजे और गुँज रही थी !जब . पहुँचा तो देखा कि बहुत ही मनमोहक दुध का प्यासा भुख कारण रो रही थी कपडे शीत से उपर वाला कपडा तौली भींगा हुआ हाड कपने वाली ठंड मे सर्द हवाओ की झेको प्राकृति के गोद में घिरे उस छोटी बच्ची को ढक रही थी कि इसे जाडा का ऐहसास न हो ! बेचारा अनिल सोचा कि हमारे भाग्य ऐही बच्ची लिखी हुई थी ऐ मेरी न्यन प्यारी पत्नि उर्मीला की सुनी गोद इसी कारण थी !अनिल उस बच्ची को गोद में लेता है और गले लगा लेता है !अनिल के दिल में मानों खुशी लहरो में उछल पडा हे ईश्वर तेरा लाख लाख दुआ मेरी आंगन में नन्ही सी पडी मेरे सुखे बगीया को तुने हरा भरा कर दिया !

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