भाग -2
शीर्षक -सोच बदलना है !
रचनाकार-क्रान्तिराज बिहारी
भगवान की दुआ से अनिल के दिल में खुशी की बारिश
हो रही है,मानो दुनिया की सारी दौलत मिल गया हो !
पंक्ति-जमाने की परवाह हम क्यो करे
बच्ची मिली खुशी मिल गई
दुनिया की सारी खुशी देगे हम
आज मेरी बगीया की कली खिल गई!
अनिल के दिल में मानो खुशी की सागर उमर गई !अब बच्ची
को गोद में उठाये हुए ,अपनी रिक्शा के पास आता है !
भगवान को लाख लाख शुक्र करते हुए रिक्शा पर बैठ जाता है
और जमाने की बिना परवाह करते हुए,आगे बढ रहा है,लेकिन
मन मे कई सवाल तैरने के लिए तैयार है ,किस किस सवाल
का हल निकालु ,क्या सही ,क्या गलत है ! कभी कभी जमाने
की सोच दिमाग में दस्तक दे रहा है कि गैर बच्ची का गोद लिया ,
जिसका ना जात का पता,ना धर्म का पता क्या कहेगे ,लोग
क्या बतायेगे जमाने को जब सवाल करेगे तब मन में सवालो
से उलझा हुआ सागर में डुबा इंसान की तरह बेवस अनिल
बना हुआ है !
लेकिन अनिल की आँखो में बच्ची की मिलने की खुशी है,जो
तरह की सवालो को फिका किये है!
मन में कई सवाल भी लेकिन सिर्फ और सिर्फ मानवता
,इंसानियत ,बच्ची के पिता बनने की खुशी हर सवाल को
दरकिनार कर रही हो ,अनिल के मन इंसानियत जाग उठी थी
कुछ ही पल में बच्ची से एक गहरा रिस्ता बन चुका है! दरवाजे
की खुशी इंकार तो नही एकरार जरूर है! कुछ भी कहे
जमाना हम झुकने वालो में से नही ,नही टुटने वालो में से अब
अनिल अपने झोपडीनुमा घर की निकट आ रहा है !क्या मेरी
पत्नि स्वीकार करेगी,क्या बच्ची को खुशी दे पाऐगी !क्या
अपनी गोद में जगह देगी ,क्या माँ की तरह खुशी दे पाऐगी
,क्या नजर मेरा कर्म पर पडेगा कि नही सारी सवाल उठती
हुई,प्यार की सागर में गोता लगा रहा है ,अनिल अपनी
झुपडीनुमा घर के निकट पहुच जाता है ,आवाज आती है कि
आप घर क्यो लौट आए , क्या मन आपका ठीक है कि नही
पत्नि घबराटे हुई ,बोल पडी !
अनिल नही धर्मपत्नि जी आपके लिए कुछ उपहार लाये है
तेरे लिए ,क्या लाये है ,मेरे लिए कौन सा उपहार लाये हम भी
तो देखे क्या उपहार लाये है !
अनिल आप आँख मुनीये तब मै दिखता हुँ , धर्मपत्नि
आँख मुनती हाथ फैलाती है!
अनिल खुश होते हुए बच्ची को पत्नि की गोद में देती
है ,बच्ची सो रही थी ,गोद जाते ही जाग गई और रोने लगी !
पत्नि अनिल से पुछती है कि ऐ बच्ची किसका है ,आप कहे
कि उपहार लाये है !लेकिन बच्ची तो रो रही है ,किसका है
,कहां से लाये है !अनिल कहता है कि घर चले तो सारी बाते
बताते है ! तुझको मेरी कसम ........
अनिल कसम देकर पत्नि को शांत हो कर बच्ची को चुप
करने को कहता है ,मानो ऐ बच्ची तुम्हारी है ,हमने बडे सोच
समझ कर ऐ कदम बढाये है ,मेरे मनोवल को न तोडना ,तुम
खुशी खुशी बच्ची को चुप करो दुध का इंतेजाम करो !
अगले भाग में पढे कि क्या अनिल की पत्नि बच्ची के
बारे मे सारी बाते बताऐगा तो कवुल करेगी या नही ,अगले
भाग को पढे!
( सधन्यवाद )