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सोच बदलना है !

22 अक्टूबर 2023

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                            भाग -2

             शीर्षक -सोच बदलना है !

                     रचनाकार-क्रान्तिराज बिहारी 

   भगवान की दुआ से अनिल  के दिल में खुशी की बारिश 

हो रही है,मानो  दुनिया की सारी दौलत मिल गया हो !


पंक्ति-जमाने की परवाह हम क्यो करे
    
        बच्ची मिली खुशी मिल गई
       
         दुनिया की सारी खुशी देगे हम
      
            आज मेरी बगीया की कली खिल गई!



अनिल के दिल में मानो खुशी की सागर उमर गई !अब बच्ची 

को गोद में उठाये हुए ,अपनी  रिक्शा के पास आता है !

भगवान को लाख लाख शुक्र करते हुए रिक्शा पर बैठ जाता है 

और जमाने की बिना परवाह करते हुए,आगे बढ रहा है,लेकिन 

मन मे कई सवाल तैरने के लिए तैयार है ,किस किस सवाल 

का हल निकालु ,क्या सही ,क्या गलत है ! कभी कभी जमाने 

की सोच दिमाग में दस्तक दे रहा है कि गैर बच्ची का गोद लिया ,
जिसका  ना जात का पता,ना धर्म का पता क्या कहेगे ,लोग 

क्या बतायेगे जमाने को  जब सवाल करेगे तब मन में सवालो 

से उलझा हुआ सागर में डुबा इंसान की तरह बेवस अनिल 

बना हुआ है !

लेकिन अनिल की आँखो में बच्ची की मिलने की खुशी है,जो 

तरह  की सवालो को फिका किये है!

मन  में कई सवाल भी लेकिन सिर्फ और सिर्फ  मानवता 

,इंसानियत ,बच्ची के पिता बनने की खुशी  हर सवाल को 

दरकिनार कर रही हो ,अनिल के मन इंसानियत जाग उठी थी 

कुछ ही पल में बच्ची से एक गहरा रिस्ता बन चुका है! दरवाजे 

की   खुशी इंकार तो नही एकरार जरूर है! कुछ भी कहे 

जमाना हम झुकने वालो में से नही ,नही टुटने वालो में से अब 

अनिल अपने झोपडीनुमा घर की निकट आ रहा है !क्या मेरी 

पत्नि  स्वीकार करेगी,क्या बच्ची को खुशी दे पाऐगी !क्या 

अपनी  गोद में जगह देगी ,क्या माँ की तरह खुशी दे पाऐगी 

,क्या  नजर  मेरा कर्म पर  पडेगा कि नही सारी सवाल उठती 

हुई,प्यार की सागर में गोता लगा रहा है ,अनिल अपनी 

झुपडीनुमा घर के निकट पहुच जाता है ,आवाज आती है कि 

आप घर क्यो लौट आए , क्या मन आपका ठीक है कि नही 

पत्नि घबराटे हुई ,बोल पडी !

     अनिल नही धर्मपत्नि जी आपके लिए कुछ उपहार लाये है 

तेरे लिए ,क्या लाये है ,मेरे लिए कौन सा उपहार लाये हम भी 

तो देखे क्या उपहार लाये है !

       अनिल आप आँख मुनीये तब मै दिखता हुँ , धर्मपत्नि  

आँख मुनती हाथ फैलाती है!

             अनिल खुश होते हुए बच्ची को पत्नि की गोद में देती 

है ,बच्ची सो रही थी ,गोद जाते ही जाग गई और रोने लगी ! 

पत्नि  अनिल से पुछती है कि ऐ बच्ची किसका है ,आप कहे 

कि उपहार लाये है !लेकिन बच्ची तो रो रही है ,किसका है 

,कहां  से लाये है !अनिल कहता है कि घर चले तो सारी बाते 

बताते  है ! तुझको मेरी कसम ........

         अनिल कसम देकर पत्नि को शांत हो कर बच्ची को चुप 

करने  को कहता है ,मानो ऐ बच्ची  तुम्हारी  है ,हमने बडे सोच 

समझ कर ऐ कदम बढाये है ,मेरे मनोवल को न तोडना ,तुम 

खुशी खुशी बच्ची को चुप करो दुध का इंतेजाम करो !

            अगले भाग में पढे कि क्या अनिल की पत्नि बच्ची के 

बारे मे सारी बाते बताऐगा तो कवुल करेगी या नही ,अगले 

भाग को पढे!




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                   (  सधन्यवाद )
        
 
             
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रचनाएँ
सोच बदलना है .
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शीर्षक-सोच बदलना है ! रचनाकार- क्रान्तिराज ( पटना,बिहार) यह कहानी की पात्र ,घटनाए सभी कालपनिक है किसी व्यक्ति विशेष से मिलता जुलता नही है ,नही नाम वस्तु सात्विक है ! यह कहानी के दूारा समाज में उभरते भेद भावना ,गलत मानसिकता ,गलत नजरीये वाले लोगो को सही समाज की रूप रेखा को बदलने की क्रोशिश करने की कथन है ,जिससे समाज में नई दिशा मिल सके! भाग -1 ---------- एक रिक्साचालक अनिल झुगीं झोपडी में नाले के किनारे रह कर रिक्सा चलाकार अपने परिवार का पालन पोषण करता है ! अनिल की शादी का करीब दस साल हो गया था लेकिन एक भी संतान नहीं था दोनो पति पत्नि उदास रहती ,लेकिन उदास रहने से पेट न चल पायेगी !खुश रहने का बहुत ही क्रोशिश करता लेकिन खुश न रह पाता ! जाडे के मौसम में घने कोहरे लगी हुई ,हल्के ओस की फालसी की फुहारे गिर रही थी ! अनिल के मारा सुवह कोहरे में ही रिस्सा निकाल कर सडक पर चले जा रहा था कि अचानक एक बच्ची के रोने की अवाज सुनाई दी फिर सुनिल आगे बढे जा रहा था जैसे जैसेअनिल निकट जा रहा था कि बच्ची की रोने की अवाजे और गुँज रही थी !जब . पहुँचा तो देखा कि बहुत ही मनमोहक दुध का प्यासा भुख कारण रो रही थी कपडे शीत से उपर वाला कपडा तौली भींगा हुआ हाड कपने वाली ठंड मे सर्द हवाओ की झेको प्राकृति के गोद में घिरे उस छोटी बच्ची को ढक रही थी कि इसे जाडा का ऐहसास न हो ! बेचारा अनिल सोचा कि हमारे भाग्य ऐही बच्ची लिखी हुई थी ऐ मेरी न्यन प्यारी पत्नि उर्मीला की सुनी गोद इसी कारण थी !अनिल उस बच्ची को गोद में लेता है और गले लगा लेता है !अनिल के दिल में मानों खुशी लहरो में उछल पडा हे ईश्वर तेरा लाख लाख दुआ मेरी आंगन में नन्ही सी पडी मेरे सुखे बगीया को तुने हरा भरा कर दिया !

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