शीर्षक-सोच बदलना है !
रचनाकार-क्रान्तिराज
( पटना,बिहार )
शीतल भारती धिरे धिरे उम्र बढती जा रही
है ,सुदरता तो चार चांद मानो तारो की तरह चमकती आँखे
कोयल से भी मीठी सुरीली बोली सब का मन को मोह लेती है ,
अपनी माता पिता की सेवा में तत्पर रहना ,हमेशा मम्मी पापा
की बातो पर अमल करना ,हमेशा अपनी छोटी सी गुडिया के
साथ खेलना और समय बिताना नित दिन का काम को बढे
रोचक तरीके से करती रहती , जब हँसती तो उर्मीला को खुशी
का ठिकाना न रहता , शीतल एक वर्ष की होने वाली है,
लेकिन मानों की संसार की सभी उसमें समाहित हो ,किसी के
भी बातों को सुनती और उसके बाद बोलने की क्रोशिश करती
सारे मुहल्ले वाले बच्ची को देखते और खुश हो जाते ,मानो वह
बच्ची भगवान का स्वारूप हो ,दिन पर दिन बढती उम्र के साथ
साथ संस्कार कुट कुट के समाहित हो ,धिरे धिरे शितल की
पहली बर्थ डे निकट आ रही है ,उर्मीला अनिल से कहती है
अपनी बच्ची को खुशी में चार चाँद लगाने की समय आता जा
रहा है !
अनिल-क्या बोल रही हो उर्मीला हम समझे ना
उर्मीला-शितल के बर्थ डे निकट आ रहा है ,बर्थ डे के लिए
तैयारी तो करनी है ,शितल की कुछ नये कपडे तो लेना होगा,
केक के साथ समाग्री भी लेना होगा , हम खुशनशीव है जो मेरी
बच्ची भगवान के दुआ से मिली ,मेरी सुखी बगीया में हरियाली
छा गई,वरना ऐ दुनिया तना दे देकर परेशान करती ,कहती की
एक भी छुछुंदर भी न हुआ,हमें लोग बांझी कहकर बोलाता ,
इस ताना को सुनना बडी कष्टदायक यानि दिल में दुख की
पीडा होता ,ये जमाने किसी भी नही छोडती यदि खुशी से दो
वक्त के कोई रोटी खाता तो लोग जलते है और दुख रहीये तो
लोग हँसते यहि दुनिया की रित है!
अनिल-ऐ सब क्यो सोच रही हो उर्मीला भगवान घर देर
होता है,अंधेर नही होता ,हमें भगवान दुख दिया कि गरीव घर
जन्म हुआ,लेकिन अपनी तन की बदौलत दो रोटी खा रहा
हुँ,भगवान से ऐही मिनती करूगा कि हमपे सदा हाथ रखना
सदा हमारे परिवार को खुश रखना !
अनिल-शितल को बच्ची की तरह नही बच्चा की तरह परवरिश
करूगा,कपडे भी अपनी मनपसंद पेहनाऊगा ,बर्थ डे के लिए
जितोड मेहनत करूगा ,कल हमें खाना घर नही रिक्शे पर
खाना रात दिन जागना पडे ,लेकिन शितल के बर्थ डे शान
शौकत से मनाऊगा !
बातो ही बातों कब सवेरा हो जाता है ,पता नही चलता ,अनिल
अपना रिक्शा लेकर शहर की गलियों में निकलता है ,हे
भगवन मेरा मन का मुरादा पुरा करना ,अपनी शितल की
खुशीया में चार चाँद लगा सकुँ !
आगे की कहानी भाग-5 में पढे क्या शितल
की बर्थ डे मना पाता है कि नही या खुशी से मनाता अगले
भाग में पढे !
( सधन्यवाद )