लखनऊः प्रदेश सरकार अपने मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसरों को लंबी नौकरी की सौगात देने जा रही है। 65 वर्ष की आयु में अधिवर्षता आयु पूर्ण करने वाले प्रोफेसर जल्द ही 70 साल की उम्र तक बच्चों को डॉक्टरी पढ़ाएंगें।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन से लेकर चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डॉ. वीएन त्रिपाठी तक का मानना है कि प्रोफेसरों का सेवाकाल बढ़ाने से असल फायदा तो मेडिकल छात्रों को ही होगा।बढ़ती आबादी को रोगमुक्त रखने के लिए डॉक्टरों तो ज्यादा चाहिए तो डॉक्टर तैयार करने वाले मेडिकल कॉलेज भी बढ़ाने होंगे। प्रदेश की नई सरकार ने इसी उद्देश्य से 25 नए मेडिकल कॉलेज और छह एम्स शुरू करने की घोषणा की तो शिक्षकों की कमी रास्ता रोक कर खड़ी हो गई। चिकित्सा शिक्षा मंत्री टंडन बताते है कि इसीलिए पहले अब मेडिकल फैकल्टी यानी चिकित्सा शिक्षकों की कमी दूर की जाएगी, फिर कॉलेज बढ़ाए जाएंगे। महानिदेशक डॉ. त्रिपाठी का कहना है कि अलग-अलग मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर के कुल 1745 पदों में से पांच से 45 फीसद तक पद खाली पड़े है। यानी मेडिकल कॉलेजों में औसतन एक चौथाई शिक्षक है ही नहीं।
चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक बताते है कि नए मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी कम होने पर एमसीआइ से मान्यता मिलने में संकट हो सकता है, इसलिए शासन ने प्रोफेसरों की रिटायरमेंट उम्र बढ़ाने के साथ ही विशष भत्ता देकर निजी क्षेत्र से विशेषज्ञ चिकित्सा शिक्षकों को लाने की भी योजना बनाई है।
प्राइवेट सेक्टर में विशेषज्ञ चिकित्सा शिक्षकों की अधिक आय से मुकाबला करने के लिए ही खास एलाउंस का प्रस्ताव बानाया जा रहा है, जबकि दूरस्थ मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षकों की उपलब्धता बनाए रखने के लिए भी उन्हें हाई एरिया एलाउंस देने पर विचार किया जा रहा है।
दूरदराज के मेडिकल कॉलेजों के शिक्षक खुद को उपेक्षित या कमतर न समझें, इसलिए उन्हें भी केजीएमयू और लोहिया संस्थान के शिक्षकों के समान वेतन व भत्ते देने का प्रस्ताव भी बनाया जा रहा है।