नई दिल्ली : कल तक जिस भाई को दिल से लगाकर रखा था. गुरुवार को जैसे ही उस भाई शिवपाल ने समाजवादी पार्टी के समस्त पदों से इस्तीफा आगे बढ़ाया पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव की आंखे आंसुओं से भर आयीं. यही नहीं चेहरे का वह तेज भी गायब हो गया, जो हमेशा उनके चेहरे पर झलकता था. यह फैसले की वह घडी थी, जिसमें उनके अपने ही उनसे दूर हो गए थे. एक तरफ जहां उनका छोटा भाई शिवपाल था तो दूसरी तरफ उनका बेटा.
मझदार में फंसे मुलायम कुछ नहीं कर सके
बीच मझदार में फंसे मुलायम करना तो बहुत कुछ चाहते थे, लेकिन वह चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते थे. दरअसल सबसे बड़ी दिक्कत ये थी कि अगर वह भाई का पक्ष लेते हैं तो बेटा अखिलेश नाराज हो जायेगा और अगर बेटे का पक्ष लेते हैं तो भाई शिवपाल नाराज हो जायेंगे. हालाँकि मुलायम को यह उम्मीद नहीं थी कि शिवपाल उनके समझाने के बाद उनका साथ छोड़ देंगे. इसीलिए कालिदास मार्ग पर मुलायम से मिलने पहुंचे शिवपाल और अखिलेश के लिए खाने का भी प्रबन्ध किया गया था.
चाचा- भतीजे की लड़ाई ने पकड़ा तूल
मुलायम को इस बात कि उम्मीद भी नहीं थी की न शिवपाल उनकी बात मानेंगे और न ही अखिलेश. लेकिन जब दोनों के बीच नेताजी ने विवाद सुलझाने की कोशिश की तो दोनों मसलन चाचा शिवपाल और भतीजे यानि सीएम अखिलेश अपनी -अपनी बात को लेकर अड़ गए और मुलायम सिंह की बात मानने से इंकार कर दिया. जिंदगी के इस लंबे समय में आज तक मुलायम कुनबे में किसी ने भी नेताजी की बात काटने का दुःसाहस नहीं किया था. इसलिए मुलायम दुखी हो गए. कमरे में मौजूद परिवार के एक सदस्य ने बताया की वह फुट-फुट कर रोये भी, लेकिन न तो भाई ने उनकी बात मानी और न ही बेटे ने.
मुलायम ने चार दशक राजनीति में नहीं झेला इतना बड़ा दुःख
अपने राजनीति चार दशक यूपी में पर कर चुके मुलायम के सामने इतने बड़े-बड़े संकट आये, लेकिन उनका साथ परिवार के किसी भी शख्स ने नहीं छोड़ा था. जिसके चलते पहली बार दोनों परिवारों के बीच दिवार खिंच गयी. एक तरफ जहां शिवपाल के साथ उनकी पत्नी सरला और बेटे आदित्य और ससुर राण विजय थे तो दूसरी तरफ मुलायम के साथ उनके बेटे अखिलेश बहु डिंपल और पत्नी साधना गुप्ता, बेटा प्रतीक और सबसे छोटी बहु अर्पणा थीं. दोनों भाइयों के बीच बढ़ी दूरी से चूल्हे भी अलग हो गए.
और टूट गयी इटावा के राम-लक्ष्मण की जोड़ी
पश्चमी उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में कभी मुलायम और भाई शिवपाल की उम्र में 10 साल का अंतर होने के बाद भी जनता कोई फर्क नहीं समझती थी. यही नहीं इन भाईयों की जोड़ी को लोग राम- लक्ष्मण की जोड़ी के नाम से भी पुकारते थे. आज उन्हीं भाईयों के बीच ऐसी दरार पड़ी की एक पल में दोनों एक दूसरे का साथ छोड़कर चले गए. बहरहाल पहली बार हुए मुलायम के परिवार में इस बंटवारे को लेकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में बहुत बड़ा भूचाल आ गया है.देर रात तक शिवपाल खेमे के लोग कालिदास मार्ग पर प्रदर्शन करते रहे.