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इश्क़ का ओटीपी...! (एक झलक)

7 सितम्बर 2021

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एक झलक....(◍•ᴗ•◍)

कभी कभी किसी की वफ़ा ताहयात महज पहेली बन कर रह जाती है, जिन्हें हम चाहते हैं कुछ वक्त बाद उन्हें किसी और की चाहत हो जाती है, जिन्हें वह चाहते हैं इत्तफ़ाक से उन दिनों उन्हें भी किसी की तलाश रहती है। अब किस्मत कुछ इस कदर रुख मोड़ती है कि एक की तलाश, दूजे की चाहत से मिलकर खत्म हो जाती है और हमें हमारी ज़िंदगी वफ़ा के बीच राहों में तन्हा छोड़ जाती है, और हम ताउम्र असमंजस में रहते हैं कि उनसे जो प्यार हमें माजी ( बीता वक्त या अतीत ) में मिला था, वह हकीकत था या फसाना ! और फ़िर हम खुदा से गुजारिश करते हैं कि "ऐ खुदा ना करना मुझको अब ऐसी खुशियों से रोशन, वरना मैं यही समझूंगी कि एक दिन ये चंद पल की खुशियां भी चली जाएंगी मुझसे दूर.... मेरा दिल तोड़ कर।

जी हां कुछ ऐसा ही हुआ था, मेरी दोस्त सोनिया के साथ उसकी वफ़ा अब ताउम्र एक पहेली बन कर रह गई है। 

(अभी के लिए इतना ही। आगे की कहानी और कहानी  में आने वाले मोड़ से वाकिफ होने के लिए आप जुड़े रहिए, मेरे और मेरी कहानी के अगले भाग के साथ।)
वर्तिका सिंह

वर्तिका सिंह

शुरुआत मज़ेदार है।👍💐

22 सितम्बर 2021

21 सितम्बर 2021

Shailesh singh

Shailesh singh

अच्छी शुरुवात कहानी की अगले भाग का इतंज़ार रहेगा🤗

7 सितम्बर 2021

4
रचनाएँ
इश्क़ का ओटीपी...!
5.0
"इश्क़ का ओटीपी" एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करेगा, जो विश्वशनीय व सात्विक प्रेम को ना दरसा कर... प्रेम के बदलते स्वरूप अर्थात आधुनिक प्रेम को पेश करेगा। आज की तारीख का वह रिश्ता जिसकी शुरुआत दोस्ती से हो कर प्यार तक का सफ़र तय कर वापस दोस्ती के शुरुआती कदम पर आ ठहरती है। मुझे उम्मीद है, कि हमारे प्यारे पाठक... आज़ कल के सच्चे नहीं, कच्चे प्रेम की दास्तां जानने के लिए मेरे साथ प्रत्येक भाग में जुड़े रहेंगे। आकर्षक बिंदु यह है, की यह कहानी एक लेखिका के सलाई रूपी कलम से बुनी गई कोई काल्पनिक कथा नहीं, अपितु कॉलेज के दिनों में देखी और महसूस की गई, अपनी ही करीबी दोस्त की सच्ची दास्तां है। जो आपको ना सिर्फ़ आनंद प्रदान करती है, बल्कि रिश्तों को निभाने का अदब भी सिखाती है। (◕ᴗ◕✿)

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