लखनऊ : मनु के समय आए जल प्रलय को व्यापक रूप से एक पौराणिक घटना माना जाता है। साथ ही ये भी कहा जाता है कि जब जल प्रलय आया था तब सरस्वती नदी का अस्तिव था। जबकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के महानिदेशक रह चुके बीबी लाल ने अपने शोध पत्र में ये दावा किया था कि जब पृथ्वी पर जल प्रलय आया था तब सरस्वती नदी अस्तित्व में नहीं थी। उन्होंने सोमवार को भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) द्वारा आयोजित एक सेमिनार में अपने शोध पत्र को पेश किया था। भारतीय विशेषज्ञों के मुताबिक, हड़प्पा सभ्यता के दौरान मानव बस्तियों को विकसित किया गया था। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार मनु पृथ्वी का पहला राजा और भारत के सभी राजाओं के पूर्वज थे। उनके बारे में एक कहानी काफी प्रसिद्ध है। वो कहानी पृथ्वी पर जल प्रलय की है। जो पृथ्वी पर सबकुछ नष्ट कर देती है।
पृथ्वी पर जल प्रलय आया था
लाल ने पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर पाया कि जब मनु के काल में पृथ्वी पर जल प्रलय आया था तब सरस्वती नदी लुप्त हो चुकी थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, शोध पत्र में बताया गया है, ‘पुरातात्विक रूप से सरस्वती की भारी बाढ़ 2000-1,900 ईसा पूर्व के आसपास या मोटे तौर पर, दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के पहले चरण में आई। मनु के जल प्रलय का भी ठीक यही वक्त था जो ऋग्वेद के बाद आई, पर दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के शुरू होने से पहले। क्या अब भी हमें मनु के समय के आए जल प्रलय को काल्पनिक मानना चाहिए?’ कुमाऊं विश्वविद्यालय के पूर्व उपाध्यक्ष प्रोफेसर के.एस वालियाडिया ने कहा कि पौराणिक सरस्वती नदी ने हड़प्पा सभ्यता के मानव बस्तियों का पोषण किया था, लेकिन जब भौगौलिक परिवर्तन हुआ तब सरस्वती नदी धीरे-धीरे सिमट गई और अब केवल यह बरसाती नाला बनकर रह गई है।
सरस्वती नदी सबसे महान और विशाल नदी थी
वालियाडिया ने रिपोर्ट के आधार पर कहा, ‘ऋग्वेद और पुराणों में इस नदी को लेकर वर्णन किया गया है कि भारत की नदियों में सरस्वती नदी सबसे महान और विशाल नदी थी। ब्रिटिश सरकार के राजस्व रिकॉर्ड इसे ‘सरस्वती’ या ‘सरसुती’ के रूप में दर्शाते हैं।’लाल अभी एक ही विषय पर अपने किताब लिख रहे हैं। उनकी किताब ‘राम’, हिस्टोरिसिटी, ‘मंदिर और सेतु’, ‘एविडेंस ऑफ लिटरेचर’,इसके अलावा पुरातत्व और अन्य वि ज्ञान की किताबों ने काफी विवाद पैदा किया था। क्योंकि उसमें बाबरी मस्जिद के नीचे एक हिंदू मंदिर संरचना की बात कही गई थी।
क्या है आईसीएचआर ? भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला एक शोध संस्थान है। ‘पहली सहस्राब्दी ईसा पूर्व पुरातनता, निरंतरता और सभ्यता और संस्कृति के विकास’ विषय पर आधारित तीन दिवसीय इस सेमिनार का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को करना था। लेकिन वो सेमिनार में शामिल नहीं हो सके।