धीमे-धीमे सुलगती,जिंदगी सिगरेट-सी।तनाव से जल रही,हो रही धुआं-धुआं।जिंदगी सिगरेट-सी,दुख की लगी तीली !भभक कर जल उठी,घुलने लगा जहर फिर!सांस-सांस घुट उठी,जिंदगी सिगरेट- सी ।रोग दोस्त बन गए,फिज़ा में जहर मिल गए।ग़म ने जब जकड़ लिया,खाट को पकड़ लिया।मति भ्रष्ट हो चली,जिंदगी सिगरेट- सी।धीमे-धीमे जल उठी,फूंक
मैने सिगरेट कैसे छोडी मैं सिगरेट का आदि था ओर एक दिन मे तीस सिगरेट पीता था| तकरबिन 40 साल पुरानी मेरी ये आदत थी| मेरी पत्नी ओर बेटा बेटियाँ सभी को नेरी इस आदत से परेशानी थी ओर वो सभी मुझे इस व्यसन को छोड़ने का आग्रह करते थे परुन्तु मैं एक कान से सुन कर दूसरे कान से निकाल देता था|यहाँ तक की मेरी पत्