लखनऊ:ATM से चार बार सेअधिक पैसा निकालने पर बैंक द्वारा लिए जाने वाले 150रु. का टैक्स और 23रु. सर्विस चार्ज अर्थात कुल मिलाकर 173 रु.की कटौती का सोशल मीडिया पर प्रबल विरोध किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि बैंक मनमाने रूप से जनता के गले पर छुरा फेर रहे है।
नोटबन्दी के बाद बैंको ने अचानक खाताधारकों के ऊपर कुछ दंडात्मक कार्यवाहियां अपने स्तर से आरंभ कर दी है जैसे खाते में minimum balance के रूप में नियत धनराशि न होने पर खाता धारक के खाते से प्रति माह दंड स्वरूप धनराशि की कटौती,खाता बन्द कराने पर जुर्माना और ATM से पैसे निकालने पर टैक्स और सर्विस चार्ज के रूप में पैसे की वसूली।
सोशल मीडिया पर जो संदेश प्रसारित हो रहा है,वह बैंको से अधिक सरकार के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। जनता को जब ATM से पैसे नही मिलते है तो उसके एवज़ में बैंको के ऊपर कोई दंड आरोपित नही होता है।ATM में पैसा न होने पर भी यदि आपने अपना कार्ड ATM में swip कर दिया तो उसकी गिनती एकबार कर ट्रांसशन में हो जाती है और आप टैक्स के देनदार हो जाते है।
सोशल मीडिया पर यह भी उल् लेख किया जा रहा है कि कमाओ तो टैक्स,बचाओ तो टैक्स,बैंक में जमा करो तो टैक्स और जब अपना ही पैसा निकालो तो फिर टैक्स।सरकार अनावश्यक टैक्स के भार से ही जनता की गाढ़ी कमाई पर डाका डाल रही है। अपने इन तर्कों के साथ जनता से अपील की जा रही है कि वह 6 अप्रैल 2017 को एक दिन बैंको या ATM के माध्यम से किसी प्रकार का लेनदेन न करे ताकि बैंक और सरकार को पब्लिक पावर का पता चल सके।
साकार के ऊपर यह आरोप भी है कि नोटबन्दी के समय बैंक में पहले पैसा जमा कराया और फिर उसे निकालने नही दिया। अब जब निकालने जाओ तो टैक्स और सरचार्ज दो !
सोशल मीडिया पर यह चेतावनी भी दी जा रही है कि यदि अभी हम सब एक न हुए तो बैंक अपना कमीशन का निर्णय वापस नही लगा और फिर एक नया टैक्स थोप देगा।जनता से बार बार अपील की गई है कि 6 अप्रैल को ट्रांसक्शन न करे और फिर भी बैंक नही मानता है तो 24,25 और 26 को पुनः पब्लिक पावर दिखाने के लिए तैयार रहे।