देहरादून: हरिद्वार के लक्सर में एक आठ साल के मासूम की केवल गोबर के उपले फोड़ देने के कारण उंगली काट दी गई। दरअसल रमेश कुमार(60) और शुभम(24) को मासूम आर्यन का गोबर के उपले तोड़ना इतना नाग़वार ग़ुज़रा कि उन्होनें मासूम की उंगली काट ली. बच्चे का पिता कटी हुई उंगली को लेकर घूमता रहा और फिर थाने पहुंचकर पुलिस को पूरा मामला बताया. जिस उपले के फूटने पर मासूम की उंगली काटी गई उसकी कीमत 50 पैसे से भी कम है. 6 दिन पहले हुई इस घटना के आरोपियों को पुलिस ने बुधवार शाम हिरासत में ले लिया। सूबे में लगातार होती ऐसी घटनाएं यह बताती हैं कि सूबे के मुखिया हरीश रावत को इतनी भी फ़ुर्सत नहीं कि वो अपनी जनता की सुध भी लें। कुछ ही रोज़ पहले उनकी ही रैली में एक बुज़ुर्ग की तड़प तड़प कर जान चली गई थी सीएम रावत तब भी न जान कहां व्यस्त थे और अब भी। सीएम हरीश रावत का जनता के प्रति कुछ तो कर्तव्य है न आखिरकार सूबे के मुखिया हैं हरीश रावत?
हरीश रावत के राज में दलित का हाल बेहाल
दरअसल यह मामला लक्सर क्षेत्र के भूरना गांव का है. जहां पीड़ित के पिता रोहताश ने पुलिस को दी गई तहरीर में बताया कि उसके आठ साल के दलित बेटे की गंडासे से उंगली काट दी गई है। दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले दलित छात्र आर्यन अपने साथियों के साथ खेल रहा था. खेलते-खेलते उसके पैर गोबर से बने उपलों पर पड़ और उपला फूट गया. जिस व्यक्ति के उपले थे, वह इससे इतना नाराज़ हुआ कि उसने बच्चे की पिटाई शुरू कर दी। घटना को 6 दिन का वक़्त बीत जाने के बाद आरोपी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। हालांकि पिता ने पुलिस को बुधवार को ही तहरीर दी। हालांकि पुलिस का कहना है कि आरोपी भी दलित ही हैं तो इसमें दलित का कोई एंगल नहीं, सबसे बड़ा सवाल यही कि क्या आरोपी के दलित होने से पीड़ित दलित के साथ हुई शर्मनाक घटना का कोई मतलब नहीं।
पुलिस की नाक़ामी-खुद पुलिस की ज़ुबानी
पीड़ित आर्यन के पिता रोहताश ने यह आरोप लगाया कि आरोपी बाप-बेटे ने धारधार गंडासे से बच्चे की उंगली काट दी. बच्चा ज़ोर ज़ोर से दर्द के मारे कराहने लगा और उसके बाद में आरोपी उसे वहीं पर पड़ा छोड़कर भाग निकले. गांववालों ने बच्चे को रोते बिलखते देख परिजनों को सूचित किया. परिजनों ने आनन फ़ानन में बच्चे को ज़िला अस्पताल में भर्ती कराया. पीड़ित बच्चे के पिता की ओर से पुलिस को बाप-बेटे के खिलाफ़ तहरीर दी गई है. उपनिरीक्षक दिनेश ने इंडिया संवाद से बातचीत में कहा कि आरोपियों. आरोपी बाप बेटे के ख़िलाफ़ मुकदमें के आदेश हो गए थे. आरोपी को बुधवार शाम हिरासत में ले लिया गया है। तहरीर भले ही देर से दी गई लेकिन 6 दिन पहले हुई इस घटना की पुलस को कोई ख़बर थी ही नहीं। पुलिस का यह रवैया बताता है कि जनता के लिए पुलिस का क्या रवैया है और न तो उसे लोगों से मतलब है और न ही सरकार का ख़ौफ़। ज़ाहिर है ऐसी घटना के वक़्त अस्पताल द्वारा पहले ही पुलिस को सूचित किया जाता है लेकिन पुलिस का यह कहना कि हमें तो आज ही तहरीर मिली है, कई सवाल खड़े कर देता है। राज्य में अगर आरोपी दलित है तो पीड़ित दलित को दलित नहीं माना जाएगा। क्या उसके साथ हुए इस कृत्य की कोई ज़िम्मेदारी सिर्फ़ इसलिये नहीं लेगा क्योंकि आरोपी भी दलित है, पूरा का पूरा सिस्टम फेल नज़र आ रहा है और सीएम रावत हैं कि आंखों में पट्टी बाँध कर बैठे हैं। सबसे बड़ा सवाल कहां है सरकार, कहां हैं सीएम हरीश रावत लगातार हो रही घटनाओं को क्यों नज़रअंदाज़ कर रहे हैं बार बार सीएम हरीश रावत?