नई दिल्लीः सर्वोच्च न्यायालय ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि देश की हर समस्याएं महज कोर्ट के आदेश से ही नहीं खत्म हो सकतीं। इसके लिए जनता को जागरूक होना होगा। कोर्ट ने अपनी मजबूरी बताते हुए कहा कि तमाम मामले ऐसे हैं, जिसमें आदेश देने पर उसका व्यावहारिक पालन कराना बहुत मुश्किल है। देश में सिर्फ एक आदेश देने से भ्रष्टाचार खत्म नहीं हो जाएगा न ही एक आदेश से देश के सभी राज्यों में सड़कों के फुटपाथ अतिक्रमण मुक्त हो सकते हैं।
किस मामले में सु्प्रीम कोर्ट ने की यह टिप्पणी
गैर सरकारी संगठन वाइस ऑफ इंडिया ने राज्यों में फुटपाथ से अतिक्रमण हटाने की याचिका दाखिल की थी। जिस पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की पीठ ने कड़ी टिप्पणी की। फुटपाथ से अतिक्रमण हटाने में फैसला देने में मुख्य न्यायाधीश ने असमर्थता जताने के पीछे अहम तर्क दिए। कहा कि कोर्ट की अपनी सीमा है। हर मामले में आदेश नहीं जारी हो सकता। मसलन, कोई कहे कि हिंदुस्तान से भ्रष्टाचार खत्म करने का आदेश दे दीजिए। पूरे देश की सड़कों पर अवैध कब्जा खाली करने का आदेश दे दीजिए। चलिए आदेश दे भी दिया गया तो क्या व्यावहारिक रूप से उसका पालन होना संभव है। क्या कोर्ट देश में रामराज्य स्थापित करने का आदेश दे सकता है।
जिनके पास कुछ नहीं वे फुटपाथ पर रोजी-रोटी चलाते हैंः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि जिनके पास कुछ भई नहीं है वे फुटपाथ पर दुकान लगाकर परिवार का पेट पाल रहे हैं। इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि ऐसे दुकानदारों के लिए हाकिंग जोन चिह्नित होना चाहिए। याचिका को निरस्त करते-करते जब पीठ ने फरवरी में फिर से सुनवाई की डेट लगा दी तो याचिकाकर्ता ने मुख्य न्यायधीश की लंबी उम्र की कामना की।
संगठन ने कहा-पैदल चलने के मौलिक अधिकार की रक्षा करना कोर्ट का कर्तव्य
याचिकाकर्ता संगठन मुखिया धनेश ईशधन ने खुद याचिका पर बहस की। कहा कि हर पैदल चलने वाले यात्री का फुटपाथ पर चलने का मौलिक अधिकार है। कोर्ट को आदेश देकर इसकी रक्षा करनी चाहिए। अगर कोर्ट नहीं आदेश देगा तो लोग किसके पास जाएंगे। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि लोगों को मौलिक अधिकारों के प्रति जागरूक भी करना चाहिए।