“सभी प्रकार के भय में से बदनामी का भय सबसे बड़ा होता हैं।
किसने यह सिद्ध किया की सारी ख़ुशी ही इच्छा है? सब कुछ उस भगवान के हातो में है। इसीलिए हम में से हर एक को जो है उसी में संतुष्ट होना चाहिये।
“जिस तरह गाय का बछड़ा हजारो गायो में अपनी माँ के पीछे जाता है। उसी तरह मनुष्य के कर्म भी मनुष्य के ही पीछे जाते है।
आचार्य चाणक्य