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चाणक्य के अनमोल विचार

12 मई 2022

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1). मित्रता बराबरीवालों से करना ठीक रहता है. सरकारी नोकरी सर्वोत्तम होती है और अच्छे व्यापार के लिए व्यवहार-कुशल होना आवश्यक है| इसी तरह सुंदर व सुशील स्त्री घर में ही शोभा देती है.

2). बुरे चरित्रवाले, अकारण दूसरों को हानि पहुँचनेवाले तथा अशुद्ध स्थान पर रहनेवाले व्यक्ति के साथ जो पुरष मित्रता करता है, वह शीघ्र हो जाता है. मनुष्य को कुसगंती से बचना चाहिए| मनुष्य की भलाई इसी में है वह जितनी जल्दी हो सके, दुष्ट व्यक्ति का साथ छोड़ दे.

3). बचपन में संतान को जैसी शिक्षा दी जाती है, उनका विकास उसी प्रकार होता है| इसीलिए माता-पिता का कर्तव्य है कि वे उन्हें ऐसे मार्ग पर चलाएँ, जिससे उनमें उत्तम चरित्र का विकास हो, क्योंकि गुणी व्यक्तियों से ही कुल की शोभा बढ़ती है.

 4). जो मित्र आपके सामने चिकनी-चुपड़ी बातें करता हो और पीठ पीछे आपके कार्य को बिगाड़ देता हो, उसे त्याग देने में ही भलाई है. वह उस बरतन के समान है, जिसके ऊपर के हिस्से में दूध लगा है, परन्तु अंदर विष भरा हुआ है.

5). वही गृहस्थ सुखी है, जिसकी संतान उनकी आज्ञा का पालन करती है| पिता का भी कर्तव्य है कि वह पुत्रों का पालन-पोषण अच्छी तरह से करे. 

6). ऐसी व्यक्ति को मित्र नही कहा जा सकता है, जिस पर विश्वास नहीं किया जा सके और ऐसी पत्नी व्यर्थ है, जिससे किसी प्रकार का सुख प्राप्त न हो. 

7). पृथ्वी सत्य की शक्ति द्वारा समर्पित है| यह सत्य की शक्ति ही है, जो सूरज को चमक और हवा को वेग देती है. दरअसल सभी चीजें सत्य पर निर्भर करती है.

8). हे बुद्धिमान लोगो ! अपना धन उन्हीं को दो, जो उसके योग्य हों और किसी को नहीं. बादलों के द्वारा लिया गया समुन्द्र का जल हमेशा मीठा होता है. आचार्य चाणक्य के अनमोल विचार

9). यदि किसी का स्वभाव अच्छा है तो उसे किसी गुण की क्या जरूरत है ! यदि आदमी के पास प्रसिद्धी है तो भला उसे और किसी सिंगार की क्या आवश्यकता है !

10). संतुलित दिमाग से बढकर कोई सादगी नहीं है, संतोष जैसा कोई सुख नहीं है, लोभ जैसी कोई बीमारी नहीं है और दया जैसा कोई पुण्य नहीं है.

11). वह, जो अपने परिवार से अत्यधिक जुड़ा हुआ है, उसे भय और चिंता का सामना करना पड़ता है; क्योंकि सभी दुखों की जड़ लगाव है इसलिए खुश रहने के लिए लगाव छोड़ देना चाहिए.

12). हमें भूतकाल के बारे में पछतावा नहीं करना चाहिए, न ही भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए. विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में जीते हैं.

13). दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति नोजवानी और स्त्री की सुंदरता है.

14). जब तक आपका शरीर स्वस्थ व नियंत्रण में है और मृत्यु दूर है, अपनी आत्मा को बचाने की कोशिश कीजिए. जब मृत्यु सिर पर आ जाएगी, तब आप क्या करेंगे?

15). शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है. एक शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मान पाता है शिक्षा सोंदर्य और योवन को परस्त कर देती है.

16). व्यक्ति अकेले पैदा होता है और अकेले मर जाता है वह अपने अच्छे और बुरे कर्मों का फल खुद ही भुगतता है, और अकेले ही नरक या स्वर्ग जाता है.

17). जो बीत गया सो बीत गया| अपने हाथ से कोई गलत काम हो गया है तो उसकी फिक्र छोड़ते हुए वर्तमान को सलीके से जीकर भविष्य को सवारना चाहिए. चाणक्य कोट्स इन हिंदी

18). ऐसा पैसा, जो बहुत तकलीफ के बाद मिले, अपना धर्म-ईमान छोड़ने पर मिले या दुश्मनों की चापलूसी से, उनकी सत्ता स्वीकारने से मिले, उसे स्वीकार नहीं करना चाहिए.

19). अगर कोई व्यक्ति कमजोर है, तब भी उसे हर समय अपनी कमजोरी का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए. 

20). दिल में प्यार रखनेवाले लोगों को दुःख ही झेलने पड़ते है. दिल में प्यार पनपने पर बहुत सुख महसूस होता है, मगर इस सुख के साथ एक डर भी अंदर-ही-अंदर पनपने लगता है – खोने का डर, अधिकार कम होने का डर आदि. मगर दिल से प्यार पनपे नहीं, ऐसा तो हो नहीं सकता| तो प्यार पनपे, मगर कुछ समझदारी के साथ. संछेप में कहें तो प्रीति में चालाकी रखनेवाले ही अतत: सुख पाते हैं.

21). जब आपका बच्चा जवानी की दहलीज पर कदम रखे, यानी कि सोलह-सत्रह वर्ष का होने लगे, तब आप सँभल जाएँ और उसके साथ एक दोस्त की तरह व्यवहार करें. यह बहुत जरूरी है.

22). नदी किनारे स्थित वृक्षों का जीवन अनिश्चित होता है, क्योंकि नंदियाँ बाढ़ के समय अपने किनारे के पेड़ों को उजाड़ देती है. इसी प्रकार दूसरें के घरों में रहनेवाली स्त्री भी किसी समय पतन के मार्ग पर जा सकती है. इसी तरह जिस राजा के पास अच्छी सलाह देनेवाले मंत्री नहीं होते, वह भी बहुत समय तक सुरक्षित नहीं रह सकता. इसमें जरा भी संदेह नही करना चाहिए.

23). झूठ बोलना, उतावलापन दिखाना, दुःसाहस करना, छल-कपट करना, मुर्ख्पपूर्ण कार्य करना, लोभ करना, अपवित्रता और निर्दयता – ये सभी स्त्रियों के स्वाभाविक दोष हैं. (हालाँकि वर्तमान दोर की शिक्षित स्त्रियों में इन दोषों का होना सही नहीं कहा जा सकता है.)

24). जब आप तप करते हैं तब अकेले करें, अभ्याय करते हैं तब दुसरे के साथ करें, गायन करते है तब तीन लोग करें, खेती चार लोग करे और युद्ध अनेक लोग मिलकर करें. (चाणक्य के अनमोल विचार)

25). कामयाब होने के लिए अच्छे मित्रों की जरूरत होती है और ज्यादा कामयाब होने के लिए अच्छे शत्रुओं की आवश्यकता होती है.

26). काम वासना के समान कोई दूसरा रोग नहीं, मोह के समान कोई दूसरा शत्रु नहीं, क्रोध के समान कोई आग नहीं, ज्ञान से बड़ा कोई सुख नहीं.

27). आपका खुश रहना ही आपके दुश्मनों के लिए सबसे बड़ी सजा है. (चाणक्य कोट्स व लव)

28). अच्छे कार्य जीवन को महान बनाते हैं| यह मत भूलें कि यह जीवन अस्थायी है इसलिए जीवन के हर क्षण का उपयोग किया जाना जरूरी है. मोत आ जाएगी तो फिर कुछ भी न रहेगा न यह शरीर, न कल्पना, न आशा. हर चीज मोत के साथ दम तोड़ देगी.

29). भोजन के लिए अच्छे प्रदार्थों का उपलब्ध होना, उन्हें पचाने को शक्ति का होना, सुंदर स्त्री के साथ संसर्ग के लिए काम शक्ति का होना, प्रचुन धन के साथ धन देने की इच्छा का होना – ये सभी सुख मनुष्य को बहुत कठिनता से प्राप्त होते है.

30). जिस प्रकार सभी पर्वतों पर मणि नहीं मिलती, सभी हाथियों के मस्तक में मोती उत्पन्न नहीं होता, सभी वनों में चंदन का वृक्ष नहीं होता, उसी प्रकार सज्जन पुरुष सभी जगहों पर नहीं मिलते हैं.

31). जीवन में पुरानी बातों को भुला देना ही उचित होता है| अत: अपनी गलत बातों को भुलाकर वर्तमान को सुधारते हुए जीना चाहिए.

32). जो लोग हमेशा दूसरों की बुराई करके खुश होते हों, ऐसे लोगों से दूर ही रहों ; क्योंकि वे कभी भी आपके साथ धोखा कर सकते हैं. जो किसी और का न हुआ, वह भला आपका क्या होगा.

33). अपने रहस्यों को किसी पर भी उजागर मत करो| यह आदत स्वयं के लिए ही घातक सिद्ध होगी.

34). सज्जन तिल बराबर (बहुत छोटे) उपकार को भी पर्वत के समान बड़ा मानकर चलता है.

35). आँख से अंधे को दुनिया नही दिखती, काम के अंधे को विवेक नही दिखता, मद के अंधे को अपने से श्रेष्ट नही दिखता और स्वार्थी को कहीं भी दोष नही दिखता.

36). अपने परिवार पर संकट आए तो जमा धन कुरबान कर दें| लेकिन अपनी आत्मा की रक्षा हमें अपने परिवार और धन को भी दाँव पर लगाकर करनी चाहिए.

37). अपनी कमाई में से धन का कुछ प्रतिशत हिस्सा संकट काल के लिए हमेशा बचाकर रखें. (आचार्य चाणक्य के अनमोल विचार)

38). किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार नहीं होना चाहिए. सीधे वृक्ष और सीधे व्यक्ति पहले काटे जाते हैं.

39). सुगंध का प्रसार हवा के रुख का मोहताज होता है, पर अच्छाई दिशाओं में फैलती है.

40). अगर साँप जहरीला न भी हो तो उसे खुद को जहरीला दिखाना चाहिए. 

41). कोई भी काम शुरू करने से पहले तीन सवाल अपने आपसे पूछें – मैं ऐसा क्यों करने जा रहा हूँ? इसका क्या परिणाम होगा? क्या मैं सफल रहूँगा?

42). दूसरों की गलतियों से सीखो/अपने ही ऊपर प्रयोग करके सिखने को तुम्हारी आयु कम पड़ेगी.

43). जो व्यक्ति अच्छा मित्र नहीं हैं, उस पर तो विश्वास नहीं करना चाहिए; परन्तु इसके साथ ही अच्छे मित्र के सम्बन्ध में भी पूरा विश्वास नहीं करना चाहिए, क्योंकि यदि वह नाराज हो गया तो आपके सारे भेद खोल सकता है. अत: सावधानी अत्यंत आवश्यक है.

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रचनाएँ
चाणक्य के प्रेरणात्मक सुविचार
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चाणक्य (अनुमानतः 376 ई॰पु॰ - 283 ई॰पु॰) चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। वे कौटिल्य या विष्णुगुप्त नाम से भी विख्यात हैं। विष्णुगुप्त कूटनीति, अर्थनीति, राजनीति के महाविद्वान ,और अपने महाज्ञान का 'कुटिल' 'सदुपयोग ,जनकल्याण तथा अखंड भारत के निर्माण जैसे सृजनात्मक कार्यो में करने के कारण वह; कौटिल्य' 'कहलाये। वास्तव में आचार्य विष्णुगुप्त जन्म से वैश्य कर्मो से सच्चे ब्राह्मण और उत्पत्ति से क्षत्रिय और सम्राट चन्द्रगुप्त के गुरु ,तथा अपने माता-पिता के प्रथम संतान थे। इसकी विलक्षण विद्वत्ता जो सूर्य के प्रकाश के सामान सम्पूर्ण जम्बू द्वीप को आलोकित करेंगी वे तक्षशिला विश्वविद्यालय के आचार्य थे , उन्होंने मुख्यत: भील और किरात राजकुमारों को प्रशिक्षण दिया उन्होंने नंदवंश का नाश करके चन्द्रगुप्त मौर्य को अजापाल से प्रजापाल (राजा) बनाया। उनके द्वारा रचित अर्थशास्त्र नामक ग्रन्थ राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति आदि का महान ग्रंन्थ है। अर्थशास्त्र मौर्यकालीन भारतीय समाज का दर्पण माना जाता है।
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सुविचार (भाग 1)

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जब कोई सजा थोड़े मुआवजे के साथ दी जाती है,  तब वह लोगो को नेकी करने के लिए निष्टावान एवम  पैसे और ख़ुशी कमाने के लिए प्रेरित करती है। आचार्य चाणक्य 

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सुविचार (भाग 2)

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“भाग्य उनका साथ देता है, जो हर संकट का सामना करके भी अपना लक्ष्य के प्रति दृढ़ रहते हैं। भगवान मूर्तियों में नहीं है, आपकी अनुभूति ही आपका इश्वर है और आपकी आत्मा ही आपका मंदिर है। आचार्य चाणक्य 

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सुविचार (भाग 3)

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“सिंह से सीखो – जो भी करना जोरदार तरीके से करना और दिल लगाकर करना। इस बात को कभी व्यक्त मत होने दीजिये की आपने क्या करने के लिए सोचा है, बुद्धिमानी से इसे रहस्य बनाये रखिये और इस काम को करने के लिए

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सुविचार (भाग 4 )

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“जो लोगो पर कठोर से कठोर सजा को लागू करता है। वो लोगो की नजर में घिनौना बनता जाता है, जबकि नरम सजा लागू करता है। वह तुच्छ बनता है। लेकिन जो योग्य सजा को लागू करता है वह सम्माननीय कहलाता है। जिस प्र

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सुविचार (भाग 5)

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“बुद्धिमान व्यक्ति का कोई भी शत्रु नहीं होता। वह जो भलाई को लोगो के दिलो में सभी के लिए विकसित करता चला जाता है। वह आसानी से अपने लक्ष्य प्राप्ति के एक-एक कदम आगे बढ़ता चला जाता है। आचार्य चाणक्य

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सुविचार (भाग 6)

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“आलसी मनुष्य का वर्तमान या भविष्य नहीं होता। उदारता, प्रेमदायक भाषण, हिम्मत और अच्छा चरित्र कभी प्राप्त नहीं किया जा सकता, ये सारे जन्मजात गुण ही होते है। आचार्य चाणक्य

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सुविचार (भाग 7)

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“सभी प्रकार के भय में से बदनामी का भय सबसे बड़ा होता हैं। किसने यह सिद्ध किया की सारी ख़ुशी ही इच्छा है? सब कुछ उस भगवान के हातो में है। इसीलिए हम में से हर एक को जो है उसी में संतुष्ट होना चाहिये।

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सुविचार (भाग 8)

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“दुसरो की गलतियों से सीखो, अपने ही अनुभव से सीखने को तुम्हारी आयु कम पड़ जाएँगी। इस धरती पर तीन रत्न है, अनाज, पानी और मीठे शब्द – मुर्ख लोग पत्थरो के टुकडो को ही रत्न समझते है। “वह जो अपने समाज को छ

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सुविचार (भाग 9)

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“हर एक दोस्ती के पीछे अपना खुदका का स्वार्थ छिपा होता है। स्वार्थ के बिना कभी कोई दोस्ती नहीं होती। ये एक कटु सत्य है।  आचार्य चाणक्य

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“मूर्खों से तारीफ सुनने से बुद्धिमान से डाट सुनना ज्यादा बेहतर हे। जब तक आपका शरीर स्वस्थ रहेंगा तब तक मृत्यु आपके वश में होंगी। लेकिन फिर भी आप आत्मा को बचाने की कोशिश कीजिये, क्योकि जब मृत्यु पास ह

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“व्यक्ति अपने गुणों से ऊपर उठता हैं, उच्ये स्थान पर बैठने से नहीं। दुनिया की सबसे बड़ी ताकत युवाशक्ति और महिला की सुंदरता है। “संतुलित दिमाग के बराबर कोई स्टारफिश नहीं और संतोष के सामान दूसरी कोई ख़ुश

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सुविचार (भाग 12)

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“इतिहास गवाह हैं की, जितना नुकसान हमें दुर्जनो की दुर्जनता से नहीं हुआ, उससे ज्यादा सज्जनों की निष्क्रियता से हुआ। शिक्षा इंसान का सबसे अच्छा दोस्त है। एक शिक्षित इंसान हर जगह सम्मान पाता है। शिक्षा

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“जैसे ही भय आपके करीब आये, उसपर आक्रमण कर उसे नष्ट कर दीजिये। जमा पूंजी ये होने वाले खर्चो में से ही बचायी जाती है वैसे ही जैसे आनेवाल ताजा पानी, निष्क्रिय पानी को बहाकर बचाया जाता है। “भले ही साप ज

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सुविचार (भाग 14)

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“नौकर को बाहर भेजने पर, भाई बंधू को संकट के समय, दोस्तों को विपत्ति में और अपनी स्त्री को धन का नष्ट हो जाने पर ही परखा जा सकता हैं। हंस वही रहते है जहा पानी हो, और वो जगह छोड़ देते है जहा पानी खत्म ह

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सुविचार (भाग 15)

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“कोई भी व्यक्ति अपने कार्यो से महान होता है, अपने जन्म से नहीं। उन लोगो से कभी दोस्ती ना करे जो आपके स्तर से बहुत निचे या बहोत उपर हो, इस तरह की दोस्ती आपको कभी ख़ुशी नहीं दे सकती। “एक बार यदि आपने क

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सुविचार (भाग 16)

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“जो समय बीत गया, उसे याद कर पछताना बेकार है अगर कोई गलती हुई भी है तो उससे सबक लेकर वर्तमान को श्रेष्ठ बनाने का प्रयास करना चाहिए।” आचार्य चाणक्य

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चाणक्य के अनमोल विचार

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1). मित्रता बराबरीवालों से करना ठीक रहता है. सरकारी नोकरी सर्वोत्तम होती है और अच्छे व्यापार के लिए व्यवहार-कुशल होना आवश्यक है| इसी तरह सुंदर व सुशील स्त्री घर में ही शोभा देती है. 2). बुरे चरित्रवा

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लोगों से उम्मीद

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आधे दुखः गलत लोगों से उम्मीद रखने से होते हैं, और बाकी आधे सच्चे लोगों पर शक करने से होते हैं !!

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दिल से उतर ही जाता है.

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मुश्किल में साथ छोड़ देने वाला चाहे कितना भी अपना क्यों न हो, दिल से उतर ही जाता है!!

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अहंकार किसके लिए

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जीत किसके लिए, हार किसके लिए, ज़िंदगी भर ये तकरार किसके लिए, जो भी आया है वो जायेगा एक दिन, फिर ये इतना अहंकार किसके लिए। आचार्य चाणक्य  

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