1). मित्रता बराबरीवालों से करना ठीक रहता है. सरकारी नोकरी सर्वोत्तम होती है और अच्छे व्यापार के लिए व्यवहार-कुशल होना आवश्यक है| इसी तरह सुंदर व सुशील स्त्री घर में ही शोभा देती है.
2). बुरे चरित्रवाले, अकारण दूसरों को हानि पहुँचनेवाले तथा अशुद्ध स्थान पर रहनेवाले व्यक्ति के साथ जो पुरष मित्रता करता है, वह शीघ्र हो जाता है. मनुष्य को कुसगंती से बचना चाहिए| मनुष्य की भलाई इसी में है वह जितनी जल्दी हो सके, दुष्ट व्यक्ति का साथ छोड़ दे.
3). बचपन में संतान को जैसी शिक्षा दी जाती है, उनका विकास उसी प्रकार होता है| इसीलिए माता-पिता का कर्तव्य है कि वे उन्हें ऐसे मार्ग पर चलाएँ, जिससे उनमें उत्तम चरित्र का विकास हो, क्योंकि गुणी व्यक्तियों से ही कुल की शोभा बढ़ती है.
4). जो मित्र आपके सामने चिकनी-चुपड़ी बातें करता हो और पीठ पीछे आपके कार्य को बिगाड़ देता हो, उसे त्याग देने में ही भलाई है. वह उस बरतन के समान है, जिसके ऊपर के हिस्से में दूध लगा है, परन्तु अंदर विष भरा हुआ है.
5). वही गृहस्थ सुखी है, जिसकी संतान उनकी आज्ञा का पालन करती है| पिता का भी कर्तव्य है कि वह पुत्रों का पालन-पोषण अच्छी तरह से करे.
6). ऐसी व्यक्ति को मित्र नही कहा जा सकता है, जिस पर विश्वास नहीं किया जा सके और ऐसी पत्नी व्यर्थ है, जिससे किसी प्रकार का सुख प्राप्त न हो.
7). पृथ्वी सत्य की शक्ति द्वारा समर्पित है| यह सत्य की शक्ति ही है, जो सूरज को चमक और हवा को वेग देती है. दरअसल सभी चीजें सत्य पर निर्भर करती है.
8). हे बुद्धिमान लोगो ! अपना धन उन्हीं को दो, जो उसके योग्य हों और किसी को नहीं. बादलों के द्वारा लिया गया समुन्द्र का जल हमेशा मीठा होता है. आचार्य चाणक्य के अनमोल विचार
9). यदि किसी का स्वभाव अच्छा है तो उसे किसी गुण की क्या जरूरत है ! यदि आदमी के पास प्रसिद्धी है तो भला उसे और किसी सिंगार की क्या आवश्यकता है !
10). संतुलित दिमाग से बढकर कोई सादगी नहीं है, संतोष जैसा कोई सुख नहीं है, लोभ जैसी कोई बीमारी नहीं है और दया जैसा कोई पुण्य नहीं है.
11). वह, जो अपने परिवार से अत्यधिक जुड़ा हुआ है, उसे भय और चिंता का सामना करना पड़ता है; क्योंकि सभी दुखों की जड़ लगाव है इसलिए खुश रहने के लिए लगाव छोड़ देना चाहिए.
12). हमें भूतकाल के बारे में पछतावा नहीं करना चाहिए, न ही भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए. विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में जीते हैं.
13). दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति नोजवानी और स्त्री की सुंदरता है.
14). जब तक आपका शरीर स्वस्थ व नियंत्रण में है और मृत्यु दूर है, अपनी आत्मा को बचाने की कोशिश कीजिए. जब मृत्यु सिर पर आ जाएगी, तब आप क्या करेंगे?
15). शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है. एक शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मान पाता है शिक्षा सोंदर्य और योवन को परस्त कर देती है.
16). व्यक्ति अकेले पैदा होता है और अकेले मर जाता है वह अपने अच्छे और बुरे कर्मों का फल खुद ही भुगतता है, और अकेले ही नरक या स्वर्ग जाता है.
17). जो बीत गया सो बीत गया| अपने हाथ से कोई गलत काम हो गया है तो उसकी फिक्र छोड़ते हुए वर्तमान को सलीके से जीकर भविष्य को सवारना चाहिए. चाणक्य कोट्स इन हिंदी
18). ऐसा पैसा, जो बहुत तकलीफ के बाद मिले, अपना धर्म-ईमान छोड़ने पर मिले या दुश्मनों की चापलूसी से, उनकी सत्ता स्वीकारने से मिले, उसे स्वीकार नहीं करना चाहिए.
19). अगर कोई व्यक्ति कमजोर है, तब भी उसे हर समय अपनी कमजोरी का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए.
20). दिल में प्यार रखनेवाले लोगों को दुःख ही झेलने पड़ते है. दिल में प्यार पनपने पर बहुत सुख महसूस होता है, मगर इस सुख के साथ एक डर भी अंदर-ही-अंदर पनपने लगता है – खोने का डर, अधिकार कम होने का डर आदि. मगर दिल से प्यार पनपे नहीं, ऐसा तो हो नहीं सकता| तो प्यार पनपे, मगर कुछ समझदारी के साथ. संछेप में कहें तो प्रीति में चालाकी रखनेवाले ही अतत: सुख पाते हैं.
21). जब आपका बच्चा जवानी की दहलीज पर कदम रखे, यानी कि सोलह-सत्रह वर्ष का होने लगे, तब आप सँभल जाएँ और उसके साथ एक दोस्त की तरह व्यवहार करें. यह बहुत जरूरी है.
22). नदी किनारे स्थित वृक्षों का जीवन अनिश्चित होता है, क्योंकि नंदियाँ बाढ़ के समय अपने किनारे के पेड़ों को उजाड़ देती है. इसी प्रकार दूसरें के घरों में रहनेवाली स्त्री भी किसी समय पतन के मार्ग पर जा सकती है. इसी तरह जिस राजा के पास अच्छी सलाह देनेवाले मंत्री नहीं होते, वह भी बहुत समय तक सुरक्षित नहीं रह सकता. इसमें जरा भी संदेह नही करना चाहिए.
23). झूठ बोलना, उतावलापन दिखाना, दुःसाहस करना, छल-कपट करना, मुर्ख्पपूर्ण कार्य करना, लोभ करना, अपवित्रता और निर्दयता – ये सभी स्त्रियों के स्वाभाविक दोष हैं. (हालाँकि वर्तमान दोर की शिक्षित स्त्रियों में इन दोषों का होना सही नहीं कहा जा सकता है.)
24). जब आप तप करते हैं तब अकेले करें, अभ्याय करते हैं तब दुसरे के साथ करें, गायन करते है तब तीन लोग करें, खेती चार लोग करे और युद्ध अनेक लोग मिलकर करें. (चाणक्य के अनमोल विचार)
25). कामयाब होने के लिए अच्छे मित्रों की जरूरत होती है और ज्यादा कामयाब होने के लिए अच्छे शत्रुओं की आवश्यकता होती है.
26). काम वासना के समान कोई दूसरा रोग नहीं, मोह के समान कोई दूसरा शत्रु नहीं, क्रोध के समान कोई आग नहीं, ज्ञान से बड़ा कोई सुख नहीं.
27). आपका खुश रहना ही आपके दुश्मनों के लिए सबसे बड़ी सजा है. (चाणक्य कोट्स व लव)
28). अच्छे कार्य जीवन को महान बनाते हैं| यह मत भूलें कि यह जीवन अस्थायी है इसलिए जीवन के हर क्षण का उपयोग किया जाना जरूरी है. मोत आ जाएगी तो फिर कुछ भी न रहेगा न यह शरीर, न कल्पना, न आशा. हर चीज मोत के साथ दम तोड़ देगी.
29). भोजन के लिए अच्छे प्रदार्थों का उपलब्ध होना, उन्हें पचाने को शक्ति का होना, सुंदर स्त्री के साथ संसर्ग के लिए काम शक्ति का होना, प्रचुन धन के साथ धन देने की इच्छा का होना – ये सभी सुख मनुष्य को बहुत कठिनता से प्राप्त होते है.
30). जिस प्रकार सभी पर्वतों पर मणि नहीं मिलती, सभी हाथियों के मस्तक में मोती उत्पन्न नहीं होता, सभी वनों में चंदन का वृक्ष नहीं होता, उसी प्रकार सज्जन पुरुष सभी जगहों पर नहीं मिलते हैं.
31). जीवन में पुरानी बातों को भुला देना ही उचित होता है| अत: अपनी गलत बातों को भुलाकर वर्तमान को सुधारते हुए जीना चाहिए.
32). जो लोग हमेशा दूसरों की बुराई करके खुश होते हों, ऐसे लोगों से दूर ही रहों ; क्योंकि वे कभी भी आपके साथ धोखा कर सकते हैं. जो किसी और का न हुआ, वह भला आपका क्या होगा.
33). अपने रहस्यों को किसी पर भी उजागर मत करो| यह आदत स्वयं के लिए ही घातक सिद्ध होगी.
34). सज्जन तिल बराबर (बहुत छोटे) उपकार को भी पर्वत के समान बड़ा मानकर चलता है.
35). आँख से अंधे को दुनिया नही दिखती, काम के अंधे को विवेक नही दिखता, मद के अंधे को अपने से श्रेष्ट नही दिखता और स्वार्थी को कहीं भी दोष नही दिखता.
36). अपने परिवार पर संकट आए तो जमा धन कुरबान कर दें| लेकिन अपनी आत्मा की रक्षा हमें अपने परिवार और धन को भी दाँव पर लगाकर करनी चाहिए.
37). अपनी कमाई में से धन का कुछ प्रतिशत हिस्सा संकट काल के लिए हमेशा बचाकर रखें. (आचार्य चाणक्य के अनमोल विचार)
38). किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार नहीं होना चाहिए. सीधे वृक्ष और सीधे व्यक्ति पहले काटे जाते हैं.
39). सुगंध का प्रसार हवा के रुख का मोहताज होता है, पर अच्छाई दिशाओं में फैलती है.
40). अगर साँप जहरीला न भी हो तो उसे खुद को जहरीला दिखाना चाहिए.
41). कोई भी काम शुरू करने से पहले तीन सवाल अपने आपसे पूछें – मैं ऐसा क्यों करने जा रहा हूँ? इसका क्या परिणाम होगा? क्या मैं सफल रहूँगा?
42). दूसरों की गलतियों से सीखो/अपने ही ऊपर प्रयोग करके सिखने को तुम्हारी आयु कम पड़ेगी.
43). जो व्यक्ति अच्छा मित्र नहीं हैं, उस पर तो विश्वास नहीं करना चाहिए; परन्तु इसके साथ ही अच्छे मित्र के सम्बन्ध में भी पूरा विश्वास नहीं करना चाहिए, क्योंकि यदि वह नाराज हो गया तो आपके सारे भेद खोल सकता है. अत: सावधानी अत्यंत आवश्यक है.