नई दिल्ली : वि ज्ञान और टेक्नोलॉजी के दौर में भी अन्धविश्वास किस तरह हावी है इसका इसका अंदाजा टेलिकॉम इंडस्ट्री के सरकार से किये उस आग्रह से लगाया जा सकता है जिसमे उन्होंने सरकार से कहा है कि स्पेक्ट्रम की नीलामी को श्राद्ध के महीने (पितृ पक्ष) तक रोक दिया जाए। जिसके बाद सरकार स्पेक्ट्रम की नीलामी को 29 सितंबर तक टालने का मन बना रही है।
आगामी एक अक्टूबर से नवरात्र शुरू होने जा रहे हैं और नवरात्र से पहले के 15 दिन (पखवाड़ा, खरमास) हिन्दू रिवाज के अनुसार कोई नया काम करने के लिए अशुभ माने जाते है। इस दौरान कुछ भी सामग्री खरीदने से लोग बचते हैं। टेलिकॉम कंपनियों का भविष्य भी पूरी तरह स्पेक्ट्रम की नीलामी पर टिका हुआ है।
दूसरी तरफ भारत में टेलिकॉम इंडस्ट्री कई समय से कर्जे में डूबी हुई है और टेलिकॉम इंडस्ट्री के लिए स्पेक्ट्रम प्राप्त करना ही सबसे महत्वपूर्ण हो गया है। आंकड़ों की माने तो टेलिकॉम कंपनियां 3 लाख करोड़ के कर्ज में डूबी हुई हैं वहीँ सरकार को स्पेक्ट्रम नीलामी से 5.6 लाख करोड़ की कमाई होने की संभावना है।
दूरसंचार अधिकारियों के अनुसार इस बार ‘इतनी बड़ी नीलामी में अनुकूल नियमों के कारण कंपनियां काफी रुचि दिखा रही हैं। इस बार जितनी राशि का स्पेक्ट्रम पेश किया गया है वह पूर्व की किसी भी नीलामी से कहीं ज्यादा है।
पहली बार नीलामी में 700 मेगाहट्र्ज बैंड की नीलामी शामिल की गई है। यह बैंड काफी महंगा माना जाता है और इसमें 3जी सेवाएं प्रदान करने की लागत 2100 मेगाहट्र्ज से एक-तिहाई बैठती है। यदि 700 मेगाहट्र्ज में समूचा स्पेक्ट्रम आधार मूल्य पर बिक जाता है तो इससे ही अकेले सरकार को चार लाख करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा।