
मुम्बई : सायरस मिस्त्री को टाटा के चेयरमैन पद से हटाये जाने को लेकर टाटा ने सफाई दी है। टाटा संस की नई चिट्ठी में कहा गया है कि सायरस मिस्त्री को परफॉर्म करने के लिए 4 साल का वक्त मिला। सायरस मिस्त्री के परफॉर्मेंस को टीसीएस की आय से अलग करना होगा। टीसीएस में सायरस मिस्त्री का कोई खास योगदान नहीं रहा है। टीसीएस ने टाटा संस से ग्रोथ के लिए कभी भी कोई पूंजी नहीं ली।
सायरस मिस्त्री के कार्यकाल में 40 टाटा ग्रुप कंपनियों का डिविडेंड 1000 रुपये से घटकर 780 करोड़ रुपये हो गया। 780 करोड़ रुपये की रकम में 100 करोड़ रुपये तो अंतरिम डिविडेंड था। डिविडेंट घटने के साथ-साथ खर्चों में बढ़ोतरी हुई है। कर्मचारियों पर खर्च 84 करोड़ रुपये से बढ़कर 180 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। दूसरे खर्चे 220 करोड़ रुपये से बढ़कर 290 करोड़ रुपये हुए।
सायरस मिस्त्री की हिस्सा बेचने की रणनीति विफल रही और विनिवेश से कोई मुनाफा नहीं हुआ है। इम्पेयरमेंट खर्चों के लिए प्रोविजनिंग 200 करोड़ रुपये से बढ़कर 2400 करोड़ हुई। टीसीएस को छोड़ 3 साल से टाटा संस को घाटा ही हो रहा था जो चिंता की बात थी। 3 साल से टाटा संस को घाटा ही हो रहा था जो चिंता का प्रमुख कारण था।
इस बीच, टाटा संस के बोर्ड ने इशात हुसैन को टीसीएस का नया चेयरमैन नियुक्त किया है। टाटा संस के बोर्ड ने सायरस मिस्त्री को टीसीएस के चेयरमैन पद से हटा दिया है। इशात हुसैन ग्रुप के नए चेयरमैन की नियुक्ति तक टीसीएस के चेयरमैन का पद संभालेंगे।
वहीं, इसी बीच साइरस मिस्त्री के खेमे से भी पलटवार हुआ है। साइरस मिस्त्री के करीबी सूत्रों के मुताबिक साइरस को टीसीएस से हटाने का फैसला रात में ही कर लिया गया था। स्टॉक एक्सचेंज पर सुबह 8 बजे इसका ऐलान एक तरह से छलावा था। रतन टाटा ग्रुप के गुस्से और हताशा को दर्शाता है। सूत्रों की ओर से ये भी कहा गया है कि आज तक मिस्त्री को हटाने के पीछे की असल वजह नहीं बताई गई है। और आज तक जो भी कारण दिए जा रहे हैं वो बेतुके हैं।
हालांकि सायरस मिस्त्री फिलहाल टाटा केमिकल के चेयरमैन बने रहेंगे। इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स ने मिस्त्री पर भरोसा जताते हुए कहा है कि मिस्त्री ने कंपनी के हित में कई निर्णय लिए हैं और कंपनी के तमाम फैसले आपसी सहमति से हुए हैं। सायरस मिस्त्री को हटाने को लेकर आज टाटा केमिकल की बोर्ड बैठक थी जिसमें ये फैसला लिया गया।