shabd-logo

तड़प

30 अगस्त 2023

19 बार देखा गया 19

"सोमेश वो देखो उस महिला को सड़क के किनारे इतनी रात गए बैठी है! चलो ना देखते हैं"

"पारु रहने दो ना किस झमेले में फंस रही हो! पता नहीं कौन है! और इतने रात गए क्यों सड़क पर बैठी है!"

इसलिए तो कह रही हूँ ना सोमेश हम ऐसे नहीं जा सकते!" कहते हुए पारु गाड़ी का दरवाजा खोल बाहर निकल गई उस महिला के पास पहुँच कर बोली

सुनिए! कौन हैं आप? किसी मदद की जरूरत है तो कहिये!" कहते हुए उसके बांह को हिलाया तो वो औरत लुढ़क गई, पारु का दिल जोर से धड़का!

ंसोमेश देखो तो शायद ये बेहोश हो गई चलो ना हॉस्पिटल ले चले सोमेश ने उस महिला को उठाया और दोनों उसे हॉस्पिटल लेकर गए पता चला वो महिला बेहोश थी कुछ देर के इलाज के बाद होश आया तो वो महिला कुछ बताने के लिए तैयार नहीं थी, मुझे जाने दीजिए जाने दीजिए की रट लगा रखा था और डाक्टर ने उसे अकेले छोड़ने से मना किया था.. दोनों ने किसी तरह उसे अपने घर चलने के लिए मना लिया।

रास्ते मे पुलिस चौकी पर रुक कर सोमेश ने खबर दे दी और चुपके से खिंचे गए तस्वीर को भी पुलिस को देकर गाड़ी अपने घर की तरफ घुमा ली।

घर पहुँच पारु ने उस महिला को गेस्ट रूम मे ठहराया, जाते ही वो महिला बिस्तर पर पसर गई, सोमेश को देख अनायास ही मुस्कराने लगी, उस पल अचानक पारु भय से काँप उठी, अजीब सी भयावह नजर से उसने पारु को देखा बड़ी बड़ी आँखों मे काजल की मोटी रेखा! होंठो पर चढ़ी लिपस्टिक की मोटी परत! लंबे खुले बाल, उस अधेड़ महिला के रूप लावण्य को देखकर ऐसा लगा जैसे बड़े जतन से उसने अपने रूप को सहेजा हो!

चालीस की उम्र थी लगभग लेकिन युवाओं को भी अपने नजरों के पाश मे बाँध ले ऐसी क्षमता थी,  उसके रूप मे! देखने पर भले घर की लग रही थी लेकिन जिस तरह सोमेश को देख मुस्कराई पारु ऊपर से नीचे तक काँप गई उस पल लगा जैसे कोई गलती कर दी उसने, लगा कहीं उसका सर्वस्व छीन कर ना ले जाएं!

फ़िर हिम्मत कर बोली "प्लीज आप सो जाइए! पानी रख दिया है कोई जरूरत होगा तो मुझे आवाज़ दीजियेगा, मेरा नाम पारु है!"

सोमेश  की तरफ मुड़ी तो देखा सोमेश अपलक उसे निहार रहा था, उसे देख प्राण सुख गए उसकी जान जैसे हलक मे आ गया ! मुँह सुख सा गया होंठो पर कंटीले झाड़ से उग आएँ, लगा उसका भय सच होने जा रहा है!

"सोमेश चलो चलते हैं!"

"सोमेश!!! हा हा हा सोमेश..."

उस महिला ने सोमेश का नाम लिया और हँस पड़ी अजीब सी मादकता थी उसकी आवाज़ मे जैसे जीवन भर का नशा हो तड़प, अजीब सी प्यास अजीब सी तृष्णा दिख रही थी उस महिला के आवाज़ और चेहरे पर !

उसके मुँह से सोमेश का नाम सुन काँप उठी पारु माथे पर पसीने के बड़े बड़े बूंद उभर आए सोमेश की तरफ देखा तो वो भी आश्चर्य मे डूबा उसे निहार रहा था!

उसने झटपट सोमेश का हाथ पकडा और कमरे से बाहर चली गई, अपना डर सोमेश से भी नहीं कह पा रही थी समझ ही नहीं पा रही थी कि कौन सा डर है कैसा डर है!

"आह ये रात कैसे बितेगी!! कब सुबह होगी! रात भर इसी चिंता मे बीती कि कहीं उस महिला को घर लाकर गलत तो नहीं कर दिया? सोमेश जैसे उसे निहार रहा था! उसने सोमेश का नाम क्यों लिया? बला की खूबसूरती की तपिश से कहीं उसके घर को आग ना लग जाएं! ओह! कैसी गलती कर दी मैंने काश उस पल सोच समझ कदम उठाया होता!"

सोचते सोचते रात बीती भोर की आहट हुई भुजंगा चिड़िया के बोलने से समझ आ गया कि हां सुबह होने वाली है तिमिर का पहरा अभी दिख रहा था लेकिन भुजंगा ने एहसास करा दिया कि सुबह बस आने वाली है।

उठी झटपट नहा धोकर तैयार हुई, तैयार होते हुए उस अधेड़ महिला का खयाल आया उसने भी अपने आँखों मे काजल की रेख खिंची, हल्का सा लिपस्टिक लगाया जो घर मे कम ही लगाती थी, लेकिन आज जाने कैसा भय था वो बार बार आईने मे खुद को निहार रही थी गुलाबी शिफाॅन की साड़ी डाल तैयार हुई बालो को ढीला जुड़ा बना लिया ऐसे तैयार हुई जैसे सोमेश को पसंद है, अजीब से भय और संदेह के बीच झूल रही थी रात सोमेश का उस महिला को अपलक निहारना भूल ही नहीं पा रही थी!

"छि! ये कैसी दुविधा मे पड़ गई हूं मैं! सोमेश के बारे में क्या सोच रही हूँ? और वो भी एक अनजान औरत को देखकर कर!"

सोचते हुए सोमेश के पास पहुंची देखा मासूम निष्कलंक बच्चे सा सो रहा था, अपनी सोच को अपने आप को धिक्कारते हुए मुस्करा उठी और फिर धीरे से सोमेश को जगाया।

सोमेश ने आँखे खोली देखा सामने चारु बैठी, उसे देख उछलकर बैठ गया...

"वाह मेम सहाब आज पूरे जन्नत का एश्वर्य और खूबसूरती एक साथ क्या अपने आशिक को मारने का इरादा है!"

कहते हुए उसे अपने आगोश मे ले लिया, पारु भी उसके आगोश मे समा गई मन का सारा भ्रम और डर रात के अंधेरे के साथ खत्म सा हो गया, मुस्कुराती हुई पति से अपने आप को छुड़ा कर उठी और बाहर गई.

गेस्ट रूम मे गई, देखा तो सामने कुर्सी पर वो अधेड़ महिला बैठी थी, विषाद, बेचैनी की एक भी लकीर चेहरे पर नहीं था, चेहरे पर सारा पुता सारा सौंदर्य प्रसाधन धोकर निकाल दिया था, दूध सी उजली बड़ी बड़ी आँखों वाली वो महिला ग़ज़ब की सुन्दर दिख रही थी! निश्चल पवित्र! एक तेज सा था उनके चेहरे पर जो एक आभा मंडल का निर्माण कर रहा था, आज वो बहुत शांत दिख रही थी पारु देखते ही मुस्करा उठी, "माफ़ी चाहती हूँ आप को तकलीफ हुई मेरे वज़ह से प्लीज ये मेरे घर का नंबर है एक बार फोन कर दीजिए..

जी जरूर.. उसके हाथ से लिखे नंबर का काग़ज़ लेते हुए बोली..

"आप ऐसे सड़क पर क्यों थी क्या बात है कुछ कहने लायक हो तो कहिये.!"

उसने कुछ नहीं कहा नजरे झुका ली... फिर बोली

"मेरा नाम अमृता है प्लीज आप फोन कर दीजिए या एक फोन दीजिए मैं खुद कर लूँ!"

पारु ने फोन लगाया..

"हैलो! मैं पारु! अमृता जी हमारे घर हैं!"

"क्या मम्मी आप के पास हैं प्लीज आप अपने घर का पता बता दीजिए!"

पारु ने पता बता दिया फिर रसोई मे गई राधा से कह कर चाय बनवाया और ख़ुद जाकर अमृता के साथ बैठ गई.. वो शांत थी कुछ बोल नहीं रही थी राधा चाय रख कर गई।

"आप चाय पी लीजिए, मैं आती हूँ कहकर उठी तो अमृता ने रोक लिया.

"बैठो ना प्लीज! तुम पूछ रही थी ना मैं सड़क पर बदहवास सी क्यों घूम रही थी?.. मैं अच्छे घर की महिला हूँ दो बच्चों की माँ हूँ कुछ सालो पहले मेरे पति अचानक से मुझे छोड़ किसी दूसरे के साथ दूसरी दुनिया बसा ली,  जीवन पथ के दो राही अलग अलग राह पर निकल गये।अकेले बच्चों को पाला पोसा। अपना बिजनेस खड़ा किया। कभी कभी जाने क्या हो जाता है मुझे! मैं बेपरवाह सी निकल पड़ती हूँ सड़कों पर उसे ढूंढ़ने जो मेरा था ही नहीं, और उस पल मैं अपना आज भूल जाती हूँ ना मुझे अपना घर याद रहता और ना अपने बच्चे .. ये मेरे मन का रोग है जिससे मैं और मेरे बच्चे परेशान है! शायद मेरे अंदर की स्त्री की तड़प है..!"

"माफ़ी चाहूँगी आप दोनों को मेरे वज़ह से परेशानी हुई,आप लोगों ने मुझे रात भार सम्भाला उसके लिए बहुत बहुत धन्यावाद!"

कहते हुई वो महिला जाने के लिए खड़ी हुई बाहर हॉल तक पहुँची तो दरवाजे की घंटी बजी राधा ने दरवाजा खोला सामने टीन ऐज के दो बच्चे खड़े थे एक लड़की और एक लड़का माँ को देखते ही माँ के गले लग गए.

"माँ कहा चली गई थी आप? रात भर आप को ढूंढ़ा है!"कहते हुए दोनों रोने लगे वो महिला भी रो रही थी सोमेश भी बेड रूम से बाहर आया, सोमेश और पारु के सामने दोनों बच्चे हाथ जोड़ खड़े हो गए पारु ने दोनों के माथे पर हाथ फिराया और उन्हें बैठने को कहा, कुछ पल बैठे राधा से कहकर उनके लिए नाश्ता मंगाया, उन्होंने थोड़ा बहुत खाया फिर उठ खड़े हुए शायद वो जल्दी से जल्दी माँ को अपने घर ले जाना चाहते थे।

उन तीनों ने पारु और सोमेश से से विदा ली। उस भद्र महिला को जाते देख पारु के आँखों में आँसू थे सोमेश के खोने के भय से वो काँप उठी थी जबकी उस महिला ने तो अपना सर्वस्व खो दिया था उसकी बेचैनी उसके तड़प को महसूस कर पारु के आँखों से आँसू बह चले और वो सोमेश के सीने से लग  गई।
20
रचनाएँ
साढ़ा चिड़ियां दा चम्बा वे........
5.0
बेटियां क्यों पराई हो जाती है । क्यों वो हक से अपने अपने मायके नही आ पाती ।उसके दो घर होने के बाद भी कोई घर नहीं होता। मां कहती हैं पराई है और सास कहती हैं पराये घर से आई है बड़ी गजब रचना हूं मैं तेरी भगवान। बेटी बन कर भी पराई ,बहू बन कर भी पराई।।
1

साढ़ा चिड़ियां दा चम्बा वे........

6 अगस्त 2023
14
7
4

"साढा चिड़िया दा चम्बा है बाबल अंसा उडड जाना।साढी लम्बी उडारी वे ।के मुड़ असा नहीं आना...."संगीता पड़ोस में किसी लड़की की शादी में हल्दी की रस्म हो रही था वहां बैठी ये गीत सुन कर भाव विभोर हो गयी। क्य

2

पराई

7 अगस्त 2023
11
7
0

मैं अपने घर से भाग जाना चाहती थी, लेकिन मैं जाती भी तो कहाँ ? ट्रेन के डिब्बे मे मेरे पास वाली सीट पर दो महिलाएं बैठी थी।शायद दोनों सहेलिय

3

सिन्दूर की कीमत

7 अगस्त 2023
11
7
0

शोभा आज अपनी बालकनी में खड़ी प्रकृति को निहार रही थी ।उसने और सौरभ ने कल ही मकान शिफ्ट किया था पहले ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे इसलिए आस-पड़ोस का कुछ भी पता नहीं चलता था लेकिन अब बड़ी सोसायटी में आ गये थ

4

उसका बड़प्पन

8 अगस्त 2023
9
7
0

मेरे चाहे न चाहे वह वैष्णवी रोज ही सारे मोहल्ले से कलेवा बटोर कर मेरे आंगन में आकर रोज सुबह पसर जाती।न अनुमति की आवश्यकता, न हीं आग्रह !बस जैसे उसका ही आंगन हो...भांति भांति की पुड़िया खोल कर अपनी क्षु

5

वाह रे ! तेरा न्याय भगवान

9 अगस्त 2023
11
7
0

आज अमित का गुस्सा सातवें आसमान पर था क्योंकि मनु ने मायके जाने के लिए बोला था ।अमित को कभी भी उसका मायके जाना नहीं सुहाता था।हर बार कोई ना कोई अड़ंगा लगा कर मनु को मायके जाने से रोक ही लेता था।आ

6

सर्द हवाएं

13 अगस्त 2023
8
6
0

"रमुआ जा जाके लकड़ी का इंतजाम कर ।देख सारी रात की मरी पड़ी मां कैसे लकड़ी की तरह अकड़ गई है।" कमली ने रमुआ को झिंझोड़ते हुए कहा।सारी रात रमुआ और कमली अपनी मरी हुई मां के पास बैठे रहे ।सोलह साल क

7

हर घर तिरंगा

14 अगस्त 2023
8
5
0

"भाईयों और बहनों ।जैसा कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ आ रही है तो मै चाहता हूं भारत के हर घर मे तिरंगा लहराना चाहिए।"भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भाषण टीवी पर आ रहा था ।चमेली और उसका पति दिहाड़ी

8

बस...अब और नही

20 अगस्त 2023
9
7
0

वह परिवार अभी हाल - फ़िलहाल ही इस नए मोहल्लें में शिफ्ट हुआ था।छः लोगों के इस परिवार में पति - पत्नी और दो बेटियों के अलावा, बुज़ुर्ग माता - पिता ही थे।अभी मोहल्लें के किसी भी परिवार से इस नए परिवार क

9

पापा की आवाज

22 अगस्त 2023
11
8
0

अपने फ़ोन की फ़ोन बुक में एक नंबर ढूंढ रही थी कि पापा जी का कांटेक्ट नंबर आ गया।उंगलियाँ वहीं थम गईं।तीन चार बार प्यार से फ़ोन पर हाथ फिराया।मेरे पापा- मेरे प्यारे पापा ! जितना लाड़ प्यार मैने अपने

10

तड़प

30 अगस्त 2023
8
8
0

"सोमेश वो देखो उस महिला को सड़क के किनारे इतनी रात गए बैठी है! चलो ना देखते हैं""पारु रहने दो ना किस झमेले में फंस रही हो! पता नहीं कौन है! और इतने रात गए क्यों सड़क पर बैठी है!"इसलिए तो कह रही हूँ ना

11

मां कौन कहेगा?

13 सितम्बर 2023
6
6
0

पूरे घर में हवन का धुआं फैला हुआ था, अग्नि में जलती हुई हवन सामग्री की सुगंध चारों ओर फैल रही थी। सामने दो तस्वीरों पर हार चढ़ा हुआ था। रतन के लिए यह तस्वीरें प्रश्न की कड़ियों से जुड़ गई थी। एक

12

मेरे अपने

20 सितम्बर 2023
4
3
0

" तू मुझे किस आस से मुंह दिखाने चला आया बेशर्म। तूने क्या सोचा था तू अपनी पसंद की ऐरी गेरी किसी भी लड़की से शादी कर लेगा और मैं तुझे माफ कर दूंगी।जा निकल जा घर से और तुम दोनों का चेहरा मैं आज से कभी न

13

जाने कौन से देस

25 सितम्बर 2023
1
1
0

आज निशा का मन बडा उदास था।मन किसी भी काम में नही लग रहा धा।पति और बच्चों को स्कूल और ऑफिस भेज कर वह बरतनों को समेटने लगी।पर मन तो कहीं टिक ही नहीं रहा था।सब कुछ छोड़ कर न

14

निर्भया ही नहीं हूं मैं....बस

25 सितम्बर 2023
1
1
0

आज हर जगह निर्भया ही निर्भया का जिक्र हो रहा है।क्या आप ने कभी सोचा।केवल शारीरिक शोषण ही शोषण नही होता ।मानसिक शोषण भी एक प्रकार का बलत्कार ही है बस कोई घटना प्रकाश मे आ जाती है तो चारों तरफ त्राहि त्

15

आ अब लौट चलें

25 सितम्बर 2023
1
1
0

मां ... मां तुम रो कयो रही हो ,बताओ ना मां.."शिल्पी एकदम से हड़बड़ा कर उठी। कर्ण ने उसको झिंझोड़कर उठाया,"क्या हुआ है शिल्पी तुम नींद मे बडबडाते हुए क्यों रो रही हो?"शिल्पी ने जब अपने आप को सम्ह

16

चलों ना अपने घर

25 सितम्बर 2023
1
1
0

हाय राम ! ये बहू है या आलस की पुड़िया। कोई काम भी पूरा नही करती ।ये देखो कोने मे कचरा पड़ा रह गया और ये महारानी कह रही है कि इसने झाड़ू लगा दी।देखो सूखे कपड़े भी ज्यों के त्यों पड़े है यूं नही कि सब क

17

मेरा वजूद

25 सितम्बर 2023
1
1
0

निशा मेरा टावल कहां है ।ओहो कितनी बार कहा है तुमसे मेरी सारी चीजें निकाल कर सही समय पर मुझे दे दिया करो पर तुम हो के सुनती ही नही।" पचपन साल के सुरेंद्र जी अपनी बावन साल की पत्नी निशा पर बरसने लगे जब

18

मैं जीत कर भी हार गयी

25 सितम्बर 2023
2
2
0

बुआ शब्द सुन,लता की आंँखें फटी की फटी रह गईं।प्रश्न भरी निगाहों से सुनील की तरफ देखा।वो नजरें चुरा रहा था।सुनील से बोली, "क्या जवाब दूंँ !बताइए ना।"दूर से, तरसती आंँखों से माँ भी बेटे के जवाब का इंतजा

19

आख़िर तुम चुप क्यों हो

28 सितम्बर 2023
1
1
0

आखिर तुम चुप क्यों हो?सुगंध के घर में बरसों से बंद पड़े, पीछे के कमरे में (जो घर के बेकार हो चुके सामान से भरा पड़ा था कि ना जाने कब किस सामान की ज़रूरत पढ़ जाये?) बस वहीं छोटी–छोटी अधूरी श्वास लेती हवा म

20

म्हारी छोरियां के छोरा से कम है

28 सितम्बर 2023
2
1
0

गीता के फोन की घँटी लगातार बज रही थी। उसने आंख औ तो देखा रात के दो बजे रहे है। फोन पर उसके मायके की नौकरानी शारदा काकी का नंबर फ़्लैश हो रहा था फोन उठाया देखा तो सत्रह मिस कॉल।उसने घबराहट में तुरंत फोन

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए