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हर घर तिरंगा

14 अगस्त 2023

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"भाईयों और बहनों ।जैसा कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ आ रही है तो मै चाहता हूं भारत के हर घर मे तिरंगा लहराना चाहिए।"
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भाषण टीवी पर आ रहा था ।चमेली और उसका पति दिहाड़ी मजूरी करके अपनी झोपड़ी मे लौट रहे थे। रास्ते मे चाय के खोखे पर टेलीविजन मे भाषण सुन कर रणकू के पैर वही ठिठक गये वह बड़े गौर से सुन रहा था भाषण।जब दो चार मिनट बीत गयी तो चमेली से रहा नही गया वह मचल उठी ,"क्या टुकर टुकर देखत हो मन्नू के बापू ।का मनीसटर बनना है क्या।घर काहे नही चलत बा।"
रणकू सिर हिलाता हुआ बोला,"हां हां चलत हूं।काहे सोर करत है। इ देखब इ देश का बड़ा मंत्री है तीन दिन बाद देश की आजादी का दिन है और इ कहब कि घर घर तिरंगा हुई चाहिब ।कयू ना हम तीन दिनन वास्ते तिरंगा बेचत हाईवे पे।
बहुत से लोग सिर फिरत होत है जो इन चीजन पर पैसा उड़ाना चाहे।"
चमेली बोली,"ठीक बा।जैसा तुम चाहिब।अब घर कू चलब के नाही।"
दोनों अपने घर को चल दिए।अभी शादी को दो साल ही हुए थे ।रणकू और चमेली की। बहुत ही छोटी उम्र मे ब्याह दी थी घर वालों ने इसी साल अठारह साल पूरे किये थे ।गजब की खूबसूरती बख्शी थी भगवान ने । कोई देख ले तो पागल ही हो जाएं। इसलिए रणकू अपने साथ ही रखता था चमेली को।कही गलत हाथों मे पड़ गयी हो बहुत बुरा होगा ।फिर साल भर मे ही मन्नु हो गया।अब तो गृहस्थी के लिए ओर पैसों की जरूरत थी।अब तो मन्नू भी पांव चलने लगा था । इसलिए चमेली को बड़ी दिक्कत होती थी दिहाड़ी मजदूरी करने मे ।कभी कभी तै मन्नू चमेली को काम ही नही करने देता था।
चमेली को भी रणकू की बात भा गयी कि चलों तीन दिन दिहाड़ी मजदूरी से छुट्टी मिलेगी और पांच की चीज पचास मे बिकेगी।दो पैसे घर आयेंगे।
अगले दिन रणकू जहां काम करता था वही पास में हाइवे था वही चमेली को बहुत से झंड़े देकर बैठा गया कि तुम मन्नू को लेकर यही बैठी रहना कोई आये तो इस दाम पर झंड़ा बेचना । रणकू सभी छोटे बड़े झंड़े के दाम बता गया।
पापी पेट ना जाने क्या क्या नही करवाता। बेचारी चमेली झंडों को सड़क के साथ लगी लोहे की गिरिल पर टांग कर बैठ गयी ।बेठे बैठे उसे एक घ़ंटा बीत गया कोई भी ग्राहक नही आया।पर देखते ही देखते झंड़ा बेचने वाले सैकड़ों लोग आ गए। चमेली बेचारी उन मर्दों का कैसे मुकाबला करती । लेकिन फिर भी मन्नू को गोद मे उठा कर झंड़ा हाथ मे लेकर इधर से उधर दौड़ लगा रही थी ।तभी मन्नू भूख से बिलबिलाने लगा।अब वह सरेआम बच्चे को दूध कैसे पिलाएं।पर क्या करे मन्नू टिक ही नही रहा था उसने अपना फटटा हुआ आंचल आगे करके बच्चे को दूध पिलाने लगी तो करामात हो गयी एक दम से दो गाड़ियां दनदनाती हुई उसके पास आकर रूकी जिसमे बैठें आवारा से बदमाश लड़के उससे झंडों का मोलभाव करने लगे। उनकी झंड़े मे कम झंडे बेचने वाली मे ज्यादा दिलचस्पी दिखाई दे रही थी।उसमे से एक बोला ,"क्यों धूप मे रंग काला कर रही है आ जा गाड़ी में बैठकर पसीना सुखा ले।"
चमेली तुनक कर बोली,"बाबू झंड़ा बिकाऊ है मै नही।"
दूसरा आदमी फुसफसाया,"बड़ी करारी है बे ।धर ले।"
ये कहकर एक आदमी गाड़ी से बाहर आया और चमेली को गाड़ी मे धक्का दे कर फुर्र से गाड़ी हाइवे पर चला कर लोप हो गये। मन्नू बेचारा रोता रोता हाइवे के बीचोबीच आ गया।ये तो भला हो दूसरे तिरंगा बेचने वालों ने उसे पकड़ लिया ‌वह बेहताशा रो रहा था।तभी रणकू दिहाड़ी मजदूरी से छूटकर आ गया ।उसने अपने बच्चे को ऐसे रोते देखा तो बेहताशा दौड़ दौड़ कर अपनी पत्नी को ढूंढने लगा।पर चमेली कही नही दिखी।एक झंड़ा बेचने वाले ने बताया कि एक औरत को एक गाडी वाले उठा कर ले गये है।रणकू माथे पर हाथ धर कर रोने लगा
बेचारा भागा भागा पुलिस स्टेशन गया।पर किस को फुर्सत थी गरीब की बात सुनने की।सब पंद्रह अगस्त की तैयारी मे लगे थे ।
रणकू नन्हे मुन्नू को लेकर अपनी झोपड़ी मे आ गया और सारी रात सिसकता रहा तड़के भोर के समय वह क्या देखता है चमेली लड़खड़ाते हुए चली आ रही है जगह जगह से कपड़े फटे हुए थे।।ये देख रणकू को समझते देर नही लगी की उसकी अस्मत लुट चुकी है।वह दौडकर अपनी चमेली से लिपट गया ओर वह उसके पैरों मे गिर पड़ी । रणकू चमेली को झोपड़ी मे ले आया।तभी बाहर शोर सुनाई दिया ।नेता जी आये है लोगों मे झंड़े बांट रहे है बडे मंत्री का आडर है।
रणकू का दिल कर रहा था दरवाजा खोलकर खूब खरी खोटी सुनाए इन नेता लोगों को ।एक तरफ आजादी के जश्न की बाते ,हर घर झंडा होना चाहिए।और एक तरह गरीबों की ये दुर्दशा। रणकू ने नफरत से दांत भींच लिए।और अपनी चमेली को अपने आगोश मे लेकर रोने लगा।
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रचनाएँ
साढ़ा चिड़ियां दा चम्बा वे........
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बेटियां क्यों पराई हो जाती है । क्यों वो हक से अपने अपने मायके नही आ पाती ।उसके दो घर होने के बाद भी कोई घर नहीं होता। मां कहती हैं पराई है और सास कहती हैं पराये घर से आई है बड़ी गजब रचना हूं मैं तेरी भगवान। बेटी बन कर भी पराई ,बहू बन कर भी पराई।।
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साढ़ा चिड़ियां दा चम्बा वे........

6 अगस्त 2023
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"साढा चिड़िया दा चम्बा है बाबल अंसा उडड जाना।साढी लम्बी उडारी वे ।के मुड़ असा नहीं आना...."संगीता पड़ोस में किसी लड़की की शादी में हल्दी की रस्म हो रही था वहां बैठी ये गीत सुन कर भाव विभोर हो गयी। क्य

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पराई

7 अगस्त 2023
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मैं अपने घर से भाग जाना चाहती थी, लेकिन मैं जाती भी तो कहाँ ? ट्रेन के डिब्बे मे मेरे पास वाली सीट पर दो महिलाएं बैठी थी।शायद दोनों सहेलिय

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सिन्दूर की कीमत

7 अगस्त 2023
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शोभा आज अपनी बालकनी में खड़ी प्रकृति को निहार रही थी ।उसने और सौरभ ने कल ही मकान शिफ्ट किया था पहले ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे इसलिए आस-पड़ोस का कुछ भी पता नहीं चलता था लेकिन अब बड़ी सोसायटी में आ गये थ

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उसका बड़प्पन

8 अगस्त 2023
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मेरे चाहे न चाहे वह वैष्णवी रोज ही सारे मोहल्ले से कलेवा बटोर कर मेरे आंगन में आकर रोज सुबह पसर जाती।न अनुमति की आवश्यकता, न हीं आग्रह !बस जैसे उसका ही आंगन हो...भांति भांति की पुड़िया खोल कर अपनी क्षु

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वाह रे ! तेरा न्याय भगवान

9 अगस्त 2023
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आज अमित का गुस्सा सातवें आसमान पर था क्योंकि मनु ने मायके जाने के लिए बोला था ।अमित को कभी भी उसका मायके जाना नहीं सुहाता था।हर बार कोई ना कोई अड़ंगा लगा कर मनु को मायके जाने से रोक ही लेता था।आ

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सर्द हवाएं

13 अगस्त 2023
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"रमुआ जा जाके लकड़ी का इंतजाम कर ।देख सारी रात की मरी पड़ी मां कैसे लकड़ी की तरह अकड़ गई है।" कमली ने रमुआ को झिंझोड़ते हुए कहा।सारी रात रमुआ और कमली अपनी मरी हुई मां के पास बैठे रहे ।सोलह साल क

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हर घर तिरंगा

14 अगस्त 2023
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बस...अब और नही

20 अगस्त 2023
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वह परिवार अभी हाल - फ़िलहाल ही इस नए मोहल्लें में शिफ्ट हुआ था।छः लोगों के इस परिवार में पति - पत्नी और दो बेटियों के अलावा, बुज़ुर्ग माता - पिता ही थे।अभी मोहल्लें के किसी भी परिवार से इस नए परिवार क

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पापा की आवाज

22 अगस्त 2023
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अपने फ़ोन की फ़ोन बुक में एक नंबर ढूंढ रही थी कि पापा जी का कांटेक्ट नंबर आ गया।उंगलियाँ वहीं थम गईं।तीन चार बार प्यार से फ़ोन पर हाथ फिराया।मेरे पापा- मेरे प्यारे पापा ! जितना लाड़ प्यार मैने अपने

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तड़प

30 अगस्त 2023
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"सोमेश वो देखो उस महिला को सड़क के किनारे इतनी रात गए बैठी है! चलो ना देखते हैं""पारु रहने दो ना किस झमेले में फंस रही हो! पता नहीं कौन है! और इतने रात गए क्यों सड़क पर बैठी है!"इसलिए तो कह रही हूँ ना

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13 सितम्बर 2023
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जाने कौन से देस

25 सितम्बर 2023
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आज निशा का मन बडा उदास था।मन किसी भी काम में नही लग रहा धा।पति और बच्चों को स्कूल और ऑफिस भेज कर वह बरतनों को समेटने लगी।पर मन तो कहीं टिक ही नहीं रहा था।सब कुछ छोड़ कर न

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मां ... मां तुम रो कयो रही हो ,बताओ ना मां.."शिल्पी एकदम से हड़बड़ा कर उठी। कर्ण ने उसको झिंझोड़कर उठाया,"क्या हुआ है शिल्पी तुम नींद मे बडबडाते हुए क्यों रो रही हो?"शिल्पी ने जब अपने आप को सम्ह

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25 सितम्बर 2023
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हाय राम ! ये बहू है या आलस की पुड़िया। कोई काम भी पूरा नही करती ।ये देखो कोने मे कचरा पड़ा रह गया और ये महारानी कह रही है कि इसने झाड़ू लगा दी।देखो सूखे कपड़े भी ज्यों के त्यों पड़े है यूं नही कि सब क

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निशा मेरा टावल कहां है ।ओहो कितनी बार कहा है तुमसे मेरी सारी चीजें निकाल कर सही समय पर मुझे दे दिया करो पर तुम हो के सुनती ही नही।" पचपन साल के सुरेंद्र जी अपनी बावन साल की पत्नी निशा पर बरसने लगे जब

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25 सितम्बर 2023
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बुआ शब्द सुन,लता की आंँखें फटी की फटी रह गईं।प्रश्न भरी निगाहों से सुनील की तरफ देखा।वो नजरें चुरा रहा था।सुनील से बोली, "क्या जवाब दूंँ !बताइए ना।"दूर से, तरसती आंँखों से माँ भी बेटे के जवाब का इंतजा

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28 सितम्बर 2023
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आखिर तुम चुप क्यों हो?सुगंध के घर में बरसों से बंद पड़े, पीछे के कमरे में (जो घर के बेकार हो चुके सामान से भरा पड़ा था कि ना जाने कब किस सामान की ज़रूरत पढ़ जाये?) बस वहीं छोटी–छोटी अधूरी श्वास लेती हवा म

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म्हारी छोरियां के छोरा से कम है

28 सितम्बर 2023
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गीता के फोन की घँटी लगातार बज रही थी। उसने आंख औ तो देखा रात के दो बजे रहे है। फोन पर उसके मायके की नौकरानी शारदा काकी का नंबर फ़्लैश हो रहा था फोन उठाया देखा तो सत्रह मिस कॉल।उसने घबराहट में तुरंत फोन

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