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सिन्दूर की कीमत

7 अगस्त 2023

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शोभा आज अपनी बालकनी में खड़ी प्रकृति को निहार रही थी ।उसने और सौरभ ने कल ही मकान शिफ्ट किया था पहले ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे इसलिए आस-पड़ोस का कुछ भी पता नहीं चलता था लेकिन अब बड़ी सोसायटी में आ गये थे फर्स्ट फ्लोर का फ्लैट लिया था सभी सुख सुविधाएं थी।इतनी बड़ी बालकनी थी पूरी सोसायटी का नजारा दिखता था।
सुबह से ही रिमझिम बरखा हो रही थी तो शोभा चाय का कप हाथ में लेकर बालकनी में आ गयी।वह अभी मौसम का लुत्फ उठा ही रही थी कि अचानक उसकी नज़र सर्वेंट क्वार्टर पर पड़ी।अररएए... ये क्या उसकी कामवाली बाई सुनयना केवल पेटीकोट और ब्लाउज में बरसात में खडी भीगती अपने कमरे के दरवाज़े को पीट रही थी ।दूर से देखने पर उसे उसकी हालत तो समझ आ रही थी कि कैसे उसके बाल बिखरे पड़े थे जैसे बेदर्दी से उनको खींचा गया हो ,जगह जगह नील पड़े थे शरीर पर और मुंह से खून भी निकल रहा था क्योंकि वो बार बार फर्श पर थूक रही थी पर वो क्या बोल रही थी ये समझ नहीं आ रहा था। आस-पड़ोस के सर्वेंट क्वार्टर से निकल कर बहुत से मर्द बाहर निकल कर तमाशबीन बने हुए थे ।सुनयना अपनी बची खुची इज्जत को अपने हाथों से ढंकने की भरपूर कोशिश कर रही थी।कुछ मर्दों की आंखों में उसके लिए हमदर्दी थी तो कुछ ललचाई नज़रों से उसे ताड़ रहे थे
किसी के दुःख में भी अपने लिए सुख खोजना कोई उन मर्दों से सीखें।
तभी उसका मर्द बाहर निकला ,हालत से ऐसे लग रहा था जैसे उस पर दारू की बोतल नशा बन कर नाच रही थी। लड़खड़ाते कदमों से उसने सुनयना के बाद पकड़े और घसीटता हुआ खोली में ले गया और भड़ाक से दरवाजा बंद कर लिया। लोगों का भी शो ख़तम हो गया था कुछ "जचचचच, बेचारी सुनयना "करते हुए अपने कमरों में चले गये और कुछ अफसोस करते कि "अब मजा आ ही रहा था कि सब किरकिरा हो गया " ऐसा सोचते हुए अपनी खोली में चले गये। 
दूर खड़ी शोभा के मन में हलचल मची हुई थी ।वो देखती तो थी सुनयना जब काम करने आती थी तो उसके शरीर पर जगह जगह नीले निशान पड़े होते थे ,कभी आंख सूजी होती थी जिसे वो अपनी साड़ी से ढंकने की नाकाम कोशिश करती थी।जब शोभा उससे पूछती कि ये कैसे निशान हैं तो हंसते हुए कहती,"क्या करूं बीबी जी मन्नू के पापा प्यार ही इतना करते हैं और दूसरी तरफ मुंह करके अपनी भर आई आंखों को पल्लू से पौंछ लेती।
आंख सूजने पर बोली," दीदी मन्नू ने जोर का सिर मारा । इसलिए सूज गया।"
शोभा को भी ज्यादा बात कुरेदने की आदत नहीं थी पर आज तो उसने मन बना ही लिया था जब सौरभ काम पर चले जाएंगे तो वो सुनयना से सारी बात पूछेंगी।

नौ बजे सौरभ अपने आफिस के लिए निकले ।शोभा भी डस्टिंग करके सुनयना का इंतजार करने लगी  पर ये क्या सुनयना तो नियत समय पर आई ही नहीं ।शोभा भी समझ गई कि हो सकता है मुंह से खून ज्यादा निकल गया है तो वो ना आ पाई हो ।दूसरा स्त्री मन आहत हुआ होगा जब दूसरे मर्दों ने उसे इस हालत में देखा होगा। पत्नी अपने पति के द्वारा दी गई इज्जत से सौ मन की हो जाती है ।
शोभा फटाफट अपने घर का काम निपटा कर सर्वेंट क्वार्टर की ओर चल पड़ी।वैसे वो बच्चों को लेने एक बजे सोसायटी के गेट पर जाती थी लेकिन वो आज ग्यारह बजे ही नीचे उतर आई।
उसने धड़कते दिल से सुनयना की खोली का दरवाजा खटखटाया।उसे डर था कहीं उसका पति ना हो घर पर  लेकिन जब दरवाजा खटखटाया तो उसने देखा दरवाजा केवल बंद था कुड़ी नहीं लगी थी ।वह दरवाजा ठेल कर अंदर गयी तो हैरान रह गयी अंदर का नजारा उससे देखा नहीं जा रहा था।
सुनयना बिस्तर पर पड़ी थी उसके सारे कपड़े खून से लथपथ थे।सिर कर तेल और हल्दी लगा कर पट्टी बांधी हुई थी ।जिस प्रकार बंधी थी उससे तो यही लगता था जैसे सुनयना ने स्वयं ही पट्टी बांधी हो। शोभा को देखते ही वो बिस्तर से उठने की नाकाम कोशिश करने लगी शोभा ने दौड़ कर उसे पकड़ लिया।
तभी सुनयना बोली," वो....बीबी जी आज मन्नू को नहीं भेज पाई कहलवा करके कि आज मैं नहीं आ पाऊंगी क्यों कि आज सुबह ही मेरा पैर फिसला गया था सोई सिर पर चोट....

"बस.....क्यों सुनयना और कितना झूठ बोलो गी।आज तुम्हारे पति की दरिंदगी मैंने अपनी आंखों से देखी है।
क्यों पाल रखा है तुमने ऐसे मर्द को।साला एक धेला कमाता नहीं । तुम्हारी कमाई से घर चल रहा है फिर भी ऐसे वहशी दरिंदे को तुमने घर पर रखा है ।"
शोभा ने अभी अपनी बात ही पूरी की थी कि तभी कोठरी का दरवाजा जोर से खडका।शोभा ने देखा सोसायटी के एक घर से सुनयना के लिए साड़ी, श्रृंगार का समान और एक कटोरी खीर की लेकर एक लड़की खड़ी थी,"आंटी सुनयना आंटी कहां हैं? ममा ने वैभव लक्ष्मी का उद्यापन किया था सोई सात सुहागिनों को प्रसाद देना था तो मम्मी ने ये उनके लिए भेजा है।"
यह कहकर वह लड़की शोभा को थाली पकड़ा कर चली गई।
तभी सुनयना बोली,"बीबी जी आप को अपनी बात का जवाब मिल गया।देखो मैंने पति के नाम का सिंदूर मांग में भर रखा है तो मैं सुहागनों में गिनी जाती हूं।दूसरा अगर पति को छोड़कर अकेले रहूंगी तो सौ मर्द पति  बनने को तैयार हो जाएं गे।सब यही कहेंगे "छोड़ी हुई है यार।कर ले हाथ साफ" आप ने अगर सुबह का नजारा देखा होगा तो ये भी देखा होगा कि मदद की नजरें कम और वासना की नजरें ज्यादा थी मुझ पर।बस ये समझ लो बीबी जी मैं सिंदूर की कीमत चुका रही हूं अपने खून से मां बाप ने जिसके पल्ले बांध दिया बस उसी के पल्लू से बंधी रहूंगी।"
शोभा को कोई जवाब सूझ नहीं रहा था वह उठी और खोली से बाहर आ गयी।
बच्चों की बस आने में देरी थी वो पार्क में बैठकर सोच रही थी* कितना अंतर है उसमें और सुनयना में ।एक बार सौरभ ने गुस्से में आकर उसपर हाथ उठा लिया था मारा तो था ही नहीं ।वो सब छोड़ कर मायके में साल भर बैठी रही जब तक सौरभ ने नाक रगड़ कर माफी नहीं मांगी वो टस से मस नहीं हुई।
बिना पढ़े लिखे भी कितनी अनुभवी हैं सुनयना।उसने जो बात कही कि बिना पति के हर मर्द उस औरत को अपनी प्रोपर्टी समझता है। वास्तव में जब वो मायके में थी तो गली पड़ोस से सभी मर्द उसे खा जाने वाली निगाहों से तकते थे जैसे वो उनका शिकार हो ।सौरभ उसे ले तो गये मायके से पर बारह साल हो गये उसे मायके नहीं जाने दिया।
क्या हर औरत को सिंदूर की कीमत चुकानी पड़ती है किसी को अपने खून से तो किसी को अपने रिश्तों की बलि देकर ।
बच्चों की स्कूल बस आ चुकी थी शोभा सोचते-सोचते बस की ओर चल दी।ौ
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रचनाएँ
साढ़ा चिड़ियां दा चम्बा वे........
5.0
बेटियां क्यों पराई हो जाती है । क्यों वो हक से अपने अपने मायके नही आ पाती ।उसके दो घर होने के बाद भी कोई घर नहीं होता। मां कहती हैं पराई है और सास कहती हैं पराये घर से आई है बड़ी गजब रचना हूं मैं तेरी भगवान। बेटी बन कर भी पराई ,बहू बन कर भी पराई।।
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साढ़ा चिड़ियां दा चम्बा वे........

6 अगस्त 2023
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"साढा चिड़िया दा चम्बा है बाबल अंसा उडड जाना।साढी लम्बी उडारी वे ।के मुड़ असा नहीं आना...."संगीता पड़ोस में किसी लड़की की शादी में हल्दी की रस्म हो रही था वहां बैठी ये गीत सुन कर भाव विभोर हो गयी। क्य

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पराई

7 अगस्त 2023
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मैं अपने घर से भाग जाना चाहती थी, लेकिन मैं जाती भी तो कहाँ ? ट्रेन के डिब्बे मे मेरे पास वाली सीट पर दो महिलाएं बैठी थी।शायद दोनों सहेलिय

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सिन्दूर की कीमत

7 अगस्त 2023
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उसका बड़प्पन

8 अगस्त 2023
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मेरे चाहे न चाहे वह वैष्णवी रोज ही सारे मोहल्ले से कलेवा बटोर कर मेरे आंगन में आकर रोज सुबह पसर जाती।न अनुमति की आवश्यकता, न हीं आग्रह !बस जैसे उसका ही आंगन हो...भांति भांति की पुड़िया खोल कर अपनी क्षु

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वाह रे ! तेरा न्याय भगवान

9 अगस्त 2023
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आज अमित का गुस्सा सातवें आसमान पर था क्योंकि मनु ने मायके जाने के लिए बोला था ।अमित को कभी भी उसका मायके जाना नहीं सुहाता था।हर बार कोई ना कोई अड़ंगा लगा कर मनु को मायके जाने से रोक ही लेता था।आ

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सर्द हवाएं

13 अगस्त 2023
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"रमुआ जा जाके लकड़ी का इंतजाम कर ।देख सारी रात की मरी पड़ी मां कैसे लकड़ी की तरह अकड़ गई है।" कमली ने रमुआ को झिंझोड़ते हुए कहा।सारी रात रमुआ और कमली अपनी मरी हुई मां के पास बैठे रहे ।सोलह साल क

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हर घर तिरंगा

14 अगस्त 2023
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"भाईयों और बहनों ।जैसा कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ आ रही है तो मै चाहता हूं भारत के हर घर मे तिरंगा लहराना चाहिए।"भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भाषण टीवी पर आ रहा था ।चमेली और उसका पति दिहाड़ी

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बस...अब और नही

20 अगस्त 2023
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वह परिवार अभी हाल - फ़िलहाल ही इस नए मोहल्लें में शिफ्ट हुआ था।छः लोगों के इस परिवार में पति - पत्नी और दो बेटियों के अलावा, बुज़ुर्ग माता - पिता ही थे।अभी मोहल्लें के किसी भी परिवार से इस नए परिवार क

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पापा की आवाज

22 अगस्त 2023
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अपने फ़ोन की फ़ोन बुक में एक नंबर ढूंढ रही थी कि पापा जी का कांटेक्ट नंबर आ गया।उंगलियाँ वहीं थम गईं।तीन चार बार प्यार से फ़ोन पर हाथ फिराया।मेरे पापा- मेरे प्यारे पापा ! जितना लाड़ प्यार मैने अपने

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तड़प

30 अगस्त 2023
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"सोमेश वो देखो उस महिला को सड़क के किनारे इतनी रात गए बैठी है! चलो ना देखते हैं""पारु रहने दो ना किस झमेले में फंस रही हो! पता नहीं कौन है! और इतने रात गए क्यों सड़क पर बैठी है!"इसलिए तो कह रही हूँ ना

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मां कौन कहेगा?

13 सितम्बर 2023
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पूरे घर में हवन का धुआं फैला हुआ था, अग्नि में जलती हुई हवन सामग्री की सुगंध चारों ओर फैल रही थी। सामने दो तस्वीरों पर हार चढ़ा हुआ था। रतन के लिए यह तस्वीरें प्रश्न की कड़ियों से जुड़ गई थी। एक

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20 सितम्बर 2023
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" तू मुझे किस आस से मुंह दिखाने चला आया बेशर्म। तूने क्या सोचा था तू अपनी पसंद की ऐरी गेरी किसी भी लड़की से शादी कर लेगा और मैं तुझे माफ कर दूंगी।जा निकल जा घर से और तुम दोनों का चेहरा मैं आज से कभी न

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जाने कौन से देस

25 सितम्बर 2023
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आज निशा का मन बडा उदास था।मन किसी भी काम में नही लग रहा धा।पति और बच्चों को स्कूल और ऑफिस भेज कर वह बरतनों को समेटने लगी।पर मन तो कहीं टिक ही नहीं रहा था।सब कुछ छोड़ कर न

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निर्भया ही नहीं हूं मैं....बस

25 सितम्बर 2023
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आज हर जगह निर्भया ही निर्भया का जिक्र हो रहा है।क्या आप ने कभी सोचा।केवल शारीरिक शोषण ही शोषण नही होता ।मानसिक शोषण भी एक प्रकार का बलत्कार ही है बस कोई घटना प्रकाश मे आ जाती है तो चारों तरफ त्राहि त्

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आ अब लौट चलें

25 सितम्बर 2023
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मां ... मां तुम रो कयो रही हो ,बताओ ना मां.."शिल्पी एकदम से हड़बड़ा कर उठी। कर्ण ने उसको झिंझोड़कर उठाया,"क्या हुआ है शिल्पी तुम नींद मे बडबडाते हुए क्यों रो रही हो?"शिल्पी ने जब अपने आप को सम्ह

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चलों ना अपने घर

25 सितम्बर 2023
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हाय राम ! ये बहू है या आलस की पुड़िया। कोई काम भी पूरा नही करती ।ये देखो कोने मे कचरा पड़ा रह गया और ये महारानी कह रही है कि इसने झाड़ू लगा दी।देखो सूखे कपड़े भी ज्यों के त्यों पड़े है यूं नही कि सब क

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25 सितम्बर 2023
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निशा मेरा टावल कहां है ।ओहो कितनी बार कहा है तुमसे मेरी सारी चीजें निकाल कर सही समय पर मुझे दे दिया करो पर तुम हो के सुनती ही नही।" पचपन साल के सुरेंद्र जी अपनी बावन साल की पत्नी निशा पर बरसने लगे जब

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मैं जीत कर भी हार गयी

25 सितम्बर 2023
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बुआ शब्द सुन,लता की आंँखें फटी की फटी रह गईं।प्रश्न भरी निगाहों से सुनील की तरफ देखा।वो नजरें चुरा रहा था।सुनील से बोली, "क्या जवाब दूंँ !बताइए ना।"दूर से, तरसती आंँखों से माँ भी बेटे के जवाब का इंतजा

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आख़िर तुम चुप क्यों हो

28 सितम्बर 2023
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आखिर तुम चुप क्यों हो?सुगंध के घर में बरसों से बंद पड़े, पीछे के कमरे में (जो घर के बेकार हो चुके सामान से भरा पड़ा था कि ना जाने कब किस सामान की ज़रूरत पढ़ जाये?) बस वहीं छोटी–छोटी अधूरी श्वास लेती हवा म

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म्हारी छोरियां के छोरा से कम है

28 सितम्बर 2023
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गीता के फोन की घँटी लगातार बज रही थी। उसने आंख औ तो देखा रात के दो बजे रहे है। फोन पर उसके मायके की नौकरानी शारदा काकी का नंबर फ़्लैश हो रहा था फोन उठाया देखा तो सत्रह मिस कॉल।उसने घबराहट में तुरंत फोन

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