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पराई

7 अगस्त 2023

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मैं अपने घर से भाग जाना चाहती थी, लेकिन मैं जाती भी तो कहाँ ?
        ट्रेन के डिब्बे मे  मेरे पास  वाली सीट पर दो महिलाएं बैठी थी।शायद दोनों  सहेलियां  थी।उनकी बातों के कुछ कुछ  अंश मेरे कानों मे पडे तो मन उत्सुक हुआ कि आगे  वो क्या बात बताने वाली है।किसी की यूँ पर्सनल बातें  सुनना सभ्यता  नही है पर हाय !रे नारी मन बैचैनी हो ही जाती है।वह औरत जो कहानी बता रही थी अपनी सहेली को उसका नाम रमा था। रमा आगे कहने लगी ,"क्या बताऊँ मनि जब से शादी हुई है सुख का एक भी सांस  नही लिया। पति को पता नही क्या है जब देखो बात बे बात मारते रहते है।उस दिन तो हद ही हो गयी।मायके से आना जाना तो पहले ही बन्द कर रखा है मेरा ।अपने आप को मेरा और बच्चो  का भगवान  समझते है। एक दिन  तो कह रहे थे तुम और तुम्हारे बच्चे  मेरी दया पर है।अगर मै रोटी ना दू तो सडकों पर भीख मांगते घुमो। "
इतने मै दूसरे वाली औरत जिसका नाम मनि था उसने सिर हिलाते हुए कहा ,"बडा ही जलील आदमी है भला अपनी बीवी और बच्चो के लिए कोई ऐसे शब्द बोलता है।"अब उन दोनों  ने मुझे भी अपनी आत्म कथा मे शामिल कर लिया ।मै भी मनि की इस बात से सहमत थी। रमा फिर से अपनी कहानी बताने लगी।बोली,"एक बार मुझे और मेरे बच्चो  को मार मार कर घर से निकाल दिया। उस दिन तो मैने भी ठान ली कि मै और मेरे बच्चे  इस जलालत भरी जिंदगी से इस नरक से दूर भाग जाये गे। पर जाये तो जाये कहाँ?यही सोच सोच कर मन भारी हो रहा था मै अनपढ़  औरत बसों का मुझे नही पता कहाँ  जाऊं ।बस सटैड  पर दोनों  बच्चो  को लेकर बैठी रही ।मायके किस मुँह से जाऊँ ।तभी हमारे एक परिचित मिल गये जो हमारे मायके की गली मे रहते थे।उनहोंने मुझे पहचान लिया।तुरन्त मेरे मायके खबर कर दी कि बिटिया बस सटैड  पर बैठी है। मायके वाले बोले ,"प्लीज  आप रमा को अपने साथ ले आओ।उनका भी मन तरह तरह की बाते सोचकर घबरा रहा था।परिचित मुझे लेकर हमारे गाँव आ गये। पता है मायके की गली मुझे ऐसे लग रही थी जैसे मुझे पुचकार रही हो।घर में घुसी तो माँ  भावज ने गले लगाया आओ  दीदी ,बैठो आप चिंता  क्यो  करते हो ।हम ठीक कर देंगे सब ।"मैने भी सोचा बस अब और अत्याचार सहन नही करूँ गी। नारी हूँ तो इसका मतलब ये नही कि सारा दिन बात बे बात पति के लात घूंसे खाती रहूँ ।मन भारी था आज सारा दिन  जो घटनाक्रम बीता एक एक करके आखों के आगे आ रहा था।माँ का मन बार बार रो रहा था पुचकारते हुए मेरे आंसुओ को पोंछे जा रही थी।बस बेटी सो जा अब तुझे चिंता करने की कोई जरूरत नही हम है ना ।तेरा भाई सब ठीक कर देगा।"मै  भी मन को समझा कर सो गयी।"
      इतने मे शायद कोई स्टेशन आ गया था ।ट्रेन  पटरी पर धीमे धीमे चल रही थी ।रमा का भी पिछली बातें  याद करके गला रुंध गया  था उसने अपने बैग मे से पानी की बोतल निकाली और एक ही सांस मे आधी बोतल खाली कर दी। मन बेचैन हो तो गला भर ही आता है।ट्रेन  ने फिर रफ्तार पकड़ी तो रमा एक बार फिर पिछली यादों मे चली गयी। वह बोली," मै लेट तो गयी पर नींद तो कोसों दूर थी।दोनो बच्चे  तो दिन भर मेरे साथ धक्के खा कर कब के सो चुके थे।रात को अचानक  से भाई और भाभी  के कमरे से आवाजें  आ रही थी।शायद ये सोच कर भाभी बोलने मे और मुखर हो गयी थी कि मै सो चुकी हूँ ।भाभी की आवाज़ मेरे कानो को साफ साफ सुनाई  दे रही थी।वो भाई  को बोल रही थी।,"सुनो जी ये तीन तीन माँ बेटा आकर मेरी छाती पर बैठ गये है।मै नही सहन करूँ गी ।ऐसा करो इन दोनों बच्चो को इनके पिता के पास छोड़ आओ। जब इनके (बच्चो)पिता ने आप  की बहन को नही रखा तो हम उनकी जायी औलाद को क्यो रखे।रही दीदी की बात दीदी यहाँ रहे गी तो मुझे तो काम मे मदद ही मिले गी। साफ लग रहा था भाभी क्या चाहती है।अगले दिन सुबह होते ही भाई  मेरे पास आया और बोला ,"देख रमा हम तुझे तो रख लेंगे पर ये बच्चे  उसके (रमा के पति) के है इनकी इस घर मे कोई जगह नही है।इनको तो तुझे छोड़ना पड़े गा। माँ  भी भाई  अधीन थी माँ भी हां  मे हां मिलाने लगी।मेरा मन अन्दर से तडप उठा मै अपने बच्चो  से कैसे अलग हो जाऊँ । मै सोचने लगी इनहोने क्या कसूर किया है।इनका बाप तो इनको भी मारता है।इन मासूम कोंपलो को उस कसाई के हाथ कैसे सौंप दू ।मैने माँ को बस इतना ही कहा कि माँ  जैसे रात को आप का मन दुख रहा था मेरी हालत देख कर तो मै भी तो एक माँ हूँ मै कैसे इन नन्ही जानो को अपने से अलग कर दू ।और बस हाथ जोड़कर यही कहाँ कि मुझे वापस ससुराल वाली बस मे बैठा दो।भाई ने बस मे बैठा दिया और वापस चल दी मै उसी नरक मे सिर्फ अपने बच्चो  की खातिर।"इतना कह कर रमा अपनी सहेली के कंधे पर सिर रख कर फूट फूट कर रो पडी।और मै भी सोचती रह गयी औरत का कौन सा घर अपना होता है शायद कोई सा भी नही अचानक से कुछ पंक्तियाँ याद आ गयी
  
बड़ी  गजब की रचना हूँ  मै, तेरी भगवान
बेटी बन कर भी परायी  हूँ और बहू  बन कर भी परायी ।


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रचनाएँ
साढ़ा चिड़ियां दा चम्बा वे........
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बेटियां क्यों पराई हो जाती है । क्यों वो हक से अपने अपने मायके नही आ पाती ।उसके दो घर होने के बाद भी कोई घर नहीं होता। मां कहती हैं पराई है और सास कहती हैं पराये घर से आई है बड़ी गजब रचना हूं मैं तेरी भगवान। बेटी बन कर भी पराई ,बहू बन कर भी पराई।।
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साढ़ा चिड़ियां दा चम्बा वे........

6 अगस्त 2023
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"साढा चिड़िया दा चम्बा है बाबल अंसा उडड जाना।साढी लम्बी उडारी वे ।के मुड़ असा नहीं आना...."संगीता पड़ोस में किसी लड़की की शादी में हल्दी की रस्म हो रही था वहां बैठी ये गीत सुन कर भाव विभोर हो गयी। क्य

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पराई

7 अगस्त 2023
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मैं अपने घर से भाग जाना चाहती थी, लेकिन मैं जाती भी तो कहाँ ? ट्रेन के डिब्बे मे मेरे पास वाली सीट पर दो महिलाएं बैठी थी।शायद दोनों सहेलिय

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सिन्दूर की कीमत

7 अगस्त 2023
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शोभा आज अपनी बालकनी में खड़ी प्रकृति को निहार रही थी ।उसने और सौरभ ने कल ही मकान शिफ्ट किया था पहले ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे इसलिए आस-पड़ोस का कुछ भी पता नहीं चलता था लेकिन अब बड़ी सोसायटी में आ गये थ

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उसका बड़प्पन

8 अगस्त 2023
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मेरे चाहे न चाहे वह वैष्णवी रोज ही सारे मोहल्ले से कलेवा बटोर कर मेरे आंगन में आकर रोज सुबह पसर जाती।न अनुमति की आवश्यकता, न हीं आग्रह !बस जैसे उसका ही आंगन हो...भांति भांति की पुड़िया खोल कर अपनी क्षु

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वाह रे ! तेरा न्याय भगवान

9 अगस्त 2023
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आज अमित का गुस्सा सातवें आसमान पर था क्योंकि मनु ने मायके जाने के लिए बोला था ।अमित को कभी भी उसका मायके जाना नहीं सुहाता था।हर बार कोई ना कोई अड़ंगा लगा कर मनु को मायके जाने से रोक ही लेता था।आ

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सर्द हवाएं

13 अगस्त 2023
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"रमुआ जा जाके लकड़ी का इंतजाम कर ।देख सारी रात की मरी पड़ी मां कैसे लकड़ी की तरह अकड़ गई है।" कमली ने रमुआ को झिंझोड़ते हुए कहा।सारी रात रमुआ और कमली अपनी मरी हुई मां के पास बैठे रहे ।सोलह साल क

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हर घर तिरंगा

14 अगस्त 2023
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"भाईयों और बहनों ।जैसा कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ आ रही है तो मै चाहता हूं भारत के हर घर मे तिरंगा लहराना चाहिए।"भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भाषण टीवी पर आ रहा था ।चमेली और उसका पति दिहाड़ी

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बस...अब और नही

20 अगस्त 2023
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वह परिवार अभी हाल - फ़िलहाल ही इस नए मोहल्लें में शिफ्ट हुआ था।छः लोगों के इस परिवार में पति - पत्नी और दो बेटियों के अलावा, बुज़ुर्ग माता - पिता ही थे।अभी मोहल्लें के किसी भी परिवार से इस नए परिवार क

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पापा की आवाज

22 अगस्त 2023
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अपने फ़ोन की फ़ोन बुक में एक नंबर ढूंढ रही थी कि पापा जी का कांटेक्ट नंबर आ गया।उंगलियाँ वहीं थम गईं।तीन चार बार प्यार से फ़ोन पर हाथ फिराया।मेरे पापा- मेरे प्यारे पापा ! जितना लाड़ प्यार मैने अपने

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तड़प

30 अगस्त 2023
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"सोमेश वो देखो उस महिला को सड़क के किनारे इतनी रात गए बैठी है! चलो ना देखते हैं""पारु रहने दो ना किस झमेले में फंस रही हो! पता नहीं कौन है! और इतने रात गए क्यों सड़क पर बैठी है!"इसलिए तो कह रही हूँ ना

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मां कौन कहेगा?

13 सितम्बर 2023
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पूरे घर में हवन का धुआं फैला हुआ था, अग्नि में जलती हुई हवन सामग्री की सुगंध चारों ओर फैल रही थी। सामने दो तस्वीरों पर हार चढ़ा हुआ था। रतन के लिए यह तस्वीरें प्रश्न की कड़ियों से जुड़ गई थी। एक

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मेरे अपने

20 सितम्बर 2023
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" तू मुझे किस आस से मुंह दिखाने चला आया बेशर्म। तूने क्या सोचा था तू अपनी पसंद की ऐरी गेरी किसी भी लड़की से शादी कर लेगा और मैं तुझे माफ कर दूंगी।जा निकल जा घर से और तुम दोनों का चेहरा मैं आज से कभी न

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जाने कौन से देस

25 सितम्बर 2023
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आज निशा का मन बडा उदास था।मन किसी भी काम में नही लग रहा धा।पति और बच्चों को स्कूल और ऑफिस भेज कर वह बरतनों को समेटने लगी।पर मन तो कहीं टिक ही नहीं रहा था।सब कुछ छोड़ कर न

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निर्भया ही नहीं हूं मैं....बस

25 सितम्बर 2023
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आज हर जगह निर्भया ही निर्भया का जिक्र हो रहा है।क्या आप ने कभी सोचा।केवल शारीरिक शोषण ही शोषण नही होता ।मानसिक शोषण भी एक प्रकार का बलत्कार ही है बस कोई घटना प्रकाश मे आ जाती है तो चारों तरफ त्राहि त्

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आ अब लौट चलें

25 सितम्बर 2023
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मां ... मां तुम रो कयो रही हो ,बताओ ना मां.."शिल्पी एकदम से हड़बड़ा कर उठी। कर्ण ने उसको झिंझोड़कर उठाया,"क्या हुआ है शिल्पी तुम नींद मे बडबडाते हुए क्यों रो रही हो?"शिल्पी ने जब अपने आप को सम्ह

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चलों ना अपने घर

25 सितम्बर 2023
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हाय राम ! ये बहू है या आलस की पुड़िया। कोई काम भी पूरा नही करती ।ये देखो कोने मे कचरा पड़ा रह गया और ये महारानी कह रही है कि इसने झाड़ू लगा दी।देखो सूखे कपड़े भी ज्यों के त्यों पड़े है यूं नही कि सब क

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मेरा वजूद

25 सितम्बर 2023
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निशा मेरा टावल कहां है ।ओहो कितनी बार कहा है तुमसे मेरी सारी चीजें निकाल कर सही समय पर मुझे दे दिया करो पर तुम हो के सुनती ही नही।" पचपन साल के सुरेंद्र जी अपनी बावन साल की पत्नी निशा पर बरसने लगे जब

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मैं जीत कर भी हार गयी

25 सितम्बर 2023
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बुआ शब्द सुन,लता की आंँखें फटी की फटी रह गईं।प्रश्न भरी निगाहों से सुनील की तरफ देखा।वो नजरें चुरा रहा था।सुनील से बोली, "क्या जवाब दूंँ !बताइए ना।"दूर से, तरसती आंँखों से माँ भी बेटे के जवाब का इंतजा

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आख़िर तुम चुप क्यों हो

28 सितम्बर 2023
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आखिर तुम चुप क्यों हो?सुगंध के घर में बरसों से बंद पड़े, पीछे के कमरे में (जो घर के बेकार हो चुके सामान से भरा पड़ा था कि ना जाने कब किस सामान की ज़रूरत पढ़ जाये?) बस वहीं छोटी–छोटी अधूरी श्वास लेती हवा म

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म्हारी छोरियां के छोरा से कम है

28 सितम्बर 2023
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गीता के फोन की घँटी लगातार बज रही थी। उसने आंख औ तो देखा रात के दो बजे रहे है। फोन पर उसके मायके की नौकरानी शारदा काकी का नंबर फ़्लैश हो रहा था फोन उठाया देखा तो सत्रह मिस कॉल।उसने घबराहट में तुरंत फोन

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