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वाह रे ! तेरा न्याय भगवान

9 अगस्त 2023

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आज अमित का गुस्सा सातवें आसमान पर था क्योंकि मनु ने मायके जाने के लिए बोला था ।अमित को कभी भी उसका मायके जाना  नहीं सुहाता था।हर बार कोई ना कोई अड़ंगा लगा कर मनु को मायके जाने से रोक ही लेता था।
आज सुबह सुबह मनु के भाई का फोन आया कि भतीजे की सगाई हुई है ।कल रोका है तुम्हें आना होगा।
अमित को शुरू से ही मनु के मायकेवाले पसंद नहीं थे।वह थोड़ा मगरूर किस्म का इंसान था ।बात बात पर मनु के मायकेवालों को ताने देना, गालियां देना तो उसका हर रोज का काम था ।
दरअसल वह मनु पर हाथ उठाया करता था उसके मायके वालों ने उसका विरोध किया तो वे ही अमित के दुश्मन बन बैठें। अमित की नजरों में वे दुनिया के सबसे घटिया इंसान थे।
वो मनु को उसकी जड़ों से अलग रखना चाहता था ।मनु को याद है वह जब जब मायके जाती थी तब तब क्लेश होता था । इसलिए उस बेचारी ने मायके जाना ही कम कर दिया।उसके दोनों बच्चे साहिल और प्रिया अक्सर मां को छुप कर मायके के लिए रोते हुए देखते थे।
नन्ही प्रिया तो मां से लिपट कर अक्सर कहती थी मां मेरे लिए ऐसा पति मत ढूंढना।अगर वो मुझे तुम्हारे पास नहीं आने देगा तो मैं तो मर ही जाऊंगी।
जब भी मायके में कोई उत्सव या आयोजन होता वह महीनों पहले अमित को मनाने में जुटे जाती थी ।कहीं ऐन मौके पर उसे जाने के लिए मना ना कर दे।
उसे याद था जब उसके भांजे की शादी थी तब कितने ही फोन जीजा जी ने और कितने ही फोन भाई ने किए थे कि तुम कब आ रही हो।मनु सारा दिन फफकती रही पर अमित के कान पर जूं तक नहीं रेंगी।अपनी मर्जी से रात को आठ बजे शादी समारोह में पहुंचे वे लोग और ग्यारह बजे वापिस भी हो गये घर के लिए।मनु सारे रास्ते आंखों में पानी लिए गाड़ी में बैठी रही कि क्या औरत का यही वजूद है अगर पति अत्याचार करें तो वो मायके वालों को बुला ले तो कोई गुनाह हो जाता है क्या?
पर अमित तो शराब के नशे में भी जैसे मनु को जलाने के लिए गुनगुनाता जा रहा था।उसे मजा आता था मनु को तड़पाने में।
कल तो मनु के भतीजे की सगाई थी ।सारी रात मनु की रोते रोते निकल गयी।पर अमित ने एक ना सुनी।
"बस कह दिया तो कह दिया ।तुम सगाई में नहीं जाओगी।शादी में भेज दूंगा वो थोड़ा है क्या।या उसकी भी मनाही कराओगी।"
मनु मन मार कर रह गयी।बस एक फांस थी जो सदा सदा के लिए उसके सीने में गड़ गयी थी।
समय का पहिया घूमने लगा । नन्ही प्रिया अब शादी लायक हो गयी थी बहुत से रिश्ते आये अमित ने चुनकर एक वेल सेटल्ड बिजनेस मेन अपनी लाड़ली के लिए पसंद किया।
शादी में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी ।पर कहते है अपने से उच्च घर देखो तो फरमाइश भी उनकी ऊंची होती है ।यही हुआ । शादी में गाड़ी को लेकर थोड़ी सी खींचतान हो गई थी प्रिया की ससुराल वालों से।
जिसका खामियाजा प्रिया को शादी से अगले ही दिन चुकाना पड़ा । ससुराल जाते ही ससुर सास और पति ने ताना मार दिया कि लाई ही क्या हो।
धीरे धीरे उस पर पाबंदी लगा दी गयी कि तुम को अगर हमारे घर रहना है तो तुम उन भुखे नंगों के यहां नहीं जाओगी। प्रिया को भी मनु के संस्कार मिले थे।वो भी पति को ही सर्वेसर्वा मानती थी।
भगवान की लाठी में आवाज नहीं होती साहिल की सगाई पक्की हो गयी थी।कल रोका था अमित ने प्रिया की ससुराल फोन लगाया कि प्रिया व दामाद जी को कल भेज दीजिए उसके भाई का रोका है।उसके ससुर ने ये कहकर फोन रख दिया कि परमानेंट ही रख लीजिए अपनी बेटी को।
अमित आज सुबह से बिलबिला रहा है और लगातार प्रिया के ससुराल वालों को कोस रहा है "ऐसे कैसे नहीं आने देंगे वो लोग मेरी प्रिया को ।मैं पुलिस लेकर चला जाऊंगा।बेटी दी है । कोई बेची नहीं है।"

मनु आज मन ही मन सोच रही थी कि भगवान की लाठी में आवाज नहीं होती ।मेरे समय में यही अमित कैसे घमंड में चूर होकर मेरे मायकेवालों को गालियां देते थे। मुझे भतीजे की शादी में नहीं जाने दिया।आज जब खुद की बेटी नहीं आ रही तो कैसे बिलबिला रहे हैं।वाह रे तेरा न्याय भगवान।

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रचनाएँ
साढ़ा चिड़ियां दा चम्बा वे........
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