माँ अपने बच्चों की पढाई के लिए गहने बेच देती हैं ऐसा आपने सुना होगा लेकिन कोई स्कूल की टीचर अपने स्कूल के बच्चों की पढाई के लिए गहने बेच देगी ऐसा आज के दौर में सोचना भी मुश्किल है। ये कहानी तमिलनाडु के विल्लुपुरम की टीचर अन्नपूर्णा मोहन की है। जिन्होंने छात्रों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए अपनी सारी कमाई न्योछावर कर दी और अपने आभूषण बेचकर एक सरकारी स्कूल को अनूठे स्कूल में बदल देने का दुनिया भर के शिक्षकों के सामने एक बेहतरीन उदाहरण पेश किया।
अन्नपूर्णा पंचायत संघ प्राथमिक स्कूल (PUPS) में एक इंग्लिश टीचर हैं। स्कूल की बेहतरी और बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखकर अन्नपूर्णा मोहन ने सब से पहले बच्चों के उच्चारण, व्याकरण और भाषा पर ध्यान देना शुरू किया। उनके अनुसार सबसे पहले बच्चों को कुछ भी सिखाने समाझाने के लिए उनके बुनियादी ढांचे पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
वे कहती हैं, 'तमिलनाडु में शिक्षक इस पद्धति का इस्तेमाल नहीं करते हैं और तोते जैसा रटा कर अंग्रेजी सिखाते हैं, जिस कारण से छात्रों में अंग्रेजी का डर बन जाता है। फोनेटिक आधार के माध्यम से मैंने उन्हें आवाज़ सिखाई, जो उन्हें जटिल अंग्रेजी शब्दों को पढ़ने में मदद करती।'
अन्नपूर्णा फेसबुक पर अपनी कक्षाओं और अंग्रेजी में बोलने वाले बच्चों के वीडियो अपलोड करती रही हैं। छात्रों द्वारा दिखाये गये बेहतर परिणामों के कारण और छात्रों के जीवन में एक ठोस अंतर लाने के प्रति उनकी गहरी रुचि तथा इस अभ्यास से वे काफी चर्चा में आ गई हैं। अपने सकारात्मक परिवर्तन और प्रयास के बारे में बात करते हुए अन्नपूर्णा कहती हैं।
'मैंने खुद ऐसा करने का फैसला किया, क्योंकि मैं किसी पर बोझ नहीं डालना चाहती थी। अपने प्रयास को कुशलतापूर्वक स्वयं करने से इसे और अच्छे से कर पाई। मैं अपने काम को खुद से ही करना चाहती थी, किसी और पर निर्भर होती तो कर भी नहीं पाती और वैसे भी मुझे किसी और पर निर्भर होने की ज़रूरत नहीं थी।'
विद्यालय और शिक्षक विल्लुपुरम जिले में छात्रों के लिए मसीहा बन गए हैं। मीडिया में विकास की बात शुरू होने के साथ ही फंड भी आने लगा है। अन्नपूर्णा बताती हैं, 'सरकारी स्कूलों में शिक्षण का स्तर प्राइवेट स्कूलों जितना अच्छा नहीं है।
प्राइवेट स्कूलों में माता-पिता उस शिक्षा के लिए लाखों रुपये का भुगतान करते हैं, जो वास्तव में उनके बच्चों को मुफ्त मिलनी चाहिए। थोड़े से प्रयास से सरकारी स्कूल भी उन परिवारों और अभिवाकों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर सकते हैं, जो प्राइवेट स्कूल की फीस नहीं दे सकते।' (साभार :योर स्टोरी)