नई दिल्लीः पूरे 3.10 अरब रुपये के विदेशी फंड से आदिवासियों का भला करने की चाल के पीछे धर्मांतरण की साजिश का खुलासा हुआ है। खुफिया एजेंसी की एक रिपोर्ट ने झारखंड सहित केंद्र सरकार के कान खड़े कर दिए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले तीन साल में फॉरन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट के तहत मिले धन का इस्तेमाल झारखंड में धर्मांतरण कराने में किया जा रहा है। सरकार को यह रिपोर्ट विशेष शाखा ने उपलब्ध कराते हुए सीआईडी जांच की मांग की है।
स्कूलों पर कब्जा कर मिशनरियों का नापाक खेल जारी
ईसाई मशीनरियां बड़ी चालाकी से झारखंड में धर्मांतरण का खेल खेल रहीं हैं। इसके लिए सरकार की योजना को ही हथियार बनाया है। आदिवासी बच्चों को शिक्षा के लिए सरकार ने आदिम जनजाति व इंटीग्रेटेड ट्रायबल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट शुरू किया है। हर जिले को तकरीबन 40 लाख रुपये सरकार से भी मिलते हैं। योजना के जरिए आदिवासियों को शिक्षा संग रोजगार उपलब्ध कराना है। खेल विभाग के तहत ऐसे कुल 130 आवासीय स्कूल संचालित हैं। इसमें 50 स्कूल ईसाई मिशनरियां चला रहीं हैं। जांच में पता चला कि धार्मिक संस्थाओं की ओर से संचालित इन स्कूलों को पिछले तीन साल में तीन अरब से ज्यादा रुपये दिए गए।
पांच साल में खर्च पैसे के उपयोग की जांच की सिफारिश
विशेष शाखा ने अपनी गोपनीय रिपोर्ट में योजना के तहत पिछले पांच साल में खर्च हुए पैसे और उसके उपयोग की जांच की सिफारिश की है। कहा है कि पता लगाया जाए की धार्मिक संस्थाओं की ओर से विदेशी फंड का इस्तेमाल आदिवासियों को शिक्षा और रोजगार देने के बदले मे ही किया गया है या उन्हें प्रलोभन देकर ईसाई बनाने में।
क्या है एफसीआरए
फॉरन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट यानी विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम। यह एक्ट विदेशों से चंदा प्राप्त करने वाले गैर सरकारी संगठनों की निगरानी के लिए बना है। इस एक्ट की शर्तों के हिसाब से ही कोई एनजीओ विदेशी फंड हासिल कर सकता है। एफसीआरए का लाइसेंस मिलने पर ही विदेशी चंदा हासिल होता है। अभी हाल में इस्लामी प्रचारक जाकिर नाईक की संस्था का लाइसेंस भी गैरकानूनी गतिविधियों के कारण सरकार ने रद कर रखा है।