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तिरंगा ऊँचा रहना

15 अगस्त 2022

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भारत के जन गण मन के तुम रहो बनके अभिमान

आजादी के रूप में भारत के अक्षय वरदान


तिरंगा ऊँचा रहना, यही बस तुमसे कहना


जाने कितने संघर्षों के बन परिणाम मिले हो

जान की बाजी बहुत लगाई, तब ईनाम मिले हो

सदियों के बलिदानी युद्धों के अंजाम मिले हो

आगे भी संघर्ष का पथ है, बन पैगाम मिले हो

आगे भी तुम पर होंगे भारतवासी बलिदान


तिरंगा ऊँचा रहना, यही बस तुमसे कहना


बढ़े देश नित प्रगति पथ पर, नित्य निखरता जाए

रहा पुरातन में जो गोरव, वैसा दिन फिर आए

भारत फिर से सत्य सनातन शिव सुंदर हो जाए

सारा जग फिर विश्वगुरु कह अपने शीश झुकाए

दुनिया में बढ़ता जाए नित मेरे देश का मान


तिरंगा ऊँचा रहना, यही बस तुमसे कहना


चरण वंदना करता सागर, भाल हिमाचल उन्नत

फिर अखंड हो राष्ट्र, करोड़ों जन का एक ही अभिमत

बने भुजाएँ, जो खंडित हो गए राष्ट्र हैं सारे

दूर दूर तक गूँजे भारत की जय जय जयकारें

दूर दूर तक तुम फहराओ, राष्ट्र का गूँजे गान


तिरंगा ऊँचा रहना, यही बस तुमसे कहना


ऋषि दधीचि के वंशज, हम अस्थिदान के आदी

लौह भुजाएँ, सूर्य दृष्टि, हम सब के सब फौलादी

हमसे क्या जीतेंगे मुट्ठीभर कायर, उन्मादी

राष्ट्रभक्त जब तक बाकी, अक्षुण्ण रहे आजादी

हम प्रताप, लक्ष्मी, सुभाष और दुर्गा की संतान


तिरंगा ऊँचा रहना, यही बस तुमसे कहना


विस्मृत न हो आँखों से सरहद के वीर सिपाही

मानवता को भूल न जाएँ हम विकास के राही

काश्मीर से केरल तक तुम अक्षयवट बन रहना

रहे सदा स्वायत्त देश यह, अमृतघट बन रहना

तुम पर सबकुछ अर्पण कर दें, क्या तन मन, क्या प्राण


तिरंगा ऊँचा रहना, यही बस तुमसे कहना


भारत के जन गण मन के तुम रहो बनके अभिमान

आजादी के रूप में भारत के अक्षय वरदान


तिरंगा ऊँचा रहना, यही बस तुमसे कहना


✍️वंदना

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रचनाएँ
बिखरी पंखुड़ियां
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मेरे भावों के सप्तरंगों का इंद्रधनुष है, गीतों की लड़ियों, कविताओं के छंदों में, अलग अलग फैली, जैसे समेटने की कोशिश में बिखर गई पंखुड़ियां हों या अलग अलग ऱग के फूलों की।

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