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दो अजनबी

7 नवम्बर 2024

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सर्दी की उस सुबह मनाली की वादियां अपनी सबसे खूबसूरत शक्ल में थीं। आसमान हल्के गुलाबी रंग से रंगा हुआ था, जैसे सूरज अपनी पहली किरणों से रात के अंधेरे को धीरे-धीरे सहला रहा हो। बर्फ से ढके पहाड़ अपनी मौन गवाही दे रहे थे, और ठंडी हवाएं हर गुजरने वाले को अपनी उपस्थिति का एहसास करा रही थीं।

चाय की एक पुरानी दुकान, लकड़ी की मेजें, और कोने में रखी लोहे की अंगीठी। एक मेज पर दो अजनबी बैठे थे—दो बिल्कुल अलग जीवन जीने वाले, लेकिन शायद एक समान खालीपन से भरे हुए।

पहला अजनबी, करीब 28 साल का एक युवक जिसका नाम प्रभात था, चाय के प्याले को अपनी ठंडी उंगलियों से थामे, आसमान को देख रहा था। उसकी बगल में बैठी लड़की, जिसका नाम अरुणिमा था, जो लगभग 25 साल की थी, उसे देख रही थी। दोनों चुप थे, लेकिन कभी-कभी चुप्पी सबसे गहरी बात कह जाती है।
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प्रभात ने चाय का घूंट लिया और धीमी आवाज में कहा, "यह जगह... यहां की ठंडी हवाएं और ये गुलाबी आभा... मुझे हमेशा उसे याद दिलाती है।"

अरुणिमा ने अपनी भौंहें उठाकर उसकी तरफ देखा। युवक ने महसूस किया कि उसने कुछ ऐसा कह दिया, जिसे शायद उसे समझाना जरूरी है।

उसने बोलना शुरू किया, "पाँच साल पहले, मैं यहां अपनी मंगेतर के साथ आया था। नेहा नाम था उसका। वह बहुत सरल, बहुत खूबसूरत थी, और शायद दुनिया की सबसे सच्ची इंसान। हम यहां इस घाटी में आए थे, और इस जगह ने हमें अपना बना लिया था। ठंडी हवाएं हमारे चेहरों को छूती थीं, और उस गुलाबी आभा में हमने वादा किया था कि हम हमेशा एक-दूसरे के साथ रहेंगे।"

उसने एक पल के लिए चाय का प्याला नीचे रखा, जैसे यादें उसके हाथों को भारी कर रही हों। फिर उसने कहा, "लेकिन जिंदगी वादों की परवाह नहीं करती। मैं एक इंजीनियर हूं। अपने काम में इतना उलझ गया कि नेहा के लिए वक्त ही नहीं निकाल पाया। उसने कई बार कहा, 'तुम्हारा वक्त नहीं, लेकिन मेरा सब कुछ सिर्फ तुम हो।' और मैंने हर बार यही जवाब दिया, 'बस कुछ दिन और।' वो दिन कभी नहीं आए।"

उसकी आवाज लड़खड़ाने लगी। उसने आसमान की ओर देखा और बोला, "एक दिन उसने कहा, 'तुम मुझे खो चुके हो, और खुद को भी।' और वो चली गई। मैं उसे रोक नहीं सका। अब यहां आता हूं, तो ये ठंडी हवाएं मुझे उसके स्पर्श की तरह महसूस होती हैं। और ये गुलाबी आभा... जैसे वो मुझसे कह रही हो, 'तुमने मुझे छोड़ दिया, लेकिन मेरी यादें नहीं।'"

प्रभात चुप हो गया। उसकी आँखें नम थीं। उसने महसूस किया कि वह अपने दर्द को किसी के सामने पहली बार इतनी गहराई से व्यक्त कर रहा था।

कुछ पल की चुप्पी के बाद, अरुणिमा ने धीरे से कहा, "तुम्हारी कहानी सुनकर लगता है, जैसे मैंने भी अपने दर्द को यहां छोड़ा हो।"

अरुणिमा की आँखों में कुछ ऐसा था, जो उसे अंदर तक झकझोर गया। उसने हल्की आवाज में कहा, "मैं डॉक्टर हूं। लोगों को बचाना मेरा काम है। लेकिन अपनी बहन को नहीं बचा पाई। सिया, मेरी छोटी बहन। वह सिर्फ 20 साल की थी। उसकी हंसी मेरी दुनिया थी।"

उसकी आँखें नम हो गईं। उसने जल्दी से आँसू पोंछते हुए कहा, "उसे ल्यूकेमिया हुआ। मैंने सब कुछ किया—सबसे अच्छे डॉक्टर, सबसे महंगे इलाज। लेकिन वो मुझसे धीरे-धीरे दूर होती चली गई। उसके आखिरी दिनों में, उसने मुझसे कहा था, 'दीदी, तुमने हमेशा मुझे बचाने की कोशिश की। लेकिन खुद को मत खोना। मैं चाहती हूं कि तुम खुश रहो।' और फिर वो चली गई।"

अरुणिमा की आवाज टूट गई। उसने गहरी सांस ली और कहा, "उसके जाने के बाद, मैं सिर्फ काम में डूब गई। दिन-रात मरीजों का इलाज करती रही, लेकिन रात को जब अकेली होती, तो उसकी यादें मुझे तोड़ देतीं। अब हर साल यहां आती हूं। ये गुलाबी आभा मुझे उसकी मुस्कान की याद दिलाती है। और ये ठंडी हवाएं... जैसे वो मुझे सहला रही हो, कह रही हो कि मैं अब भी उसके करीब हूं।"

दोनों अजनबी अब एक-दूसरे के दर्द को महसूस कर रहे थे। चाय का प्याला खत्म हो चुका था, लेकिन उनकी बातों का सिलसिला अब भी जारी था।

प्रभात ने धीमी आवाज में कहा, "शायद हमें अपने अतीत को माफ कर देना चाहिए। जो चला गया, उसने हमें सिखाया है कि जिंदगी को कैसे जीना चाहिए।"

अरुणिमा ने हल्की मुस्कान के साथ सिर हिलाया। "शायद तुम सही कह रहे हो। लेकिन किसी से अपनी कहानी बांटने से यह बोझ थोड़ा हल्का हो जाता है। मुझे खुशी है कि मैंने आज तुमसे बात की।"

प्रभात ने उसकी ओर देखा और कहा, "हर साल मैं यहां आता हूं, लेकिन शायद पहली बार इस जगह ने मुझे सुकून दिया है।"

अरुणिमा ने धीरे से कहा, "तो क्यों न अगली बार हम यहां फिर मिलें? शायद तब तक हमारे दर्द कुछ और हल्के हो जाएं।"

प्रभात ने मुस्कुराकर सिर हिलाया। "ठीक है। अगले साल, इसी दिन, इसी समय। ये ठंडी हवाएं और ये गुलाबी आभा हमारे वादे की गवाह रहेंगी।"

दोनों ने एक-दूसरे को मुस्कान के साथ अलविदा कहा। प्रभात और अरुणिमा अलग-अलग दिशाओं में चल पड़े, लेकिन उनके दिलों में अब एक नई उम्मीद थी।

कभी-कभी, दो टूटे हुए दिल भी ठंडी हवाओं और गुलाबी आभा के बीच एक नया वादा कर लेते हैं।



आगे की कहानी अगले भाग में.......
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रचनाएँ
वादों की मुलाकात
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यह कहानी एक अजनबी मुलाकात, दर्द और वादों की खूबसूरत यात्रा है। इसमें वक्त, यादें, और साझा किए गए अनुभवों का महत्व है।
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