2 सितम्बर 2015
अति सुन्दर रचना !
22 सितम्बर 2015
उलझी उलझी सी दुनिया में उलझे उलझे से लोगों में गुम थी मैं भी बहकी सी उलझी सी भूल गयी थी मुस्काने को.............बहुत खूब
3 सितम्बर 2015
धन्यवाद भैया
2 सितम्बर 2015
पर अभी अभी कही से मीठी सी हंसी खनक उठी है कानों में... अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति ! मनोज्ञ रचना !
2 सितम्बर 2015