बहुत दिनों के बाद
अहसास हुआ
एक अजीब सा खालीपन
क्यों घेरता मुझे
सब कुछ तो सही है
पर सुकून नहीं पा पाता मुझे
हंसी तो है होठो पर
पर खनक नहीं
देखती है ये आँखे
पर चमक नहीं है
जब सब कुछ ठीक लगे
तो कुछ न ठीक होने
की तड़प भी है
अजीबो गरीब गम
दर्द भी है कही
पर वो कसक नहीं है
वो कसक नहीं है ..
शिप्रा राहुल चन्द्र