21 सितम्बर 2015
इस अवकाश में आकाश छू लिया आपने
3 दिसम्बर 2017
अति सुन्दर रचना ,बधाई !
26 सितम्बर 2015
हवा है कैसी गर्म गर्म घूमती चारो तरफ अपना अस्तित्व दर्शाती छूती है आ के बार बार और एक घुटन दे जाती शिप्रा जी हवा का अस्तित्व जितना विशाल उतना ही शांत ।.....उसके अहसास को बहुत सुन्दरता से कहा है
24 सितम्बर 2015
सुन्दर अति सुन्दर रचना ,बधाई !
21 सितम्बर 2015