समांत- आन, पदांत- आँखों में, मात्रा भार- २८ यति- १४ पर “गीतिका”उठाकर चल दिये सपने, बड़े अरमान आँखों मेंठिठककर पग बढ़े आगे, डगर अंजान आँखों मेंदिखी मूरत तुम्हारी तो, न मन विश्वास रख पायामिरे तो बोझिल हैं कंधे. कहाँ दिनमान आँखों में॥खिली है चाँदनी पथ पर, उगी सूरत विराने नभ डर