ऑनलाइन हो चुकी दुनिया में जब सोशल मीडिया के आभासी मोह में पँसा हर दूसरा इन्सान यह सोचने लगा है कि ‘प्यार-व्यार झमेला है, कुछ दिनों का खेला है' तब अचानक सच्चा प्यार दिल के किसी काने में घर बसा लेता है। कभी पहचान लिया जाता है तो कभी पहचान कर भी मजबूरियों के चलते अनदेखा कर दिया जाता है। ये कहानी है एक स्वच्छंद लड़की सुरम्या की, जो इश़्क के स़फर में है और अपने साथी का बेसब्री से इंतज़ार कर रही है। मगर क्या इश़्क का स़फर इतना आसान होता है? सुरम्या की ज़िन्दगी भी दो किरदारों, अनुसार और विशेष के बीच द्वंद्व में फँसी दिखती है। आखिर दोनों का साथ निभाने की कोशिश करते-करते कैसी हो जाती है सुरम्या की जिंदगी, आखिर कौन सा मोड़ आता है फिर! तो इंतज़ार किस बात का, पढ़िये और खुद जान लीजिए|
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