मालेर कोटला : पुलिस की गोली से फिर एक बेगुनाह की मौत हो गई. बुधवार रात गांव जितवाल में गैंगस्टर गईया खां के शक में पुलिस एनकाउंटर में गांव के 22 साल के दलित युवक बिक्रम सिंह उर्फ बोबी की गोली लगने से मौत हो गई. गुस्साए गांव वालों और पीड़ित परिवार ने मालेरकोटला पुलिस थाने के सामने संगरूर-धूरी हाईवे पर धरना देकर ट्रैफिक जाम कर दिया. पुलिस परिवार के साथ समझौते की बात करती रही, जबकि पीड़ित परिवार आरोपी पुलिस अफसरों पर कत्ल का केस दर्ज करने की मांग पर अड़ा रहा. हालांकि, रात साढ़े आठ बजे जब पुलिस ने कार्रवाई का भरोसा दिया तो धरना खत्म कर दिया. मृतक के पिता रघुबीर सिंह का आरोप है कि पुलिस ने गैंगस्टरों को जानबूझ कर दौड़ा दिया जबकि उसके बेटे को गोलियों का निशाना बना दिया. अब पुलिस रुपए का लालच देकर मामले को रफा-दफा करने में जुटी है.
मां सोचती रही कि गुरुद्वारे में सेवा कर रहा है बेटा
बुधवार शाम मालेरकोटला के गैंगस्टर गईया खां ने अपने साथियों के साथ मोहल्ला चौहट्टा मालेर निवासी कलीमुद्दीन को गोली मारकर जख्मी कर दिया. इस दौरान पुलिस को पता चला कि गईया खां साथियों के साथ गांव जितवाल कलां में छिपा है. भारी पुलिस बल ने गांव की घेराबंदी कर गांव को सील कर दिया. बिक्रम के पिता रघबीर सिंह का कहना है कि पुलिस ने रात साढ़े 10 बजे अंधाधुंध फायरिंग की. फिर सब कुछ शांत हो गया और पुलिस भी चली गई. बोबी पूरी रात घर नहीं आया, उन्हें लगा कि वह गुरुद्वारा साहिब में सेवा कर रहा है. सुबह पुलिसवालों ने गांव में आकर बताया कि गांव के एक युवक की गोली लगने से मौत हो गई है.
पुलिस पर सवाल
क्योंकि रघबीर सिंह ने आरोप लगाया कि पुलिस ने बोबी को वहां से उठाकर उसका एनकाउंटर किया है जबकि असली गैंगस्टरों को जानबूझ कर दौड़ा दिया है. बोबी के छाती और पीठ पर दो गोलियां लगी हैं जबकि बोबी के कपड़ों पर गोली का कोई निशान तक नहीं है. जहां गोलियां दागी गईं वहां भी खून का कोई निशान नही हैं.
पुलिस में जाना चाहता था बिक्रम
12 वीं पास कर चुका बिक्रम सिंह बोबी पुलिस में जाना चाहता था, जिसके लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहा था. बोबी ने पुलिस टेस्ट भी दिया था. लेकिन फिजिकल टेस्ट क्लीयर नहीं कर पाया. उसने वजन बढ़ाया और रोजाना 10 किलोमीटर की दौड़ के साथ शरीर को पूरी तरह से फिट करने में जुटा था. फिलहाल एक शूज कंपनी में काम करता था.
पुलिस की गैंगस्टरों के साथ क्रॉस फायरिंग चल रही थी जिसमें बोबी को गोली लगी और उसकी मौत हो गई. पता नहीं बोबी वहां कैसे पहुंचा था. पूरे मामले की जांच जारी है.
जबरदस्ती गुरुद्वारा को बंद कर दिया गया
चश्मदीद रविन्द्र और परमजीत ने बताया कि बुधवार रात करीब साढ़े 10 बजे वह गुरुद्वारा साहिब में सजावट कर रहे थे. बोबी भी वहीं था. एक महिला पुलिस इंस्पेक्टर दो लोगों के साथ आई. उनसे राजू का घर पूछा. कुछ समय बाद ही 50-60 से ज्यादा पुलिसवाले मौके पर पहुंचे. सभी को जबरदस्ती गुरुद्वारा साहिब के अंदर भेज दिया गया. पुलिस ने बाहर से लोगों के घरों को कुंडी लगा दी. पुलिस बोली कोई घर से निकले. करीब 10 मिनट तक गोलियां चली और उसके बाद सब कुछ शांत हो गया. उन्होंने देखा कि पुलिस गांव के युवक राजू को पकड़ कर ले जा रही थी.