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विदाई

6 मई 2015

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जनसंवेदना से जुड़कर रहना उनका समझना सबकुछ और अपना कुछ भी न कहना उद्देश्य है मेरे जीवन का ये जीवन के साथ रहते हुए ही जीवन का जीना

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