अंबाला : बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक विजयादशमी त्योहार जहां पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है वही हम आपको बताते है विश्व का सबसे बड़ा रावण कहा जलाया जा रहा है. 5 बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाने वाला रावण अगले साल से बनना बंद हो सकता है. पुतले को खड़ा करने और उसे जलाने के लिए ग्राउंड का न होना इस पुतले का अगले साल निर्माण न होने का मुख्य कारण है. रावण का ये पुतला हरियाणा में अंबाला के बराड़ा हलके में बनाया जाता है.
कमेटी का कहना है कि अपनी ऊंचाई के लिए बराड़ा में जलाए जाने वाला रावण पांच बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है, वहीं इस बार इसे अब गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने की तैयारी है. श्रीरामलीला कमेटी के फाउंडर अध्यक्ष तेजेन्द्र चौहान का कहना है कि रावण ये का पुतला 210 फुट का है, जो दुनिया में सबसे बड़ा है और अब ये फिर से दहन के लिए तैयार है.
पिछले कई साल से रावण के पुतले की लगातार ऊंचाई बढ़ाने वाले और अपना रिकॉर्ड हर साल तोड़ने वाले तेजेन्द्र चौहान इस शायद आखिरी बार रावण का दहन करेंगे, क्योंकि उनके पास लगातार ग्राउंड की समस्या आ रही है.
वह लोगों के खाली पड़े प्लॉट में ही इस विश्व के सबसे बड़े रावण के पुतले का दहन करते हैं. उन्होंने सरकार से भी कई बार ग्राउंड की भी मांग की है, लेकिन उन्हें अभी तक ग्राउंड नहीं मिला. अगर अगले साल उन्हें रावण दहन के लिए जगह न मिली तो वे अगले साल से रावण का पुतला बनाना बंद कर देंगे.
पांच बार लिम्का बुक में अपना नाम दर्ज करवाने वाले तेजेन्द्र चौहान अपने ही खर्चे पर रावण का पुतला बनाते आए हैं, जिसमें लगभग 25 लाख रुपए का खर्च आता है. इसे बनाने के लिए 30 से 40 कलाकार तेजेन्द्र चौहान के साथ शिफ्टों में काम करते हैं, जिन्हें चौहान खुद पैसे देते हैं.
इस पुतले का निर्माण कार्य अप्रैल में ही शुरू कर दिया जाता है, साथ ही इसमें लाखों रुपए की आतिशबाजी भी लगाई जाती है. इसी के चलते इसका वजह भी काफी ज्यादा हो जाता है. उन्होंने बताया कि इस बार पुतले का वजन काम करने के लिए कई प्रयोग किए गए हैं.
इस पुतले को बनाने में 35 क्विंटल लोहा, 20 क्विंटल बांस और फाइबर ग्लास से इसका चेहरा बनाया गया है. इस बार पुतले में इको फ्रेंडली आतिशबाजी का प्रयोग किया जाएगा, जो सबसे कम प्रदूषण फैलाती है, जिसे शिवाकाशी से मंगवाया गया है. छह दिन पहले 210 फुट के इस विशालकाय रावण के पुतले को विशाल क्रेनों और जेसीबी के माध्यम से खड़ा किया जा चुका है, जो लोगों के लिए कौतुहल का विषय बना हुआ है.