-----वतन परस्ती--- ( चौथी किश्त)
इस बीच पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियां बढने लगीं । रोज़ समाचार आने लगे कि यहां पचास आदमी मरे तो वहां 100 आदमी मरे । एजेन्सियों को पता चला कि ये सारी घटनाएं अफ़गानिस्तान का कबाईलों का एक गुट कर रहा है । तब आइएसआई के चीफ़ ने मुस्तफ़ा को अफ़गानिस्तान जाकर उस गुट में किसी तरह शामिल होने का आदेश दिया। अफ़गानिस्तान पहुंचकर मुस्तफ़ा वह वहां के सबसे बड़े आतंकी गुट लश्करे-माज़ी में शामिल हो गया। उस गुट में शामिल होकर अपने दिमाग से उसने सबको कायल कर दिया । जल्द ही वह लश्करे- माज़ी का थिंक टैंक बन गया और संस्था के मुखिया की आंखों का तारा बन गया ।
उधर भारत और पाकिस्तान के बीच फिर रिश्ते सुधरने लगे , भाई चारे की बातें होने लगीं । दोनों मुल्कों के अफ़्सरान की मीटिंग होने लगी । अंत में एक ड्राफ़्ट तैयार किया गया । इसके साथ ही 2 महीनों बाद दोनों देशों के प्रधान मंत्रियों के बीच इस्लामाबाद में एक बैठक आहुत की गई। जिसे इन्डो=पाक शिखर सम्मेलन 4 का नाम दिया गया । इस बैठक का उद्देश्य था ऐसा कोई रस्ता निकाला जाए जिससे दोनों मुल्कों के बीच ट्रेढ बढे और दोनों देशों का भला हो । जैसे ही यह बात अफ़गानिस्तान पहुंची । लश्करे माज़ी के मुखिया ने मुस्तफ़ा को अपने पास बुलाकर कहा कि एक बहुत अच्छा मौक़ा हमारे हाथ आने वाला । जिसका मुकम्मल उपयोग हमें करना है । भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के बीच जो मीटिंग होने जा रहा है । उसमें हमें कुछ ऐसा करना है कि दोनों देशों के बीच रिश्ते और बिगड़ जाए। मुस्तफ़ा तुम कोई प्लान तैयार करो । उस मीटिंग में गरबड़ी फ़ैलाने के लिये ।
इस बात को मुस्तफ़ा ने मौक़ा मिलते ही आईएसआई के चीफ़ को बता दिया । आईएसआई चीफ़ ने कहा कि अब समय आ गया है कि लश्करे माज़ी के मुखिया इक़बाल को मारने का साथ उनके तन्ज़ीम को नेस्तानाबूद करने का ।
वह दिन भी आ गया जिस दिन भारत के प्रधान मंत्री और पाकिस्तान के प्रधान मंत्री के बीच एक महत्वपूर्ण मीटिंग इस्लामाबाद के होटल अल- हयात में होनी है । सारे इस्लामाबद को छावनी में बदल दिया गया है । पोलिस और सेना की टुकड़ियां शहर के चप्पे चप्पे पर नज़र आ रही हैं । मुस्तफ़ा को आईएसआई के चीफ़ ने स्पेशल पास उपलब्ध करा दिया है । साथ ही उसे अपने दो साथियों के साथ प्रधान मंत्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है । जिस कमरे में दोनों प्रधान मंत्री के बीच मंत्रणा होने वाली है उस कमरे के बाहर मुस्तफ़ा को अपने दोनों साथियों के साथ तैनात रहना है ।
मुस्तफ़ा ने आइएसआई चीफ़ के द्वारा बनाए गए प्लान के तहत उस पास को लश्करे माज़ी के मुखिया इक़बाल को दिखा कर कहा मैं तो उस कमरे के बाहर सुरक्षा अधिकारी के रुप में रहूंगा जिस कमरे में दोनों प्रधान मंत्रियों की मीटिंग रखी गई है । आप कुछ और आदमियों के साथ वहां तक किसी तरह पहुंच सकते हैं तो हम वहां वह काम कर सकते हैं जो आप करना चाहते हैं । तब इक़बाल ने कहा कि मैं अपने सोर्स से यह काम करता हूँ कि तुम्हारे दो साथियों में एक मैं रहूंगा और दूसरा हमारे ही ग्रुप का हैदर रहेगा । तुम यह मान लो कि हम दोनों तुम्हारे साथ रहेंगे ही । पकिस्तान की सेना के सबसे बड़े ओहदेदर से मेरा और हैदर का नाम सुरक्षा हेतु नाम तुम्हारे चीफ़ तक जल्द पहुंच जाएगा ।
(क्रमशः)