सात फेरों का तो नहींलेकिन आत्मा का गठबंधन है तुमसे
हमारा चरित्र कितना ही दृढ़ क्यों न होमगर उस पर संगति का असर अवश्य होता है-दिनेश कुमार कीर
तेरी सादगी ही तेरी खूबसूरती की पहचान है,तेरा चेहरा कई उदास चेहरों की मुस्कान है।
दिल की बात तुमको हम बता नहीं सकतेतेरी नजरों से नजरे भी हम मिला नहीं सकतेलिखने लगे हैं हम अपने विचारों में अपने ज़ज्बातपर अपने विचारों में भी तेरा जिक्र हम कर नहीं सकते
एक मैं एक तुम और थोड़ी सी मोहब्बत तुम्हारीसिर्फ़ इतना ही काफ़ी है ज़िन्दगी ज़ीने के लिए-दिनेश कुमार कीर
जिंदगी में एक ही नियम रखो, सीधा बोलो, सच बोलो, और मुँह पर बोलो जो अपने होंगे समझ जायेंगे, जो मतलबी होंगे दूर हो जायेंगे-दिनेश कुमार कीर
क़िस्मत वालों को मिलती है ऐसी मोहब्बत,जो वक्त भी दे प्यार भी दे, और ख़्याल भी रखे
वो कहते हैं हम उनकी झूठी तारीफ़ करते हैं,ऐ ख़ुदा एक दिन आईने को भी ज़ुबान दे दे...-दिनेश कुमार कीर
मोहब्बत और मौत की पसंद तो देखो यारोंएक को दिल चाहिए और दूसरे को धड़कन-दिनेश कुमार कीर
कैसे बताऊँ मेरी जिंदगी में तेरा मोल क्या हैमेरे बुखारे - ए - इश्क़ का तू ही पैरासिटामोल है-दिनेश कुमार कीर
एहसास की नमी बेहद जरुरी है हर रिश्तों में, वरना रेत भी सूखी हो तो निकल जाती है हाथों से...-दिनेश कुमार कीर
मोहब्बत के सभी रंग बहुत ख़ूबसूरत हैं... परन्तु...सबसे ख़ूबसूरत रंग वह है... जिसमें इज़हार के लिए अल्फ़ाज़ ना हों...-दिनेश कुमार कीर
सफ़र है ज़िंदगी काउल्फ़त-ए-बेख़ुदी काख़ुद को तरासकर फिर निखरना होगाहमें ज़िंदा रहना होगा
मंज़िलें क्या हैं रास्ता क्या हैहौसला हो तो फ़ासला क्या है
ज़रूर कुछ तो बनाएगी ज़िन्दगी मुझको क़दम क़दम पे मेरा इम्तिहान लेती है।
ज़िदंगी को हमेशा खुल कर और जितना हो सके खुश होकर जियो, नहीं पता जो आज है वो कल हो ना हो।-दिनेश कुमार कीर
किस किस से जाकर कहती ख़ामोशी का राज, अपने अंदर ही ढूंढ रही हूँ अपनी ही आवाज।-दिनेश कुमार कीर
यह मोहब्बत है ठगों की बस्ती,एक पल में बदल देती है हस्ती; आशिक़ रहते है इश्क़ में बैचेन,इश्क़ जाता है उजाड़ कर बस्ती...!
जब मैं तुमसे मिलता हूँ... तो मिलता हूँ... मानो अपने आप से !तुम मेरा आईना हो... मेरा अक्स... झलकता है... इसमें !!
जैसे चाँद के होने से, रोशन ये रात है। हां तेरे होने से मेरी ज़िंदगी में, वैसी ही कुछ बात है।।