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व्यवहारिक

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झील सी आँखों का ख्वाब बता दो, इन गुलाबी होठों का राज बता दो। आखों में तो इश्क नजर आता ही है, इन शरारती मुस्कानों का भी राज बता दो।।-दिनेश कुमार कीर

उड़ान तो भरनी है, चाहे कितनी बार भी गिरना पड़ेसपनो को पूरा करना है, चाहे खुद से भी क्यों न लड़ना पड़े-दिनेश कुमार कीर

किसी को तो पसंद आएंगे हम भीकोई तो होगा जिसे दिखावा नहीं, सादगी पसंद हो-दिनेश कुमार कीर

मोहब्बत, मोहब्बत ही रहेगी बदल नहीं जाएगीचाहे तुम हमसे करो या हम तुमसे करें-दिनेश कुमार कीर

फिज़ा में खुशबु, हवा में बिखरा हुआ कमाल का रंग,निखर के गाल पर उसके, बड़ा इतरा रहा गुलाल का रंग।उड़ा के रंग-ए-इश्क़... हवा में, लिख दूँ मैं नाम तेरा,कभी जो बरसे मुझ पर, तेरे हुस्न-ओ-जमाल का रंग।।-दिनेश

तेरी मोहब्बत का रंग, कुछ ऐसा है कीअब और कोई रंग, उस पर चढ़ता ही नहीं-दिनेश कुमार कीर

ख़ुश्बूओं से, रंगो से, गुलों से भरी सी लगती हैतू मिला है जब से, ज़िंदगी भली सी लगती है-दिनेश कुमार कीर

शाम सारी हदें पार करती हुई गुजर गई, आंगन में उतरना था दिल में उतर गई!

कभी कभी वहम में रहना भी सुकून देता है जिंदगी का सच भी वजूद याद दिलाता है तन्हाइयों का न पूछो आलम क्या होता है जब गैर भी अपना साया लगने लगता है-दिनेश कुमार कीर

इतना मुस्कुराओ जिंदगी में किजिंदगी भी देखकर मुस्कुरा उठे... 

दो अंखियों की अपनी एक कहानी हैएक है मरुथल एक में बहता पानी हैतुमने देखी मरुथल आंखें, कह दिया हैकी मेरा दिल पत्थर है बेमानी है-दिनेश कुमार कीर

इन झुमको के घुंघरुओं की खनखनाहटऔर इन लबों पर बेवजह की मुस्कुराहट"मै" और "तुम" होने की आहट है-दिनेश कुमार कीर

क्या दुख है सागर को कहा भी नहीं सकताआँसू की तरह आँख तक आ भी नहीं सकता तुम छोड़ रही है तो ख़ता इस में तुम्हारी क्या हर शख़्स मेरा साथ निभा भी नहीं सकता

ख्वाब कहाँ, नजर कहाँज़िंदगी कहाँ, बसर कहाँएक तेरा ख्याल बाकी हैंअब मुझे अपनी खबर कहाँ-दिनेश कुमार कीर

चुपके - चुपके वो हमारी हर लेख पर नजर रखते हैंदेखकर चेहरे की मुस्कुराहट वो कई सवाल करते हैं काश कि पढ़ लेते वो हृदय के भाव हम सीने में कितने घाव गहरे रखते हैं-दिनेश कुमार कीर

अहंकार भी ज़रूरी है जब बात - अधिकार, चरित्र और सम्मान की हो इनपर उँगुली उठाने वाला पद में कितना बड़ा ही क्यों न हो मेरी नज़रों में वो बहुत ही छोटा हो जाता है ।-दिनेश कुमार कीर

मैं ठहरा फूल सा,कांटों के है किनारे।फिर मुझको कैसे तोड़ गए,मैं था उनके ही सहारे।।-दिनेश कुमार कीर

रोटी तो हर कोई बना लेता है रोटी कमाने का हुनर सिखाइए बेटियों को

कांटों के बीच में रहकर भी मुस्कुराने की कलालाख तूफ़ान आए पर भी महकने की कला धूप में तपने के बाद रंगत बनाए रखने की कला हर परिस्थिति में जीने की कला हमें गुलाब से सीखना चाहिए-दिनेश कुमार कीर

हर किसी की तमन्ना बनने से अच्छा है कि किसी एक की चाहत बने! ये इश्क़ ज्यादा अच्छा होता है।-दिनेश कुमार कीर

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