लखनऊ: यमुना नदी में स्वच्छ जल भले ही न बहा रहा हो। लोगों को पीने योग्य पानी न मिल रहा हो। नदी में जीव जन्तु मरने के कगार पर हो लेकिन इन सभी सुविधाओं के नाम पर करोड़ों का घोटाला हो जाता है।
यह पता तभी चलता है जब सरकार बदलती है। यह किस्सा यमुना रिवर फ्रंट योजना से सम्बंदित है जिसमें सपा सरकार के कार्यकाल में करोड़ों रुपए के घोटाले की बात समाने आ रही है। मैथुन के एक स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता द्वारा यह आरोप लगाया हसि कि लगभग 178 करोड़ रुपए की इस योजना पर टेंडर उठाए जाने से पहले ही निर्माण कार्य शुरु कर दिया गया था।
योगी सरकार के बनते ही सपा सरकार के घोटाले की परतें खुलनी शुरू हो गई हैं। 178 करोड़ में से 40 करोड़ रुपए का काम भी हो चुका है। कार्यदायी संस्था द्वारा गंभीर लापरवाही भी इस योजना में बरती गई। पुरातत्व विभाग की अनुमति के बिना ही निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया जिसे बाद में कोर्ट के आदेश पर रोकना पड़ा।
यहां पर जो निर्माण कार्य किया गया है वह भी मानक और गुणवत्ता को नजरअंदाज करके किया गया है। यमुना के घाटों के ठीक नीचे सीवर की पाइपलाइन डाल दी गई जोकि एनजीटी के नियमों के खिलाफ है । इसके अलावा संरक्षित जुगल घाट की सीमा में भी बिना अनुमति के निर्माण कार्य करा दिया गया ।
इन सब बातो को सं ज्ञान में लेकर भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय नेता प्रदीप गोस्वामी ने सपा सरकार में नेताओं द्वारा जनता के धन की बंदरबांट की जांच कराए जाने की मांग की जा रही है। सपा ने अपने चहेतों की जेब भरने का काम किया है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार इन सब मामलों के निष्पक्षता से जांच कराये और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाये।