दो दिलो की दूरियों की है ये कहानी
दूर दूर थे बैठे एक दूजे से और दिल दे
बैठे एक दूसरे को
अभी याद करती हूं तो लगता सब ख़्वाब सा
वो दूर कहि और में रहती कहि और आने ये
किस्मत कहु या इत्तफाक हमे मिला दिया
था ऊपर वाले ने
बहुत से दिन दिखाए बहुत ही रुलाया भी
खुसिया भी दी फिर भी आज आदुरा हो गया
वो प्यार मेरा जो एक पल बिन बाटे किए रह
नही पाते थे दिन महीने बन गया महीने साल आज
तक ना उसको आई मेरा ख्याल मगर इस दिल मे
कहि आज भी वो है ना जाने क्यों आज भी लौट
आओ ये ही चाहता रहता है दिल