नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मोदी के दो नजदीकि गुरु आजकल एक नई प्रतिस्पर्धा में उलझ गए हैं. प्रतिस्पर्धा इतना विकट रूप धारण कर चुकी है की देश का फ़ूड बाजार हिल गया है. जबसे श्री श्री रविशंकर ने बाबा राम देव की 5000 करोड़ का कारोबार करने वाली पतंजलि आयुर्वद कम्पनी को खुले बाजार में चुनौती दी है तभी से देश में समूचे FMCG मार्किट की सेल्स गड़बड़ा गयी है. इन दोनों बाबा कम्पनियों ने यूनिलीवर और कोलगेट-पाल्मोलिव जैसे अंतराष्ट्रीय कम्पनियों को अपनी रणनीति बदलने पर मज़बूर कर दिया है.
श्री श्री आयुर्वेदा की ब्रांड एम्बेसडर बनीं सिंधु
दरअसल श्री श्री रविशंकर की श्री श्री आयुर्वेदा पिछले 13 वर्षों से तरह तरह के प्रोडक्ट बना रही है, लेकिन बाबा ने कभी अपने प्रोडक्ट की ताबड़तोड़ मार्केटिंग नही की थी. पर कुछ समय से बाबा के भक्त उन्हें श्री श्री आयुर्वेदा को पतजंलि की तर्ज़ पर बाजार में उतारने के लिए कह रहे थे. भक्तों के कहने पर श्री श्री ने अपने प्रोडक्ट्स को बड़े पैमाने पर मार्केटिंग करने के निर्देश दिए. फिर क्या था, शहद से लेकर क्रीम और मसाले से लेकर घी तक का जमकर प्रचार शुरू हो गया. श्री श्री ने फिर महीने भर पहले ओलिंपिक रजत पदक विजेता पीवी सिंधु को श्री श्री आयुर्वेदा का ब्रांड एम्बेसडर बना दिया. सिंधु के ब्रांड अम्बेसडर बनते ही पतंजलि और श्री श्री आयुर्वेदा के उत्पादन को लेकर दुकानदारों और थोक व्यापार ियों में घमासान शुरू हो गयी है.
आयुर्वेद का बाजार से होगा करोड़ों का टर्न ओवर
दोनों ही कम्पनियां अब कश्मीर से लेकर केरल तक अपना डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क बड़ा चुकी हैं. नेपाल और बांग्लादेश में भी अब भारत में बने घरेलु उत्पाद की मांग बढ़ रही है जिसमे पतंजलि एक बड़ा ब्रांड बनकर उभर रही है. अनुमान की आयुर्वेद का देसी बाजार आने वाले समय 20 हज़ार करोड़ रूपए के टर्न ओवर वाला हो जायेगा.
कोलगेट नहीं गिरा पा रहा है दन्त कांति की साख को
मार्किट एक्सपर्ट बताते हैं कि श्री श्री रविशंकर और बाबा राम देव की योग, साधना और हिंदुत्वा की जो छवि है उसकी छाप उपभोगताओं पर जबरदस्त असर करती है. इसलिए कोलगेट चाहे अच्छा प्रोडक्ट हो. लेकिन दन्त कांति की साख को नही छू पाती है. मोदी के दौर में श्री श्री और राम देव का बढ़ता वर्चस्व भी उनके प्रोडक्ट को आगे बढ़ाने में सहायक है.