लखनऊ : मथुरा के जवाहरबाग़ के गुनहगार रामवृक्ष की मौत की घोषणा कर प्रशासन ने अपना पल्ला झाड़ लिया था. क़ब्ज़ा की गई 270 एकड़ ज़मीन मुक्त कराकर पुलिस और प्रशासन दोनों ने अपनी पीठ ठोक ली थी. जवाहरबाग काण्ड के बाद जिस लाश को रामवृक्ष की लाश बताया गया था उसकी शक्ल रामवृक्ष से मेल नहीं खाती थी. यहाँ तक कि उसके परिवार ने भी उसकी शिनाख्त नहीं की थी, लेकिन रामवृक्ष की लाश बताकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया. अब उसके बेटे के डीएनए का मैच न होना यह साबित करने के लिये बहुत है कि वह लाश रामवृक्ष की नहीं थी.
कहां छिपा है रामवृक्ष ?
5 जून 2016 को रामवृक्ष की मौत की आधिकारिक घोषणा के बाद साक्ष्यों की रोशनी में ही रामवृक्ष की मौत की पुष्टि होनी चाहिए. क्योंकि रामवृक्ष जैसे शातिर अपराधी को मार गिराना इतना आसान नहीं था. जो देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को चुनौती देता था. जिसने 270 एकड़ सरकारी ज़मीन पर क़ब्ज़ा जमा रखा था. जिसे पुलिस अधीक्षक और थानाध्यक्ष की हत्या करने में भी कोई घबराहट नहीं हुई थी, वह खुद इतनी आसानी से मर जाएगा. यह हज़म होने वाली बात भी नहीं थी. रामवृक्ष इतना शातिर अपराधी था कि उसने पुलिस अधीक्षक मुकुल द्विवेदी को पीट-पीट कर मार डाला था. थानाध्यक्ष संतोष यादव पर ए.के. 47 से गोलियां बरसाई थीं. इन दोनों अधिकारियों का बस इतना कसूर था कि इन दोनों ने उसके कब्जे से ज़मीन खाली कराने की जुर्रत की थी. अपने दो जांबाज़ अधिकारियों की बेरहमी से की गई हत्या के बाद गुस्साए पुलिसकर्मियों ने जवाहरबाग़ खाली होने तक अपनी कार्रवाई रोकी नहीं थी.
10 महीने पहले की आशंका हुई सच साबित
रामवृक्ष अपनी सुरक्षा के लिए बड़ी संख्या में ए.के. 47 रखता था. इतने बड़े इलाके में रौशनी के लिए सैकड़ों बैटरियां रखता था. खुद को बचाने के लिए वह बच्चों को ढाल बना लेता था. वह हिन्दुस्तान की पूरी व्यवस्था को अपने हिसाब से चलाना चाहता था. पुलिस और प्रशासन से दो-दो हाथ करने को हमेशा तैयार रहता था. इतना सब करने वाला क्या अपने सुरक्षित निकल भागने का इंतजाम नहीं रखता होगा. इस बात पर ध्यान दिए बगैर उसकी मौत की घोषणा कर दी गई ताकि उसकी फ़ाइल बंद हो जाए. पुलिस ने अपने दो जांबाज़ अफसर खोये थे. उन्हें मौके से मिली लाश की कई स्तरों पर शिनाख्त करानी चाहिए थी. परिवार ने ही नहीं माना था मतलब रामवृक्ष जिंदा है और किसी और जगह बैठकर कोई और आपराधिक काण्ड अंजाम देने की तैयारी में लगा है. तहलका न्यूज़ की साढ़े 10 महीने पहले की आशंका सच साबित हुई है. पुलिस को उसे हर हाल में तलाशना चाहिए क्योंकि वह कहीं और किसी अपराध की तैयारी में लगा होगा.